Monday, April 24, 2017

सर्वश्रेष्ट योग= भग्त + भग्ति + भगवान

                                     अनन्य भग्ति
                              भग्त + भग्ति + भगवान


सर्वश्रेष्ट योग

आदर्णिय,
                 परम स्नेही भग्तजनों, सादर प्रणाम। लगता है, बहुत सुन्दर भग्ति योग का युग चला हुआ है, अब हमें भग्ति कर लेनी चाहिये। जितनी कोई प्राणी अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा मालिक के नाम की कमाई कर सकता है, अब बहुत उपयुक्त समय है कर लेनी चाहिये। हम काफी समय से कहते आ रहे हैं। यह वक्त जो गुजर रहा है, बहुत उपयोगी और कीमती है, गया वक्त फिर लौट कर नहीं आने वाला, आप खुद ब खुद समझदार हैं। जैसा कि आप सब जानते हैं ," भगवान की सत्ता तो नित्य प्राप्त है केवल अनन्य भग्ति द्वारा अनूभव करना होता है, भग्तिमय समय चल रहा है " भग्त+भग्ति+भगवान " इन तीनों के अद्धभुत योग का समय चल रहा है ये तीनों जब 90° के ऐंगल पर In Straight Line में होते है तो, "Divnity will be available On Line in Meditation" & Then it will be connected with Supreme Tatav, The Almighty God, और सीधा योग हो जाता है जो अति उत्तम योग होता है, यही सर्वश्रेष्ट योग है और परम आनन्द की प्राप्ति का भी यही सुगम समय है, आलौकिक व प्रालौकिक दिव्य शक्तियों का अनुभव व सभी लोकों का सुख एक जगह और परम आनन्द की प्राप्ति भी, एक ही जगह प्राप्त हो रही हैं, बहुत सुन्दर परम योग है, ऐसी सुन्दर परम दिव्य अनुभूतीयां, ऐसी सुन्दर दिव्य परम लीला, ऐसा परम सुख, ऐसा परम आनन्द, ऐसा परम योग न कभी हुआ होगा और शायद भविष्य में भी कभी नहीं होगा। On the other hand there is no End of Divine knowledge but it is more sufficient to know in one's life about Divinity. इसके बाद दिव्यता व पराशक्ति के बारे में अनुभव करने व जानने योग्य शेष दिव्य या ब्रह्मज्ञान के बारे में कुछ भी नहीं रहता। जानने के लिये आज तक जो अनुभव लिखा गया बहुत है। यह सब हम विश्वास्निय तौर पर और व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर ही सुझाव दे रहे हैं, कि यह परम कृपा पात्र और परम स्नेही भग्तजनों के अनुकूल समय है। प्रभू  प्रेम भग्ति और नि:श्काम भाव से अनन्य भग्ति द्वारा प्रभू सेवा भाव रूपी बहुत कम मेहनत से, बहुत ज्यादा दिव्य अनुभव रूपी कमाई बटोर सकते हैं । राम नाम की लूट है लूटी जाए सो लूट, अत: लूट लो।

     धन्यवाद सहित

                                                     दास अनुदास रोहतास

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