Tuesday, July 18, 2017

* योगमाया क्या है ? *

                     
                         * योग-माया *  

                       योगमाया क्या है ?
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                  योग-माया साकार रूप में

                   

          योग माया के ऊपर लेख लिखना इतना आसान नहीं फीर भी कोशिश करते हैं भगवान कृपा करें !

योग + माया :

           परा शक्ति जब मृत्युलोक में अवतार धारण करती है तो अपने परम भग्तों को रिझाने हेतु मालिक अपनी लीला को रचते हैं। यह समस्त सृष्टि उसकी रचना है योग का मतलब सब जानते हैं माया का मतलब है भगवान की वह दिव्य शक्ति जो सबको दिखाई नही देती केवल भगवान के जिज्ञाषू परम भग्त, दिव्य पुरुष व अवतारी पुरुषों को यह लीला अवलोकान करने का अवसर प्राप्त होता है जिस शक्ति के सद्उपयोग दूआरा भगवान सृष्टि में एक जगह से दूसरी जगह प्रकट होते हैं । भगवान क्षणभंगुर हैं और यह दिव्य गुण केवल ईश्वर के पास ही है जिससे भगवान सर्वव्यापी होते हुए भी निर्लेप हैं वह सूक्षम से सूक्षम होते हुए भी तीनो लोकों के मालिक है अर्थात सभी सृष्टियों में एक साथ व्याप्त होकर भी निर्लेप हैं वह  सभी प्रकृतियों मे रह कर भी अजर हैं अमर हैं Immortal हैं । यह जो " चेतनता " दिव्य गुण है  यही माया है इसी चेतन शक्ति के दूअरा प्रकट होना और फिर इस शक्ति को अपने में पूर्णत: समेट लेना और योग हो जाना ही योग माया है । इस चेतन शक्ति पर केवल परम पिता प्रमात्मा का ही अधिकार है जिसे प्रभूसत्ता भी कहते है इसे परमपद्ध नाम से भी जाना जाता है यही भगवान की माया है जिसे योग माया के नाम से जाना जाता है परम योगी पर मालिक की विशेष कृपा होने पर इस सुशक्ति का अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिल जाता है केवल मालिक की कृपा होने पर जिसकी सहायता से सभी लोको का अवलोकन करने का अवसर प्राप्त हो जाया करता है। यह आदि शक्ति , विवेक की प्राप्ति होने पर अधिस्टान शक्ति के रूप मे भगवान का जो परम भग्त होता है समय आने पर इस संसार मे अवतरित होती हे और इस कृपा के अवतरित होने पर अवतारी पुरुष कहलाने गौरव प्राप्त होता है दिव्य पुरुष दिव्य नेत्रों की सहायता से इस शक्ति को इस ईश्वरिय माया को इस इश्वरिय सत्ता क अवलोकन कर सकते हैं बसर्ते भगवान की कृपा हो  जाए। अब भी् वर्तमान समय मे माया अवतरित हो चुकी है केवल कृपा होने पर ही अनुभव हो सकती है।

                  योगा- माया निराकार रूप में


          वास्तव में महाप्रलया के करोडो वर्ष बीत जाने के बा्द पुन: जब सृष्टि उत्पत्ति का योग बनता हैं जो संमेव से ही बनता है विवेक शक्ति के प्रकट होने पर ब्रहम्ंड मे अचानक एक जबरदस्त विस्फोट होता है जिससे ग्रह उपग्रह सभी प्राकृतिक तत्वों द्वारा सृष्टि की रचना और सृष्डि में तमाम natural सामग्री आदि प्रकट होती हैं और इन मे light.के रूप में दिव्य शक्ति प्रकट होती है जो आकाशिय बिजली की तरह चमकती हुई ऊपर सत्यखंड मे Divine Supreme Tatav के रूप मे जा कर स्थित हो जाती है इस के साथ एक आदि शक्ति के रूप मे एक Divine Ring के आकार मे एक दिव्य शक्ति भी प्रकट होकर इस सुपरिम तत्व के चारों ओर as gravety power सुरक्षा कवच के रूप मे स्थित हो जाती है यही वह शक्ति है जो माया के रूप में जानी जाती है spirituality it is called Yog-Maya, Radhe Krishna, Sita Ram Shakti Ma Durge, अध्यात्म में हमारे ऋषियों मुनियों द्वारा इन्हे इन नामों से जाना जाता है क्योंकि कुदर्तन यहां उपरोक्त दो दिव्य शक्तियों का योग हो रहा है " Tatav + Ring " both are divine.। सृस्टि की एक अद्धभुत रचना है यह सब Automaticuly, Sistematiculy and Divinely creation of the Shristi है और निराकारा सूक्षम Dot+Ring के साथ माया, दिव्य आदि शक्ति, पराशक्ति का योग होने पर इसे ," योगमाया " के नाम से जाना जाता है। यहां माया के सतोगुण का जिकर है जिसमें आदिशक्ति को राधा, सीता, दुर्गा के नाम से जाना। इस का एक तमोगुणी रूप भी है ( नर्क लोक का स्वामित्व योगमाया शक्ति मां जो होई अष्टमी माता के नाम से जानी जाती है इस तेजोमय रजोगुणी माया का दूसरा रूप विरला ही जानता होगा। हमने फिर भी जीकर किया है यह भी शक्ति मां है।( its divinely known as, Miner Forms of New born Baby's loka, जो नरक लोक के नाम से जाना जाता है ) जिसका स्वामित्व भी योगमाया के पास ही है। कोई गलती हो तो माफ करना, सक्षिप्त मे ही लिखा है।

   Secular Knowledge and Universal           Truth.
                                                     
                                 दास अनुदास रोहतास

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