Tuesday, September 26, 2017

ऐसी कौनसी जगह है जहां जाने पर आत्मिक शान्ति मिले ?

                     

Que:---Joshi Purohit Dhilpa on Facebook Adhyatam Sagar Personotry Shanks Samadhan at 12-50 am on 26-9-17 ***** ऐसी कौन सी जगह है जहां जाने पर आत्मिक शसन्ति मिले ?
Answer by Minaxi Verma:--- * Death *
Reply by Rohtas :---

जय श्री कृण्णा जी,

                * Death के बाद शांति का अनुभव कौन करेगा बेटा जी *
सच्ची शांति तो केवल अनन्य भग्ति द्वारा प्राप्त मुक्ति पद्ध के बाद कुछ समय के लिये जिवात्मा को मिलती है वह भी पुन्य फल भोग पुनह: जन्म ले, शरीर धारण कर, जीव का अपने शेष कर्मों के लिये मृत्यु लोक में आना जाना लगा  रहता है यहां तक आवागमन का चक्र लगा रहता है। हां, प्रभू कृपा होने पर, मोक्ष पद्ध की प्राप्ती करने के बाद पून्य जिवात्मा," सूक्ष्म शरीर " जिसको प्रभू गुणातीत होने पर, अपना कृपा पात्र मान ,दया कर पून्य: दिव्य आत्मा को किसी लोक या किसी ऊंचे धाम मे निश्चित अवधि तक, शांति सुख भोगने के लिये स्वर्ग आदि लोक में भेज देते हैं । अर्थात केवल Holy Soul जिन्हे मोक्ष पद्ध का अधिकार पा लिया है, वही पून्य दिव्य आत्माऐं ऊंचे धाम स्वर्ग आदि लोक में शान्ति मय समय काल पूरा कर अंत में प्रलयकाल के समय प्रभू, परिमल पर्शन, Narayana की सही तरह खोज कर, उसकी शरण में समर्पित हो, योग होने पर, "परम धाम यानी", परम शान्ति का प्राप्त होती हैं।
 जय श्री राम

                        Om Shanti Ji

                                        दास अनुदास रोहतास

Saturday, September 23, 2017

* SUPREME SOUL * TATAV LEELA & KIND OF TATAV

             * SUPREME SOUL *
 Tatav Leela Darshana realization during meditation in internal divine universe by Tatvik- Rohtas in present Yuge, Kal-Yuge.
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Kinds of Divine Tatav
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                              1. TATAV


2. Superior Supreme Tatav, " Par-Brahim Tatav "
VASHUKI Tatav
  

3. Adhi God Tatav

4.  Supreme Lord SESH- Tatav ," Vishnu Tatav "



5. Dav Tatav, 

  

5. Daties Divine TATASTH- Tatav, " Avatar Tatav "


6. Common Tatav, Tatav in Shristie


                      Das Anudas Tatavik Rohtas


Friday, September 15, 2017

Question is Soul are Limited or Unlimited


 Question by Anoop Kumar on adhyatemik Sager.   Question Answer, Shanka- Samadhan ------------Face-Book:---

******** Souls are Limited or Unlimited, and  Whome soul take re-birth in the World*** ?



Answer by Rohtas :---
*****"**********

    Jai Shree Krishna Ji

1. Superior Suprem Soul, is one
2. Formatted God's Supreme Soul is One
3. Supreme Soul Aadhi-God's Soul is one
4.  Supreme Soul Lord Trimurti God's Soul is           also One,
5.  Daties Souls are Limited
6. While Virtuous souls, Jiwattama's are Unlimited in many kind of human's & creature's bodies in this Wonderful and beautiful Shristi created by The Almighty God.

         And all these unlimited (Shristies ) Jiwattamas take Re-Birth again and again due to their's Karams (Fruit of Actions) on this Holy-Earth in this beautiful Divine Shristi.

                                  Das Anudas Rohtas

Friday, September 8, 2017

* What is God ? *

Thursday, September 7, 2017
                  * What is God? *

Que: ---- What is God ? ------ 

            Our heart felt greetings to all of you ! Jai Shri Krishna, dear self, was asked about our own, what is God?

 Answer: ------- by Rohtas -----       

            We want to remove this suspension. Now believe and do not believe it is the personal right all of us. We are all free. God is God, he is inferior while being a disciplinarian based on his divine latitude.
       
          The divine form of Lord God
  


             * God is the bitter truth.*

              God's ultimate authority never holds an incarnation. Lord Divine form is the only embodiment. Creation and appearance of God is completely Divinely, automatically and systematically generated, in the Shristi. Now there is no doubt, who appears or happens? God creates his own leela in the universe, first of all he composes the composition of his own divine, "format" The Formated God, which is absolutely perfect, his perfect divine quality, which is a perfect divine, is known in Hinduism as the name of God. This is what Adi God has created in the form of his Trigunya Maya Dhari, composition of Lord Brahma, Vishnu, Mahesh etc. and comprehends the creation of his three qualities and the Mahapralaya., These are Gods till God, and whenever they want it, gracefully becomes present before their ultimate Bhagat.

               We have come to God very closely and calmly.  God gave us special grace to show our Divine Reality in the form of beautiful Lord Narayana, in the form of God, which we have seen in our material worldly sight and after some time God has become infinite. This happens only after the Era-Yugantar when God appears on this sacred trust to encourage any of his ultimate characters in the form of Sarasvati in the form of a joy, and to encourage them. 

             Now we will only say that Lord is God. We've warrant Vishwash you fill, "God.

               * Realizing as Mr. Lord *
  

              On the other side, God is also a divine power, formless form of Divine form, whose philosophy is very rare. After doing this very unique exudence, by observing the personal divine eyes through the divine eyes, only by personal experience can it be observed only by the Yogis, And the bridegroom and the curious who are the ultimate bhaktas of God, they can observe and always earn and do the same. God's special mercy remains upon them.
Please be satishfied Now: -
            It is the matter of confidence and self realization. So there is value of self realization in meditation, spiritualuality and divinity and no one can show to others. 
   Spiritual Truth   
                               Das Anudas Rohtas

Avtari Purush Rohtas at 11:05 PM

Thursday, September 7, 2017

* क्या भगवान हैं ? *

Que:----क्या भगवान हैं ?------
            ----------------------

आप सब को हमारा हार्दिक नमस्कार !
जय श्री कृष्णा जी,

प्रिय आत्मजन्, हमारे से भी यह बात पूछी गई कि

क्या भगवान हैं ?
Answer:-------by Rohtas-----

             देखिये हम यह संका दूर करना चाहते हैं अब मानना और न मानना यह हम सबका व्यक्तिगत अधिकार है हम सब स्वतन्त्र है।
भगवान तो भगवान हैं वह तो अपने दिव्य अक्षांश पर निराकारा रूप में स्थितप्रज्ञ होते हुए विद्धमान हैं।
                          श्री भगवान का दिव्य निराकार रूप
  

* भगवान हैं यह कटु सत्य है।*

भगवान की परम सत्ता कभी अवतार धारण नहीं करती भगवान का दिव्य प्रारूप ही अवतार धारण करते हैं।
Creation and appearance of God is completely Divinely, automatically and Systematically generated, in the Shristi.

अब फिर प्रशन्न है, तो प्रकट कौन हुआ या होता है ?

भगवान सृस्टि में अपनी लीला खुद रचते हैं जिसमें सबसे पहले वो अपने एक दिव्य ," प्रारूप " The Formated God की रचना रचते हैं जो बिल्कुल अपने अनुरूप, पूर्ण दिव्य गुण सम्पन्न, जो पूर्ण दिव्य होता है यह हिन्दूइजम में आदि ईष्वर के नाम से जाना गया है यही आदि भगवान अपनी त्रीगुणी माया धारी, रचना द्वारा ब्रह्मं, विष्णु, महेष आदि भगवान की रचना रचते हैं और अपने तीनों गुणो से सृष्टि का पालना करते हैं और महाप्रलया तक यहि आदि भगवान होते हैं और जब भी यह चाहें कृपा कर अपने परम भगत के समक्ष प्रकट हो अन्तर्ध्यान हो जाते हैं।
हमनें भगवान को बहुत नजदीक व तसल्ली से निहारा है।
भगवान ने हम पर विशेष कृपा कर अपना दिव्य साकार मोहनी अति सुन्दरत्तम Lord Narayana रूप में साक्षात प्रकट हो दर्शन दे कृतार्थ किया, जिन्हें हमने अपनी भौतिक सांसारिक दृष्टि से साक्षात अवलोकन किया और फिर कुछ समय पश्चात भगवान अन्तर्ध्यान हो गये। ऐसा केवल युग-युगान्तर के बाद ही होता है जब भगवान अपने किसी परम पात्र को साक्षात रूप में दर्शन दे आनन्द विभोर कर प्रोत्साहित करने हेतू इस पवित्र धरा पर प्रकट होते हैं।
अब हम तो यही कहेंगे श्री भगवान हैं। हम आपको पूरण विष्वाश दिलाते हैं," भगवान हैंं।
                           * श्री भगवान का साकार रूप *
  

             दूसरे भगवान एक दिव्य शक्ति है निराकार दिवय रूप भी है जिनके दर्शन बहुत दुर्लभ हैं यह बहुत गहरी अनन्य भग्ति करने के बाद दिव्य नेत्रों द्वारा व्यक्तिगत दिव्य ब्रह्मांड में अन्तर्मुखी होने पर ही, व्यक्तिगत अनुभव द्वारा अवलोकन कर सकते हैं यह केवल योगी पुरुष दिव्य पुरुष, व लग्नेषू एवं जिज्ञाषू जो भगवान के परम भग्त हैं वो ही अवलोकन कर सकते हैं और हमेशा करते आय हैं और करते रहेंगे। भगवान की इन पर विशेष कृपा बनी रहती है ।
Please be Satishfied Now :--
            It is the matter of confidence and self realization. So there is value of self realization in meditation, Spirituality and Divinity and No one can show to others.

Latest Self Divine Realization during meditation and Original Divine Form of The Almighty God at 9-15 am on 14-9-17.

                * Triloki Ke Nath In Three Lokas *
   


                                       Das Anudas Rohtas