Thursday, October 8, 2015
Saturday, October 3, 2015
* भगवान दू्ारा सृष्टि की अद्धभुत रचना *
" क्या अद्धभुत रचना है सृष्टि की "
भगवान ने हमारे लिये क्या सुन्दर और अद्धभुत सृस्टि की रचना रची है, शायद उस वक्त भगवान ने भी नहीं सोचा होगा इस सुन्दरत्तम सृस्टि की रचना के बारे में। वास्तव में यह भगवान का एक मात्र संकल्प है। जो सब स्येंव automatically रचित हो गया। मनुष्य तो क्या, तीनों लोकों में देवी देवताओं ने भी ऐसी कल्पना नहीं की होगी जो अद्धभुत लीला भगवान ने हम सब को गिफ्ट रूप में अति सुन्दर सृष्टि की रचना कर, प्रदान की है, जिस सृस्टि का " आदि - मध्य - और अन्त " एक ही विघटन कारी- तत्व ( महाकाल चक्र ) Black- Hole दू्ारा होता हो। जिसे हमने अपने अध्यातिमिक जीवन में कई बार अनुभव किया व करते आ रहे हैं। जो इस प्रकार है।
* आदि - मध्य - अंत *
------------------
१.आदि:- Creation
महाप्रलया के करोडो सालों बाद सृस्टि के परिपक्व होने पर मालिक के रहम करने पर जब मालिक की सृस्टि रचने की इच्छा होती है, शान्त पडे ब्रह्मांड में सभी ग्रह उपग्रह प्राकृतिक और दिव्य तत्वों और सकल पदार्थों, सभी प्रकार की गैस, वायु आदि को लेकर एक Galaxy नुमां भंवर, Black-Hole, automatically, प्रकट होता है जो हजारों सालों तक चक्रवात के रूप में ब्रह्मांड में यूं ही घूमता रहता है, बाद में इसमें मंथन क्रिया उत्तपन्न होने पर उस के बीच में एक जबरदस्त विस्फोट होता है, जिसमें से एक बहुत बडा आकासीय बिजली की तरह चमकता हुआ आग का गोला प्रकट होता है और बहुत उपर एक उच्चत्तम स्थान पर जाकर एक सूक्षम बिन्दु " Dot " के रूप में स्थित हो जाता है इसके चारों तरफ Gravity- Power-Ring के रूप में जो इसके चारों ओर दिव्य -शक्ति कवच के रूप में एक साथ प्रकट होती है विध्दमान रहती है, दिव्य गुण भी इसी तत्व में विद्धमान होते हैं इस लिये इसे Supreme - Divine-Tatab, चेतन तत्व, के नाम से भी जाना जाता है, और इसी के साथ समस्त अन्य ग्रह-उपग्रह, गैस, सभी प्राकृतिक तत्व व अन्य जो कुछ भी प्राकृतिक सामग्री इस ब्रह्मांड में जहां तक हमारी नजर की पहुंच है संसार में इन संसारी आंखों से अनुभव कर सकते हैं सब एकाएक प्रकट हो जाता है जो सौरमंडल के रूप में आदि, मध्य और अंत समय तक ब्रह्मांड में विद्यमान रहता है।
मध्य:- Preservation
जो कुछ सृस्टि के प्रारम्भ में स्येंव प्रकट हुआ, हम सब देख रहे हैं सब सद्धियों से विद्धयमान है। सब Universal -Hole ," Glaxy "जो सृस्टि के आरम्भ मे प्रकट हुआ इसी शक्ति के circulation, प्रतिकृया के माध्यम से ही जीवित है। Gravity Power Circulation भी प्रारम्भ से लेकर आजतक उसी universal -hole (Black Hole) के माध्यम से ही जीवित है । सृस्टि की पालन क्रिया Care-Taker इसी आदि-शक्ति-चक्र से ही चल रही है जो इसी भंवर-चक्र की देन है । सूर्य देवता व अन्य ग्रह-उपग्रह सब के सब इसी ग्रेवटी-चक्र-क्रिया पर ही निर्भर हो रहा है। इसी लिये इसे हम सृस्टि चक्र भी कह सकते हैं। यह विवेक-शक्ति- चक्र Viveka-power-Chakra, in the period of modest, गुप्त रूप में विद्धमान रहती है जिस प्रकार mattle-wire में विद्धुत और लोहे के टुकडे में चुम्बकीय शक्ति नजर नहीं आती ठीक दिव्य विवेक चक्र" चेतन तत्व" भी नजर नहीं आता केवल प्रभू की विशेष कृपा होने पर, दिव्य पुरुष, विवेकी पुरुष, व अवतारी पुरुष अपने दिव्य नेत्रों दू्ारा इस दिव्य विवेक चक्र, दिव्य आदि शक्ति को अवलोकन कर सकते हैं।
अंत:- Destruction
सृष्टि की नीयमबद्ध रचना है। अंत समय में भी इस सृस्टि चक्र का विशेष महत्व है। हजारों सालों से चलता आ रहा है सृष्टि चक्र के अनियमत होने पर dew to upsetted solar system, सौरमंडल में गडबड हो जाता है, बहुत ऊपर ग्रह-उपग्रह उष्ण, उर्जा की अधिकता होने पर, एक दूसरे से टकराने लगते हैं जिससे अधिक मात्रा में उर्जा निकलती है वहां गर्म वातावर्ण होने पर इनकी गती और ज्यादा बढ जाती है इनमें ज्यादा गती होने पर एक दूसरे से टकराने की क्रिया उत्त्पन्न हो जाती हैं जो छोटे ग्रह होते है वो मर जाते हैं जो कुछ समय रहते हैं वह अपने पीछे एक सफेद अग्नि व प्रकाश की लाईन छोड देते हैं जो " एक तीर के समान नजर आती हैं आज भी ध्यान में ऊपर अवलोकन करेगे तो एक महाभारत काल जैसा भयंकर नजारा नजर आता है जो वेद ब्यास जी दू्ारा अवलोकन करने पर उन्हें अर्जुन दू्ारा छोडे गये दिव्य तीरों की याद ताजा करा देता है। ये तीर एक दूसरे को cross करते हुए चलते हुए आज भी ऐसा ही प्रकट होते हैं मानो महाभारत आज बहुत बडे लेवल पर हो रहा है, और एक बहुत भयंकर दृष्य पैदा करते हैं।
वास्तविकता तो यह है, ध्यान में अवलोकन करने पर अब यह Univetsal-Hole, ऊपर third Zone में away three Galaxies upper in universe छोड कर बहुत बडे आकार मे एक भयंकर चक्रवात के रूप मे प्रकट हो चुका है यह सभी ग्रह उपग्रह अपनी चपेट में लेता हुआ नीचे की और तीव्र गति से बढ रहा है अभी यह बहुत ऊपर ध्यान में अनुभव में काफी बार नजर आ चुका है, लेकिन हो सकता है यह प्राकृतिक प्रकोप ब्रह्मंडीय चक्रवात के रूप में जो नीचे की ओर यानी हमारी ओर बढ रहा है ढीला पड़ जाए । आओ हम सब भगवान से प्रार्थना करते हैं कोई अप्रिय घटना न घटे। ध्यान रहे उर्जा शक्ति Gravity Power के कमजोर पडने पर सृस्टि चक्र भी कमजोर पड जाएगा अर्थात यह Universal-Hole भी धीमा पड जाएगा और इस प्रकार यह सृस्टि चक्र भी कमजोर होकर रुक जाएगा, जो विनास का कारण बन सकता है और हमें खेद व्यक्त करने के लिये मजबूर होना पड़ सकता है।
अत: सृस्टि के आदि मध्य और अंत तीनों अवस्थाओं में हमने अनुभव किया कि इस सृस्टि चक्र का कितना महत्व है यह सृस्टि का आधार है क्योंकि तीनों कालों में इसका विशेष महत्व है इस प्रकार अंत समय में यह विनाश का कारण बनता है इस लिये यह महाकाल के रूप में भी जाना जाता है।
If this Universal- Hole (Black-Hole) do not fell slow "Dim" then it reach into Earth-Zone and then Sun will effected. It threatened to Sun. Sun enlightment the whole universe and three Loka's, it may converted in a dangerable black hole and start threw out fire-balls and become the cause of destruction and may be happened The End, of all creation on Earth in future at any time.
( All these written on the base of spiritual realization in meditation. )
MAHAKAAL
दास अनुदास रोहतास
भगवान ने हमारे लिये क्या सुन्दर और अद्धभुत सृस्टि की रचना रची है, शायद उस वक्त भगवान ने भी नहीं सोचा होगा इस सुन्दरत्तम सृस्टि की रचना के बारे में। वास्तव में यह भगवान का एक मात्र संकल्प है। जो सब स्येंव automatically रचित हो गया। मनुष्य तो क्या, तीनों लोकों में देवी देवताओं ने भी ऐसी कल्पना नहीं की होगी जो अद्धभुत लीला भगवान ने हम सब को गिफ्ट रूप में अति सुन्दर सृष्टि की रचना कर, प्रदान की है, जिस सृस्टि का " आदि - मध्य - और अन्त " एक ही विघटन कारी- तत्व ( महाकाल चक्र ) Black- Hole दू्ारा होता हो। जिसे हमने अपने अध्यातिमिक जीवन में कई बार अनुभव किया व करते आ रहे हैं। जो इस प्रकार है।
* आदि - मध्य - अंत *
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१.आदि:- Creation
महाप्रलया के करोडो सालों बाद सृस्टि के परिपक्व होने पर मालिक के रहम करने पर जब मालिक की सृस्टि रचने की इच्छा होती है, शान्त पडे ब्रह्मांड में सभी ग्रह उपग्रह प्राकृतिक और दिव्य तत्वों और सकल पदार्थों, सभी प्रकार की गैस, वायु आदि को लेकर एक Galaxy नुमां भंवर, Black-Hole, automatically, प्रकट होता है जो हजारों सालों तक चक्रवात के रूप में ब्रह्मांड में यूं ही घूमता रहता है, बाद में इसमें मंथन क्रिया उत्तपन्न होने पर उस के बीच में एक जबरदस्त विस्फोट होता है, जिसमें से एक बहुत बडा आकासीय बिजली की तरह चमकता हुआ आग का गोला प्रकट होता है और बहुत उपर एक उच्चत्तम स्थान पर जाकर एक सूक्षम बिन्दु " Dot " के रूप में स्थित हो जाता है इसके चारों तरफ Gravity- Power-Ring के रूप में जो इसके चारों ओर दिव्य -शक्ति कवच के रूप में एक साथ प्रकट होती है विध्दमान रहती है, दिव्य गुण भी इसी तत्व में विद्धमान होते हैं इस लिये इसे Supreme - Divine-Tatab, चेतन तत्व, के नाम से भी जाना जाता है, और इसी के साथ समस्त अन्य ग्रह-उपग्रह, गैस, सभी प्राकृतिक तत्व व अन्य जो कुछ भी प्राकृतिक सामग्री इस ब्रह्मांड में जहां तक हमारी नजर की पहुंच है संसार में इन संसारी आंखों से अनुभव कर सकते हैं सब एकाएक प्रकट हो जाता है जो सौरमंडल के रूप में आदि, मध्य और अंत समय तक ब्रह्मांड में विद्यमान रहता है।
मध्य:- Preservation
अंत:- Destruction
सृष्टि की नीयमबद्ध रचना है। अंत समय में भी इस सृस्टि चक्र का विशेष महत्व है। हजारों सालों से चलता आ रहा है सृष्टि चक्र के अनियमत होने पर dew to upsetted solar system, सौरमंडल में गडबड हो जाता है, बहुत ऊपर ग्रह-उपग्रह उष्ण, उर्जा की अधिकता होने पर, एक दूसरे से टकराने लगते हैं जिससे अधिक मात्रा में उर्जा निकलती है वहां गर्म वातावर्ण होने पर इनकी गती और ज्यादा बढ जाती है इनमें ज्यादा गती होने पर एक दूसरे से टकराने की क्रिया उत्त्पन्न हो जाती हैं जो छोटे ग्रह होते है वो मर जाते हैं जो कुछ समय रहते हैं वह अपने पीछे एक सफेद अग्नि व प्रकाश की लाईन छोड देते हैं जो " एक तीर के समान नजर आती हैं आज भी ध्यान में ऊपर अवलोकन करेगे तो एक महाभारत काल जैसा भयंकर नजारा नजर आता है जो वेद ब्यास जी दू्ारा अवलोकन करने पर उन्हें अर्जुन दू्ारा छोडे गये दिव्य तीरों की याद ताजा करा देता है। ये तीर एक दूसरे को cross करते हुए चलते हुए आज भी ऐसा ही प्रकट होते हैं मानो महाभारत आज बहुत बडे लेवल पर हो रहा है, और एक बहुत भयंकर दृष्य पैदा करते हैं।
वास्तविकता तो यह है, ध्यान में अवलोकन करने पर अब यह Univetsal-Hole, ऊपर third Zone में away three Galaxies upper in universe छोड कर बहुत बडे आकार मे एक भयंकर चक्रवात के रूप मे प्रकट हो चुका है यह सभी ग्रह उपग्रह अपनी चपेट में लेता हुआ नीचे की और तीव्र गति से बढ रहा है अभी यह बहुत ऊपर ध्यान में अनुभव में काफी बार नजर आ चुका है, लेकिन हो सकता है यह प्राकृतिक प्रकोप ब्रह्मंडीय चक्रवात के रूप में जो नीचे की ओर यानी हमारी ओर बढ रहा है ढीला पड़ जाए । आओ हम सब भगवान से प्रार्थना करते हैं कोई अप्रिय घटना न घटे। ध्यान रहे उर्जा शक्ति Gravity Power के कमजोर पडने पर सृस्टि चक्र भी कमजोर पड जाएगा अर्थात यह Universal-Hole भी धीमा पड जाएगा और इस प्रकार यह सृस्टि चक्र भी कमजोर होकर रुक जाएगा, जो विनास का कारण बन सकता है और हमें खेद व्यक्त करने के लिये मजबूर होना पड़ सकता है।
अत: सृस्टि के आदि मध्य और अंत तीनों अवस्थाओं में हमने अनुभव किया कि इस सृस्टि चक्र का कितना महत्व है यह सृस्टि का आधार है क्योंकि तीनों कालों में इसका विशेष महत्व है इस प्रकार अंत समय में यह विनाश का कारण बनता है इस लिये यह महाकाल के रूप में भी जाना जाता है।
If this Universal- Hole (Black-Hole) do not fell slow "Dim" then it reach into Earth-Zone and then Sun will effected. It threatened to Sun. Sun enlightment the whole universe and three Loka's, it may converted in a dangerable black hole and start threw out fire-balls and become the cause of destruction and may be happened The End, of all creation on Earth in future at any time.
( All these written on the base of spiritual realization in meditation. )
MAHAKAAL
दास अनुदास रोहतास
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