Que:---- By Shree Durgesh Giri :---अध्यात्तम सागर प्रश्नोत्तरी शंका समाधान at Facebook on 26-10-17 ईश्वर (भगवान) साकार हैं या निराकार ? कृप्या स्पष्ट करें *****
Answer :----Rohtas
श्री मान जी नमस्कार,
श्रीमान जी, अध्यात्मिक दृष्टि से, According to Hinduism वेसे तो भगवान के अनेक दिव्य रूप हैं, जिनसे भगवान दिव्य अवस्था में अन्तर्मुख होते हुए, आन्तरिक दिव्य ब्रह्मांड में प्रकट होने पर अनुभव होते हैं और साकार रूप में भौतिक शरीर से इस अद्धभुत भोतिक संसार में, युग-युगान्तर के बाद कभी- कभार साक्षात प्रकट हो, अपने परम स्नेही भग्त जनों को दर्शन दे, उन्हें रिझाते रहते हैं, और उन्हें भग्तिमार्ग में प्रोत्साहि करते रहते हैं, जिनमें से यह दो रूप विशेष हैं जो निम्न रूप में दर्शाये गये हैं। भगवान का दिव्य रूप जो अन्तर्मुख होते हुए, ध्यान योग द्वारा अनुभव होता है, निराकार हैं और भगवान का साकार रूप भी हैं। साकार रूप को भगवान चाहें तो अपने अनन्य परम स्नेही भग्तजनों को अपने अति सुन्दर मोहिनी साकार रूप का साक्षातकार भी करा सकते हैं।
* दिव्य निराकार रूप *
* दिव्य साकार साक्षात रूप *
अत: भगवान की अति विशेष कृपा होनी चाहिये। दोनों रूपों में प्रकट होने पर प्रभू दर्शन सम्भव हो सकता हैं। भगवान वर्तमान युग कलयुग में सन् 1996 में अपने अति सुन्दर, मोहनी, दिव्य साकार रूप," मानूषं रूपं " रूप में साक्षात प्रकट हो, अपने परम भग्त पर विशेष कृपा कर, दर्शन दे कृतार्श कर, कुछ समय बाद अन्तर्ध्यान हो गये। भगवान बडे दयालू हैं, कृपालू हैं, भग्ति पूर्ण होने पर, चाहे कोई भी है, चाहे किसी भी जाती, धर्म, लिंग, समुदाय से सम्बन्ध रखने वाला हो, भगवान की नजरों में सब जीव, प्राणी, एक समान हैं। भग्ति पूर्ण होने पर अपने परम भग्त, लग्नेषू, जिज्ञाषू, दिव्य पूरुष, योगी पुरूष, कोई भी भगवान का विश्वाशपात्र होने पर, भगवान अवश्य दर्शन देते हैं और कृतार्थ कर, जीवन धन्य बना, परम शान्ती प्रदान करते हैं जिससे जीव को परमानन्द की प्राप्ति हो जाती है, सो सभी प्राणियों को अनन्य भग्ति कर प्रभू को अनुभव में लाने का प्रयास करना चाहिये वो नित्य प्राप्त हैं जो हर प्राणी का यह अनमोल जीवन पाने का एकमात्र उद्धेष्य है।
Om Namo Narayana Ji
दास अनुदास रोहतास
Answer :----Rohtas
श्री मान जी नमस्कार,
श्रीमान जी, अध्यात्मिक दृष्टि से, According to Hinduism वेसे तो भगवान के अनेक दिव्य रूप हैं, जिनसे भगवान दिव्य अवस्था में अन्तर्मुख होते हुए, आन्तरिक दिव्य ब्रह्मांड में प्रकट होने पर अनुभव होते हैं और साकार रूप में भौतिक शरीर से इस अद्धभुत भोतिक संसार में, युग-युगान्तर के बाद कभी- कभार साक्षात प्रकट हो, अपने परम स्नेही भग्त जनों को दर्शन दे, उन्हें रिझाते रहते हैं, और उन्हें भग्तिमार्ग में प्रोत्साहि करते रहते हैं, जिनमें से यह दो रूप विशेष हैं जो निम्न रूप में दर्शाये गये हैं। भगवान का दिव्य रूप जो अन्तर्मुख होते हुए, ध्यान योग द्वारा अनुभव होता है, निराकार हैं और भगवान का साकार रूप भी हैं। साकार रूप को भगवान चाहें तो अपने अनन्य परम स्नेही भग्तजनों को अपने अति सुन्दर मोहिनी साकार रूप का साक्षातकार भी करा सकते हैं।
* दिव्य निराकार रूप *
* दिव्य साकार साक्षात रूप *
अत: भगवान की अति विशेष कृपा होनी चाहिये। दोनों रूपों में प्रकट होने पर प्रभू दर्शन सम्भव हो सकता हैं। भगवान वर्तमान युग कलयुग में सन् 1996 में अपने अति सुन्दर, मोहनी, दिव्य साकार रूप," मानूषं रूपं " रूप में साक्षात प्रकट हो, अपने परम भग्त पर विशेष कृपा कर, दर्शन दे कृतार्श कर, कुछ समय बाद अन्तर्ध्यान हो गये। भगवान बडे दयालू हैं, कृपालू हैं, भग्ति पूर्ण होने पर, चाहे कोई भी है, चाहे किसी भी जाती, धर्म, लिंग, समुदाय से सम्बन्ध रखने वाला हो, भगवान की नजरों में सब जीव, प्राणी, एक समान हैं। भग्ति पूर्ण होने पर अपने परम भग्त, लग्नेषू, जिज्ञाषू, दिव्य पूरुष, योगी पुरूष, कोई भी भगवान का विश्वाशपात्र होने पर, भगवान अवश्य दर्शन देते हैं और कृतार्थ कर, जीवन धन्य बना, परम शान्ती प्रदान करते हैं जिससे जीव को परमानन्द की प्राप्ति हो जाती है, सो सभी प्राणियों को अनन्य भग्ति कर प्रभू को अनुभव में लाने का प्रयास करना चाहिये वो नित्य प्राप्त हैं जो हर प्राणी का यह अनमोल जीवन पाने का एकमात्र उद्धेष्य है।
Om Namo Narayana Ji
दास अनुदास रोहतास
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