There are many Kinds of
divine Forms of Tatav " God "
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There are so many kinds of divine forms of God realized, divinaly and generaly in the Spiritual world. Some of them can expirienced by deep meditation and true devotional Yoga, being introvert with conciousness and stable mind. Which are showing below.
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There are so many kinds of divine forms of God realized, divinaly and generaly in the Spiritual world. Some of them can expirienced by deep meditation and true devotional Yoga, being introvert with conciousness and stable mind. Which are showing below.
Self-realization has more importance in divinity than knowledge in spiritually.
Kinds of Divine Bodies:--
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🌷 जन्म कर्म: च में दिव्यम् एवं यो वेत्ति तत्वतः त्यक्त्वा देहं पुनर जन्म नैति माम् एति सो अर्जुन 🌷
हे अर्जुन, जो मेरे दिव्य स्वरूप और अलौकिक गतिदिव्यों की दिव्य प्रवृतियों को जानता है, वह शरीर छोड़ने पर इस भौतिक संसार में फिर से जन्म नहीं लेता है, बल्कि मेरे शाश्वत निवास Existence of God को प्राप्त होता है।
Lord Shree Krishna says to Arjuna:---
Hey Arjuna...........
My birth and activities are Divine. Who know me in reality and Tatavikly, does not take birth again and again in this world and after leaving his physical body attained to Me.
परम स्नेही भग्त जनों, यहां पर रूहानी Discussion हो रहा है। पीछे हमने भगवान के दिव्य शरीरों के बारे में जिकर किया था कि आगे चल कर हम आपको इन्हें दर्शाने का प्यास करंगे । सो आज हम प्रभू कृपा के होते हुए दर्शाने का प्रयास करेंगे।
" अद्वैत्वम अच्युत्तम अनादिम अनंत-रूपं "
ब्रहं संहिता-5.33 ...........
.......में कहा गया है कि जब से यह सुन्दर सृष्टि बनी, यहां भगवान के कई रूप व अवतार हुए हैं । यद्धपि भगवान के अनेक रूप हैं, फिर भी वो एक ही परम व्यक्तित्व हैं। * कृपया ध्यान दें * भगवान के समस्त दिव्य शरीर कर्मश: एक ही परम व्यक्तित्व में अपने आप में पिरोये हुए हैं, जो दिखाई नहीं देते, जो अंतर्मुख होने पर केवल दिव्य नेत्रों द्वारा ही, in I D U में जाकर अनुभव हो सकते हैं। यह सब क्रमश: एक परम कृपा पात्र में पिरोय हुए हैं, अलग- अलग से नहीं ।
" Because it is the matter of Self realization "
" अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं वह पुस्तको और विश्वविध्यालयों में नहीं मिलते।"
अर्थात बुद्धजिवी, दिव्य पुरुष, वि द्धूवान, अनुभवजन्य, दार्शनिक, वैज्ञानिक भी इन्हें समझने में असमर्थ हैं। इसे तो केवल अनन्य भग्ति कर प्रभू कृपा होने पर भगवान के परम भग्त ही अन्तर्मुख होते हुए, अपने दिव्य ब्रह्माण्ड में, गहराई में जाकर, मन की आंखों से, दिव्य नेत्रों द्वारा ,अनुभव कर सकते हैं। जैसा कि वेदों, प्राणों ,(पुरुष-बोधिनी, उपनिषद्) सास्त्रों में कहा गया है।
अब हम आपको भगवान के दिव्य शारिरिक रूपों को दर्शाने का प्रयास करते हैं, जो हमें अनन्य भग्ति करते हुए, गहरे ध्यान योग की अवस्था में अनुभव हुए । जिन्हे हमने अनुभव के आधार पर चित्रित किया हुआ है।
2. Parkash Roopy - Tatav.
3. Supreme Divine Tatav, Atom " God "
4. Divinity in Supreme Atom made by N P E Nutron Proton Electron = Atom, Lord God divinely
5. Supreme Tattav + Mahamaya, Gravity power
Krishna Tatav + Radha Tatav
" Vishnu Tatav + Follow of Creatures Tatav "
7. Superior Supreme Tatav Aadhi God, Formatted God
8. Perbh- Jyot - Jayoti Srup Bhagwan
9. Triguni Maya Dhari Aadhi God
11. Divine Virtuous Body
14. Lord God " Narayana "
15. Re-incarnated of God. Now Lord Krishna become re-Incarnated in divine body of Lord Narayana. Lord Krishna obtained Shuksham Sarira of Narayana and Karan Srira of supreme Tatav " Param Tatav " of Aadhi God " Param-Tatav-Atom. In this way lord Krishna was Avtari of Narayana And avatar of lord Vishnu and owner of the Sudershan Chakra also
अत: जो भगवान में दृड निश्चय कर, पूर्ण विश्वास करता है, कि श्री कृष्ण ही वास्तव में भगवान के दिव्य परम आंशिक तत्व हैं " बस इतना ही समझ लेने पर " उस जीव की, उस प्राणी की मुक्ति हो जाती है!
कोई भी प्राणी या व्यक्ति परम भगवान को सरल भाव से अनन्य भग्ति करता हुआ तात्विकता से जानने पर और अनुभव में लाने पर ही, जन्म और मृत्यु से मुक्ति और मोक्ष की अवस्था को पूर्णत: प्राप्त कर सकता है । ईश्वर की अनन्य भग्ति के शिवा प्रभू को अनुभव में लाने का और अन्य कोई रास्ता है ही नहीं।
हमारा भी अनुभव यही है कि भगवान के कर्म व जन्म दिव्य व आलोकिक है और It is the matter of self realization जिसे केवल हम अनन्य भग्ति द्वारा ही ईश्वर जो हमें नित्य प्राप्त हैं और जो हमारे हृदय रूपी मन मन्दिर में परम सूक्ष्म तत्व के रूप में विराज मान हैं को ईश्वर की अनन्य सरल भग्ति द्वारा अनुभव कर सकते हैं।
दास अनुदास रोहतास
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Search of Truth
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Kinds Of Physical Body:----------
O. Dhavnimaya Srira, Voice, invisible
1 Parkas Roop.
3. By deep meditation being concioucness and stable mind being introverted and after obtaining Divine Viveka and plush with God then we can realize Mahamaya "A Special Divine Power of God" .
6. Jivatama
7. Suksham Srira " Virtuous Body "
8. Sathul Srira
10. Human's Divine Power Realization
Note:-
All these above divine realizations are possible only after kindness and blessing by God, with a special kind of devotional power," VIVEKA " (A key for divinity and spirituality), presented by The Almighty God.
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