प्रशन्न :---मोक्ष का तात्पर्य क्या है और क्या मोक्ष मरने के बाद ही प्राप्त हो सकता है ?
ऊत्तर by रोहतास
संक्षिप्त में,
आदर्णिय श्रीमान जी,
मोक्ष जीव को जीते जी अर्थात जीवनकाल में ही अनन्य भग्ति द्वारा प्रभू कृपा होने पर ही ( केवल मोक्ष प्राप्ती का अधिकार ) भगवान जीव को यानी अपने परम भग्त को प्रदान कर उस जीव को (rebirth) होने पर किसी सवर्ग आदि सुन्दर दिव्यलोक में सुरक्षित स्थान प्रदान कर देते हैं और इस प्रकार मोक्ष प्राप्त सभी जीव आत्माऐं महाप्रलया के समय अपने मोक्ष प्राप्त अधिकार का सद्उपयोग करते हुए, परम आत्मा में संलिप्त होने पर मोक्ष को प्राप्त हो जाती हैं जब से सृष्टि बनी आजतक देवी, देवता, और तो क्या ब्रह्मा, विष्णु, महेष, आदि महानत्तम आत्माओं तक किसी को भी मोक्ष नहीं मिला हां सभी को मोक्ष अधिकार प्राप्त हैं और सभी महान आत्माऐं या तो उन्हें इस सुन्दर सृस्टि में किसी न किसी लोक का स्वामित्व सोंप दिया जाता है या फिर सवर्ग आदि, दिव्य सुन्दर लोकों में सुरक्षित परम आनन्दित हैं। जिन्हें केवल भगवान के परम भग्त, लग्नेषू , जिज्ञाषू, योगीपुरुष, या अवतारी पुरुष दिव्य चक्षूओं की सहायता से प्रभू कृपा होने पर ही, अन्र्तर्मुखी होते हुए अनुभव कर सकते हैं।
ध्यान रहे :-
1. मृत्यु स्थूल शरीर की होती है
2. मुक्ति सूक्षम शरीर की होती है
3. मोक्ष कारण शरीर को मिलता है
अध्यात्मिक सच्चाई
दास अनुदास रोहतास
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