Que :----By Puja Shukla *** प्रशन्न पूछें *** उत्तर पाएं *** शंका समाधान ** on Face-Book *******
" राधा और कृष्ण जी का विवाह किसके श्राप की वजह से नहीं हुआ।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmMeWaZ29NiNhht9ZBq0BO57iWMJn4BdKWDYxxhfTghCvFi316Rlm5bb0VY2UpJrJcgMJgGPWWiBUN7dEF1TReYLqytBc3OVgWh4XNDoS49w7X8pHDG77HFjJlih-OTyy16xdhszYBhR8/s320/2588c3036d8e5d122075dcb805777f13.jpg)
Answer By Rohtas :------------
परम स्नेही भग्तजन जी,
१. श्री राधा जी, श्री कृष्ण जी, तो प्रमाणित एक हैं, उनकी शादी का प्रशन्न नहीं उठता । जिन्होने अनुभव किया है वह जानते हैं * यह दोनों एक शक्ति के दो पहलू हैं * Supreme Divine Tatav + Supreme Divine Power जैसा कि निम्न चित्र में दर्शाया गया है।
2. अदध्यात्मिक दृष्टि से इस अद्धभुत सुन्दर सृष्टि के बारे अद्धयन किया जाए तो सृष्टि मात्र जल है और जल क्या है इस के बारे में सब जानते हैं Hydrogen+Oxygen=Water, दूसरी ओर हमारे शरीर रूपी सृष्टि भी पुरुष (आत्म-तत्व )+प्रकृति के मेल से ही सम्भव है। सूर्य देवता और इसमें ऊषणता का घनिष्ट सम्बन्ध है, चन्द्रमा और चन्द्रमा में शीतलता का घनिष्ट सम्बन्ध है। अध्यसत्मिक दृष्टि से सभी तथ्यों पर गहराई से प्रकाश डाला जाय तो अन्दरूनी तौर पर दिव्यता से सब एक दूसरे से जुडे हुए हैं इसी प्रकार श्री राधा कृष्ण जी भी दिव्यता के आधार पर एक हैं
3. श्री कृष्ण विष्णु के अवतार हैं सो राधा लक्ष्मी- "शक्ति" का अवतार स्वयं हो गयी। वास्तव में यह दो दिव्य शक्तियां आदि शक्तियां हैं अध्यात्मिक दृष्टि से परम-तत्व और दिव्य रिंग जो परम-तत्व कि ही दिव्य-शक्ति "माया" है और तत्व में से ही प्रकट हुुई हैं, जो अलग नहीं हैं आदि काल से ही हमारे पूज्य ऋषि मुनी संतों द्वारा इस Secrecy को गुप्त रखते हुए, Hinduism में इन्हें , विष्णु-लक्ष्मी, राधा-कृष्ण, सीता राम आदि नामों से जाना जाता है। * परम दिव्य तत्व एक है, परम दिव्य शक्ति भी एक है * और सृष्टि के प्रारम्भ में यह दोनों दिव्य शक्तियां ही Automatically, Systematically and Divinelly प्रकट होती हैं उसके बाद ही इस सुन्दर सृष्टि की रचना सम्भव होती है और यहि शक्तियां अंत:कर्ण में दिव्य परम आत्म तत्व एवं बाह्य शक्ति के रूप में दिव्य रिंग, दोनों सृष्टि में एक साथ अवतरित होती हैं इस प्रकार Scientifically भी दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं जैसे चुम्बकिय शक्ति के बिना लोहे का टुकडा चूम्बक नहीं हो सकता। यह दोनों शक्तियां हम सब के बीच में सुन्दर दिव्य लीला की रचना रचते हैं।
जय श्री राधा कृष्णा जी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDF2wHrJCbj6ynYPdHrPURG7HfjIESCrxrvW8olrW6WZ8jTJRUn1ceCymDolnZfo45sbMuoY1jshKqLeE29aAQ5F7bpX2wKEqgnYegPdiKkFkIC9hed_bY86ZxUpoR8B1FneqzYUlr4Ug/s1600/PicsArt_09-08-11.03.43.png)
" राधा और कृष्ण जी का विवाह किसके श्राप की वजह से नहीं हुआ।
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Answer By Rohtas :------------
परम स्नेही भग्तजन जी,
१. श्री राधा जी, श्री कृष्ण जी, तो प्रमाणित एक हैं, उनकी शादी का प्रशन्न नहीं उठता । जिन्होने अनुभव किया है वह जानते हैं * यह दोनों एक शक्ति के दो पहलू हैं * Supreme Divine Tatav + Supreme Divine Power जैसा कि निम्न चित्र में दर्शाया गया है।
2. अदध्यात्मिक दृष्टि से इस अद्धभुत सुन्दर सृष्टि के बारे अद्धयन किया जाए तो सृष्टि मात्र जल है और जल क्या है इस के बारे में सब जानते हैं Hydrogen+Oxygen=Water, दूसरी ओर हमारे शरीर रूपी सृष्टि भी पुरुष (आत्म-तत्व )+प्रकृति के मेल से ही सम्भव है। सूर्य देवता और इसमें ऊषणता का घनिष्ट सम्बन्ध है, चन्द्रमा और चन्द्रमा में शीतलता का घनिष्ट सम्बन्ध है। अध्यसत्मिक दृष्टि से सभी तथ्यों पर गहराई से प्रकाश डाला जाय तो अन्दरूनी तौर पर दिव्यता से सब एक दूसरे से जुडे हुए हैं इसी प्रकार श्री राधा कृष्ण जी भी दिव्यता के आधार पर एक हैं
3. श्री कृष्ण विष्णु के अवतार हैं सो राधा लक्ष्मी- "शक्ति" का अवतार स्वयं हो गयी। वास्तव में यह दो दिव्य शक्तियां आदि शक्तियां हैं अध्यात्मिक दृष्टि से परम-तत्व और दिव्य रिंग जो परम-तत्व कि ही दिव्य-शक्ति "माया" है और तत्व में से ही प्रकट हुुई हैं, जो अलग नहीं हैं आदि काल से ही हमारे पूज्य ऋषि मुनी संतों द्वारा इस Secrecy को गुप्त रखते हुए, Hinduism में इन्हें , विष्णु-लक्ष्मी, राधा-कृष्ण, सीता राम आदि नामों से जाना जाता है। * परम दिव्य तत्व एक है, परम दिव्य शक्ति भी एक है * और सृष्टि के प्रारम्भ में यह दोनों दिव्य शक्तियां ही Automatically, Systematically and Divinelly प्रकट होती हैं उसके बाद ही इस सुन्दर सृष्टि की रचना सम्भव होती है और यहि शक्तियां अंत:कर्ण में दिव्य परम आत्म तत्व एवं बाह्य शक्ति के रूप में दिव्य रिंग, दोनों सृष्टि में एक साथ अवतरित होती हैं इस प्रकार Scientifically भी दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं जैसे चुम्बकिय शक्ति के बिना लोहे का टुकडा चूम्बक नहीं हो सकता। यह दोनों शक्तियां हम सब के बीच में सुन्दर दिव्य लीला की रचना रचते हैं।
जय श्री राधा कृष्णा जी
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दास अनुदास रोहतास
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