शिक्षा चौहान- अध्यात्मिक सागर प्रशन्नोत्तरी शंशंका समाधान
ऊत्तर by रोहतास -
जय श्री कृष्णा,
श्रीमसन जी यहां पर कुछ मार्मिक शब्द उपयुक्त होने चहिये जैसे अध्यात्मिकता के आधार पर कौनशा योग मार्ग, भग्तियोग मार्ग या ज्ञानयोग मार्ग में से कौनसा योग मार्ग उपयुक्त है जिसको हम अपने जीवन में अपनाए जो सर्वस्रेष्ट मार्ग हो जिससे प्रभू के दिवय रूप के दर्शन हो सकें, या प्रभू का साक्षात्कार हो जाय। " हमने पहले भी लिखा है प्रशन्न सही होगा तो उसका ऊत्तर सही मिलेगा।" दूसरी ओर अगर हम भगवान तक जाने की बात करें तो * भगवान तो नित्य प्राप्त हैं * कहीं जाने का स्वाल ही पैदा नहीं होता हां Its a Matter of Self Realization . यह तो व्यक्तिगत अनुभव का विषय है अर्थात अध्यात्मिकता के आधार से लें, तो भग्ति मार्ग ही सर्वश्रेष्ट मार्ग हैं भगवान केवल भग्ति से ही प्रशन्न हो कर प्रकट हो अपने भग्त को आनन्दविभोर होने का अवसर प्रदान कर सकते हैं
वह इस लिये कि कर्म योग, ज्ञान योग, सांख्य योग, लययोग, हठयोग, नाम योग, भग्तियोग कोई भी योग हो अर्थात भग्ति में कोई भी मार्ग हो ध्यान योग के बिना सब अधूरे हैं दिव्य अनुभव केवल ध्यान योग से ही अनुभव होना सम्भव है और ध्यान योग भग्तियोग का ही महत्वपूर्ण अंश है इसलिये भग्तियोग सर्वश्रेष्ट योग है सर्वश्रेष्ट मार्ग है। भगवान के परम भग्त, लग्नेषू, जिज्ञाषू, परम स्नेही भग्त जन प्राय:, जबसे सृस्टि बनी आजतक, भग्तिमार्ग ही अपनाते आये है और अपने अध्यात्मिक जीवन मे अन्तर्मुखी होते हुए दिव्य अनुभव प्राप्त कर, भग्ति का आनन्द ले, शान्ति प्रिय: जीवन व्यतित करते आय हैं जिससे विष्व में शान्तिप्रिय: वातावर्ण का सक्षम होना सम्भव है और जो हमारे जीवन का परम लक्ष भी है।
जहां तक साक्षातकार की बात है यह भी हर युग में भगवान अपने परम भग्त की भग्ति पूर्ण होने पर साकार रूप में अपने भग्त के समक्ष उसे प्रोत्साहित करने हेतू कुछ क्षण के लिये प्रकट होते आय हैं अब भी वर्तमान युग कलयुग में भगवान साकार रूप में साक्षात रूप में प्रकट हो चुके हैं लेकिन यह सब अनन्य भग्ति करने पर ही सम्भव हुआ है इसलिये अध्यात्मिकता के आधार पर भग्तिमार्ग ही सर्वस्रेष्ट मार्ग है।
धन्यवाद सहित
दास अनुदास रोहतास
ऊत्तर by रोहतास -
जय श्री कृष्णा,
श्रीमसन जी यहां पर कुछ मार्मिक शब्द उपयुक्त होने चहिये जैसे अध्यात्मिकता के आधार पर कौनशा योग मार्ग, भग्तियोग मार्ग या ज्ञानयोग मार्ग में से कौनसा योग मार्ग उपयुक्त है जिसको हम अपने जीवन में अपनाए जो सर्वस्रेष्ट मार्ग हो जिससे प्रभू के दिवय रूप के दर्शन हो सकें, या प्रभू का साक्षात्कार हो जाय। " हमने पहले भी लिखा है प्रशन्न सही होगा तो उसका ऊत्तर सही मिलेगा।" दूसरी ओर अगर हम भगवान तक जाने की बात करें तो * भगवान तो नित्य प्राप्त हैं * कहीं जाने का स्वाल ही पैदा नहीं होता हां Its a Matter of Self Realization . यह तो व्यक्तिगत अनुभव का विषय है अर्थात अध्यात्मिकता के आधार से लें, तो भग्ति मार्ग ही सर्वश्रेष्ट मार्ग हैं भगवान केवल भग्ति से ही प्रशन्न हो कर प्रकट हो अपने भग्त को आनन्दविभोर होने का अवसर प्रदान कर सकते हैं
वह इस लिये कि कर्म योग, ज्ञान योग, सांख्य योग, लययोग, हठयोग, नाम योग, भग्तियोग कोई भी योग हो अर्थात भग्ति में कोई भी मार्ग हो ध्यान योग के बिना सब अधूरे हैं दिव्य अनुभव केवल ध्यान योग से ही अनुभव होना सम्भव है और ध्यान योग भग्तियोग का ही महत्वपूर्ण अंश है इसलिये भग्तियोग सर्वश्रेष्ट योग है सर्वश्रेष्ट मार्ग है। भगवान के परम भग्त, लग्नेषू, जिज्ञाषू, परम स्नेही भग्त जन प्राय:, जबसे सृस्टि बनी आजतक, भग्तिमार्ग ही अपनाते आये है और अपने अध्यात्मिक जीवन मे अन्तर्मुखी होते हुए दिव्य अनुभव प्राप्त कर, भग्ति का आनन्द ले, शान्ति प्रिय: जीवन व्यतित करते आय हैं जिससे विष्व में शान्तिप्रिय: वातावर्ण का सक्षम होना सम्भव है और जो हमारे जीवन का परम लक्ष भी है।
जहां तक साक्षातकार की बात है यह भी हर युग में भगवान अपने परम भग्त की भग्ति पूर्ण होने पर साकार रूप में अपने भग्त के समक्ष उसे प्रोत्साहित करने हेतू कुछ क्षण के लिये प्रकट होते आय हैं अब भी वर्तमान युग कलयुग में भगवान साकार रूप में साक्षात रूप में प्रकट हो चुके हैं लेकिन यह सब अनन्य भग्ति करने पर ही सम्भव हुआ है इसलिये अध्यात्मिकता के आधार पर भग्तिमार्ग ही सर्वस्रेष्ट मार्ग है।
धन्यवाद सहित
दास अनुदास रोहतास
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