Saturday, July 30, 2016
Thursday, July 28, 2016
Thursday, July 21, 2016
* VIVEKA *," विवेक शक्ति " परम शक्ति, राम कृपा, MEANING OF VIVEKA*
VIVEKA
विवेक शक्ति माया
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बिनु सत्संग विवेक ना होई,
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई ।
विवेक 'आदि शक्ति' चाहे कितना ही यज्ञ, तप, ध्यान, भग्ति करलें, बिना सत्संग के यह कृपा प्राप्त नहीं हो सकती और सत्संग के साथ-साथ श्री राम जी की कृपा का होना भी अति आवश्यक है जब तक मालिक की कृपा न होगी, इस विवेक दिव्य शक्ति DIVINE- VIVAK-POWER के कृपा पात्र होना, सुलभ होना सम्भव नहीं। भगवान के कृपापात्र होने और गुणातीत होने पर यह विवेक शक्ति हमें अन्तर्मुखी होने पर internal divine universe में दिव्य नेत्रों दू्ारा मनकी आखों से अंतह-कर्ण में और बाह्य-कर्ण में अनुभव कर सकते हैं यह विवेक शक्ति ही मालिक की विशेष कृपा है जो सूक्षम, DOT, 'बिन्द', रूपी " राम " के इर्द-गिर्द बाहर की ओर Ring के रूप में बराबर आकार में Like-Electric-Vaves की तरह फैलती हुई ध्यान अवस्था में अनुभव होती है जो निम्न चित्र में दरशाई गई है ताकि समझने में आसानी रहे। यह विवेक शक्ति ही अध्यात्मिकता और दिव्यता का मुख्य आधार है जो प्रभू कृपा होने पर केवल ध्यान में ही अनुभव कर सकते हैं इस प्रकार अध्यात्मिक जगत में परम तत्व को तात्विक्ता से जानना इसकी परम सत्ता परम शक्ति को भग्ति की गहराई में जाकर परम आत्म तत्व माया का अनुभव में आना आत्म तत्व का जगना, भान होना, दिव्य ज्ञान होना ही विवेक शक्ति का जाग्रित होना, परा- विद्धया, ब्रह्म-विद्धया का ज्ञान होना, परम आनन्द, विवेक है ।
अत: प्रभू कृपा + सत्संग + भग्ति ये तीनों और गुरू कृपा के साथ साथ होने पर ही विवेक शक्ति प्राप्त हो सकती हैं। जैसा कि हम ने ऊपर लिखा और पीछे भी अपने लेखों में बार-बार लिखते आ रहे हैं प्रभू कृपा बिना अध्यात्मिक जगत् में उन्नति असम्भव है मालिक कृपा होना अति आवश्यक है फिर सब सुलभ है।
विषेश:-
*Supreme Tatav + Supreme Power*
इस चित्र में यह दो चीजें साफ साफ दर्शाई गई हैं परम तत्व और परम विवेक जो हर सृस्टि में स्थूल व आंशिक रूप से स्वंमेव Systematiculy Automaticuly & Divinely हर जीव प्राणी जल चर थल चर नभ चर all creation & creature of God में आंशिक रूप से विद्धमान होते हुए नित्य प्राप्त है। यह निराकार शक्ति सहित सभी सृस्टियों में कर्म से कार्यविन्त है, सक्रीय हैं यही परम आत्म तत्व है जो हर प्राणियों के दिल की धडकन है जो अन्त समय तक हर सृस्टियों में धडकती रहती है। Yog होने पर दिव्य ब्रहम्डं में भगवान की माया का सभी योगी पुरुष दिव्य पुरुष अवतारी पुरुष अनुभव कर परम आनन्द को प्राप्त होते हैं यह अनुभव केवल परम भग्ति दू्ारा स्थिरप्रग्य होने पर ही सम्भव है। हर युग में विवेक शक्ति का जो मालिक की विषेश कृपा है शक्ति है चित्र में साफ-साफ परम तत्व में से प्रकट होती दिखाई दे रही का विषेश महत्व है। यही भगवान की विशेष माया है जिसे अध्यात्तम में Yog-Maya के नाम से जाना गया है। जिसे अध्यात्मिक जगत् में बाह्य-विद्या के नाम से भी जाना जाता है जिसकी सहायता से आजतक तीनों लोकों का समावित्व् व पूर्ण सत्ता् अपने अपने अस्तित्व पर कायम हैं।
" ऊं तत् सत् "
विवेक शक्ति माया
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बिनु सत्संग विवेक ना होई,
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई ।
विवेक 'आदि शक्ति' चाहे कितना ही यज्ञ, तप, ध्यान, भग्ति करलें, बिना सत्संग के यह कृपा प्राप्त नहीं हो सकती और सत्संग के साथ-साथ श्री राम जी की कृपा का होना भी अति आवश्यक है जब तक मालिक की कृपा न होगी, इस विवेक दिव्य शक्ति DIVINE- VIVAK-POWER के कृपा पात्र होना, सुलभ होना सम्भव नहीं। भगवान के कृपापात्र होने और गुणातीत होने पर यह विवेक शक्ति हमें अन्तर्मुखी होने पर internal divine universe में दिव्य नेत्रों दू्ारा मनकी आखों से अंतह-कर्ण में और बाह्य-कर्ण में अनुभव कर सकते हैं यह विवेक शक्ति ही मालिक की विशेष कृपा है जो सूक्षम, DOT, 'बिन्द', रूपी " राम " के इर्द-गिर्द बाहर की ओर Ring के रूप में बराबर आकार में Like-Electric-Vaves की तरह फैलती हुई ध्यान अवस्था में अनुभव होती है जो निम्न चित्र में दरशाई गई है ताकि समझने में आसानी रहे। यह विवेक शक्ति ही अध्यात्मिकता और दिव्यता का मुख्य आधार है जो प्रभू कृपा होने पर केवल ध्यान में ही अनुभव कर सकते हैं इस प्रकार अध्यात्मिक जगत में परम तत्व को तात्विक्ता से जानना इसकी परम सत्ता परम शक्ति को भग्ति की गहराई में जाकर परम आत्म तत्व माया का अनुभव में आना आत्म तत्व का जगना, भान होना, दिव्य ज्ञान होना ही विवेक शक्ति का जाग्रित होना, परा- विद्धया, ब्रह्म-विद्धया का ज्ञान होना, परम आनन्द, विवेक है ।
अत: प्रभू कृपा + सत्संग + भग्ति ये तीनों और गुरू कृपा के साथ साथ होने पर ही विवेक शक्ति प्राप्त हो सकती हैं। जैसा कि हम ने ऊपर लिखा और पीछे भी अपने लेखों में बार-बार लिखते आ रहे हैं प्रभू कृपा बिना अध्यात्मिक जगत् में उन्नति असम्भव है मालिक कृपा होना अति आवश्यक है फिर सब सुलभ है।
विषेश:-
*Supreme Tatav + Supreme Power*
इस चित्र में यह दो चीजें साफ साफ दर्शाई गई हैं परम तत्व और परम विवेक जो हर सृस्टि में स्थूल व आंशिक रूप से स्वंमेव Systematiculy Automaticuly & Divinely हर जीव प्राणी जल चर थल चर नभ चर all creation & creature of God में आंशिक रूप से विद्धमान होते हुए नित्य प्राप्त है। यह निराकार शक्ति सहित सभी सृस्टियों में कर्म से कार्यविन्त है, सक्रीय हैं यही परम आत्म तत्व है जो हर प्राणियों के दिल की धडकन है जो अन्त समय तक हर सृस्टियों में धडकती रहती है। Yog होने पर दिव्य ब्रहम्डं में भगवान की माया का सभी योगी पुरुष दिव्य पुरुष अवतारी पुरुष अनुभव कर परम आनन्द को प्राप्त होते हैं यह अनुभव केवल परम भग्ति दू्ारा स्थिरप्रग्य होने पर ही सम्भव है। हर युग में विवेक शक्ति का जो मालिक की विषेश कृपा है शक्ति है चित्र में साफ-साफ परम तत्व में से प्रकट होती दिखाई दे रही का विषेश महत्व है। यही भगवान की विशेष माया है जिसे अध्यात्तम में Yog-Maya के नाम से जाना गया है। जिसे अध्यात्मिक जगत् में बाह्य-विद्या के नाम से भी जाना जाता है जिसकी सहायता से आजतक तीनों लोकों का समावित्व् व पूर्ण सत्ता् अपने अपने अस्तित्व पर कायम हैं।
" ऊं तत् सत् "
Yog-Maya
Wednesday, July 13, 2016
Divine Power of God Dot & Ring
Divine Power of God
Dot & Ring
Hero & Zero
Purush & Prakriti
Param & Purshotam
Radha & Krishna
There are two main divine power of God which appeared during the beginning of the creation of the Shristi in Universe Divinly, Systematiculy and Automaticuly like as Dot and Ring. We can realize both of these divine powers during meditation in internal divine Universe. Dot situated in the center place in side of our bhircuty, while Ring realize circulating out side of our body as a divine safety Covach (Divine Ora) of our body only in meditation. Both Power become incarnated which showing in the image giving below.
" Incarnation of The Almighty God "
Incarnated Supreme Soul
Dot & Ring
Dot & Ring
Hero & Zero
Purush & Prakriti
Param & Purshotam
Radha & Krishna
There are two main divine power of God which appeared during the beginning of the creation of the Shristi in Universe Divinly, Systematiculy and Automaticuly like as Dot and Ring. We can realize both of these divine powers during meditation in internal divine Universe. Dot situated in the center place in side of our bhircuty, while Ring realize circulating out side of our body as a divine safety Covach (Divine Ora) of our body only in meditation. Both Power become incarnated which showing in the image giving below.
" Incarnation of The Almighty God "
Incarnated Supreme Soul
Dot & Ring
Das Anudas Rohtas
Tuesday, July 5, 2016
* LORD VISHNU IS HERO NOT ZERO *
🌷 Lord Vishnu Is Hero Not Zero 🌷
In fact Lord Shree Vishnu Ji, is Hero not Zero in Vishnu- Sahashernama in Hinduism:-
Now the question is What do you mean by Hero & Zero?
1. Hero
2. Zero
3. Adhi-God
5. The All Mighty God Lord Shree Vishnu Ji as a main power," Purana Patra "
" Hero of the Shristi "
Adhi-God appeared in His original Sakar Divine Form in MANUSHAM-RUPAM in India in 1996 at 9-17 pm.
" Lord Shree Vishnu Ji is Supreme Divine Power, Hero "
1. Respected devotees in this image Dot ( Bindu) is Supreme Divine Tatav, Supreme. Divine Soul, Supreme Divine power, like a brilliant Divine Diamond, The Almighty God," GOD ".
2. In this imsge there is special divine Zero like RING. Zero is also a Special divine Power as a safety cowach of Supreme Tatav, Dot. Both appeared at once in the beginning of the Shristi. Both Dot and Zero," Ring " are complitaly divine Tatav. They automaticuly and systematiculyly combined with each other to appeared in the universe in the beginning of the Shristi also. In Hinduisum spiritually they are known as "Radhe-Krishna ", "Radha-Swami", "Sita-Ram", because R ,stand for Ring and S, stand for Supreme Soul here.
3. In this image Adhi-God there are both power Adhi means Adhi-Shakti, God means Original Divine Glory of the Power God "The Formated God ". Only Formatted God appeared in the World and become the incarnation of God, again and again in this beautiful World, and live til mahaparlaya in the Shristi.
4. As Adhi-dav, in the shape of Trimurty, Tridave, Triguni-maya- Dharee ( Lord-Brahm, Lord-Vishnu, Lord-Shiva) here lord Shree Vishnu Ji is the main power one among of them. Lord Vishnu Ji is the main Divine Power of God Adhidave here.
5. Now you can understand with the help of these images that Lord Vishnu ji is Hero or Zero. In my vew in this beautiful World Lord Shree Vishnu is Hero not Zero.
Discussion with a Savtantarta- Sanani
Now the question is What do you mean by Hero & Zero?
1. Hero
2. Zero
3. Adhi-God
" Hero of the Shristi "
" Lord Shree Vishnu Ji is Supreme Divine Power, Hero "
1. Respected devotees in this image Dot ( Bindu) is Supreme Divine Tatav, Supreme. Divine Soul, Supreme Divine power, like a brilliant Divine Diamond, The Almighty God," GOD ".
2. In this imsge there is special divine Zero like RING. Zero is also a Special divine Power as a safety cowach of Supreme Tatav, Dot. Both appeared at once in the beginning of the Shristi. Both Dot and Zero," Ring " are complitaly divine Tatav. They automaticuly and systematiculyly combined with each other to appeared in the universe in the beginning of the Shristi also. In Hinduisum spiritually they are known as "Radhe-Krishna ", "Radha-Swami", "Sita-Ram", because R ,stand for Ring and S, stand for Supreme Soul here.
3. In this image Adhi-God there are both power Adhi means Adhi-Shakti, God means Original Divine Glory of the Power God "The Formated God ". Only Formatted God appeared in the World and become the incarnation of God, again and again in this beautiful World, and live til mahaparlaya in the Shristi.
4. As Adhi-dav, in the shape of Trimurty, Tridave, Triguni-maya- Dharee ( Lord-Brahm, Lord-Vishnu, Lord-Shiva) here lord Shree Vishnu Ji is the main power one among of them. Lord Vishnu Ji is the main Divine Power of God Adhidave here.
5. Now you can understand with the help of these images that Lord Vishnu ji is Hero or Zero. In my vew in this beautiful World Lord Shree Vishnu is Hero not Zero.
Discussion with a Savtantarta- Sanani
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It is very interesting spiritual divine story, and have a deep divine knowledge. Once there was The day of Satsung in the Historical city Kurukshetra in the presence of Ake Nam Dave Swami. I wear Mala in Turin. An old man 80 year old, come to me in my life in 1990, & say that He was a Savtantarta- Sanani, ask me that, can I ask you why you wear this Mala ? because Malana wear only Stupid-Man or Gentalmen, the Great- Soul, yogi Purush Giyani Purush, or who they are Muktanand, whom they are Zero, but you can not be Zero. I was hearing Him scilently, that what he is going to say. Again he said to me, A Mr please listion to me.
I am a old man and go to here and there from Kashmir to kanya-kumari in my whole life in search of Answer of my question but no Sant and not any great men give answer Satishfidely to me in India.
"Question and Answer between. Savtantarta-Sanani and Shree Rohtas Ji"
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Que:- What do you mean by Zero ?
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Ans:-----
We told him that it is very easy for me but is very dangerable. We drawing a Zero on a white paper and show him, and told the oldman that Zero is the Symbol of Chakra-Viyuh of Mahabharata for Abhimanyu by Corvas in Dwapar-Yuge where all the worriors of both side lay-down to death for ever. Next this is the great Boundry-wall of the ground of Jalianwala- Garden in Amritsar- city in Panjab ,where our Many Worriors were Sahid for freedom of our Country India. So Zero is very sorrowful memory for us. On the other hand, Spiritually, it is the boundry-wall of Natural Virtues as "JIVATMA" and in the presence of these natural virtues in our life We can not success to achive the gole of our life to enjoy peace in our life and to be + Yog with God. Only after breaking this natural-virtuous Boundry-wall, of " ZERO " with the help of true worship of God by deep meditation without any attechment to natural-virtues being consciousness and with stability of mind. Being Virtuousless " GUNATEET " we can surily success to realize the divine activities of God in our life.
The old man who was a (Savtantarta- Sanani ) satishfied with my answer and told me that, you can wear your Mohini Mala, your Mala is True and Now you are Hero.
So Lord Shree Vishnu Ji is Owner of the main Divine Adhi- power of The Almighty God As a Sudershana- Chakra. Sudarshana-Chakra is also like Zero. With the help of this Suderhana- Chakra Lord Vishnu Ji can appeared in a moment at any where, there He wants to appeared in the Shristi automaticuly, and can disappeared in a moment also. So it does not mean that Lord Vishnu Ji is Zero. Lord Vishnu Ji is Original Hero, Hero of this beautiful Shristi, because He is the real Owner of complitaly all divine Powers and," SUDARSHAN-CHAKRA " The main power of God.
Das Anudas Rohtas
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