*Every Thing you have yet nothing is hour's*
It is believed that everything is here in this beautiful world but at one time nothing is visible here, Because, changing is the Law of Nature. We should set our mind in the search of Truth. True happiness and joy is found in the Refuge of God, while worldly happiness is short lived.
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* Is there a God *
आदर्णीय परम स्नेही भग्त जनो सादर प्रणाम,
सकल पद्धार्थ हैं जग माही
कर्महीन नर पावत नाहीं।
भगवान ने इस सुन्दर सृष्टि की रचना बडे अद्धभुत सुन्दर और और समस्त प्राणियों को मध्य नजर रख कर सब जीव ,प्राणी, व हर मानव के अनुकुल की है। हम जो चाहें जैसा चाहें सब कुछ हमें यहां मिल जाता है फिर भी हम भगवान पर विश्वास करने में संकोच करते हैं। एक से एक शिक्षित, बुद्धजिवी और धार्मिक व्यकति भी एक समय यह कहने पर मजबूर हो जाता है कि कहां है भगवान ? हमने तो आज तक देखा नहीं, हां सुनते जरूर आ रहे हैं, ना ही कभी उनका अनुभव हुआ है।
देखिये, आप भी अपनी जगह सच्चे हैं, पर सृष्टि की यह अद्धभुत सुन्दर रचना किसी न किसी दिव्य शक्ति ने तो की होगी या फिर its an automatic systemic and divine creation of the God है। अच्छा तो आप वैसे एक बात बताओ, आपको जो मालिक ने आपके लिये और हमारे लिये इस सृष्टि में यह अनमोल प्राकृतिक सामग्री as a God gift प्रयुक्त किया हुआ है, क्या यह सब आपको अनुभव हो गया है ? जैसा कि ब्रह्मांड में यह ग्रह, उपग्रह, गैसज, चांद, तारे, सूर्य, galaxies इनसे उत्पन्न होने वाली अनेक किसम की powers, energy, gravity power, waves आदि शक्तियाँ सब आपको अनुभव हो गयी हैं ? हमने पीछे भी explain किया है कि भगवान तो एक दिव्य सत्ता है। उनको अनुभव में लेना बहुत मुस्किल है। हां अगर मालिक अपनी कृपा हम पर करे तो वो अनुभव में आ सकते हैं और उनका साक्षात्कर हुआ भी हो सकता है। For a true devotee of God, grace of god is very compulsory.
बुद्धजिवी, हमारे बुजुर्ग, महापुरुष कहते आय है कि दूध, पूत और पृथ्वी इनका कोई मोल नहीं होता। देखा जाए तो इनमें दिव्य रूप से एक से एक शक्तियां और दिव्य गुण छिपे हुए हैं जो दिखाई नहीं देते, और समय अनुसार ही अनुभव में आते हैं। ठिक भगवान भी समय अनुसार वक्त आने पर प्रकट हो जाया करते हैं और हर युग में प्रकट होते आये हैं, और अब भी इस सुन्दर सृष्टि में इस सुन्दर संसार में हम सबके बीच, प्रकट हो चुके हैं। लेकिन साक्षात्कार तो केवल उसके परम भग्त, अनन्य भग्त, लग्नेषू, जिज्ञाषू, दिव्य महापुरुष, महात्त्मन को ही हुए होंगे जो भग्तिमय प्रयास करते आ रहे हैं।
जैसा कि दूध को ही लें....... यह कितना पवित्र पद्धार्थ है जो वन्य प्राणीयों के शारीरिक मन्थन से जो कुदर्त के नियम अनुसार और ठीक इसी प्रकार मां का दूध भी, यह सब तो सृष्टि की ही अनमोल दिव्य रचना है, और फिर इस दूध से भिन्न भिन्न तरीकों से कितने प्रकार के वयञंन बनाये जाते हैं, जैसा कि मक्खन, घी, मलाई, रबडी, दही, लस्सी पेडे, लड्डू, बर्फी , आईसक्रीम यह सब दूध के ही गुण है। लेकिन यह मेहनत करने से ही तो अनुभव में आता है। ठीक इसी प्रकार भगवान तो हमारे हृदय में विराजमान हैं जो हम सब को नित्य प्राप्त हैं, बस प्रभू में आत्मविश्वास, दृडनिश्चय, और अनन्य भग्ति मय प्रयास करने पर और जैसा कि हमने पीछे जीकर किया * Dew to Grace of God, after being intoverted, with consciousness and Stable mind * हम अपने आत्म तत्व को अनुभव में लाने का प्रयास कर सकते हैं, और कभी न कभी साक्षात्कार भी हो जाया करता है।
" हिन्दूईजम में अध्यात्त्म के अनुसार सृष्टि की रचना "
पुरुष + प्रकृति
आत्म तत्व + भूमी + गगन + वायु + अग्नि + नीर
- हवा को ले......बावरोला, से बवन्डर... किसी को नही पता हवा में कौन कौन शक्तियाँ छीपी पडी है यह तो जब अक्षमात् से प्रकट होती हैं अनुभव होता है तभी पता लगता है। सृष्टि में अनेक प्रकार के elements हैं लेकिन हमारी भौतिक आंखों से दिखाई नहीं देते। लेकिन प्रभू कृपा होने पर, या दिव्य नेत्रो से कभी कभार दर्शन हो भी जाते हैं।
- पृथ्वी को ले....एक से बडकर एक अनेक प्रकार के अनमोल द्रव्य- पद्धार्थ सोना, चांदी, सटील, खनिज तेल गैसज.,cyclone, ज्वालामुखी फटना पृथ्वी तक फट जाती हैं सब शक्तियां इस पवित्र धरा की ही तो देन ह ,
- तेज अग्नि...... एक से एक गैसज hydrogen oxigen nitrogen, camical elements यह सब जब अपनी power दिखाने पर आएं तो इस ब्रह्माण्ड में बहुत कुछ घटित हो जाता है
- पानी....आप देखिये एक समय मौसम बिल्कुल साफ होता है और अचानक हम देखते है गहरी काली घटाएं आसमान में छा जाती है जो लगातार मुसलाधार बारिष होने पर चारों ओर पानी ही पानी हो जाता है तुफान से समस्त वन सम्पदा हिल जसती है इतना ही नही. बादल का फटना, जलजला, सोनामी आदि
- आकास......Globing warming जो घटनाएं अब सुनने में आ रही हैं हमारे scientists जिन घटनाओं का जीकर करते आ रहे हैं Divine-O-zone, Planets Sun moon stars Aakas-gangaye और इनमे होने वाली घटनायें जो अचानक घटित होती आ रही है जैसे Nibiru, Asteroid, और सौरमंडल मे हलचल यह सब शक्तियां लुप्त है। यहां पर पांच प्रकृति के main तत्व हैं इन सबमें एक से एक रहस्यमय और शक्तियां छिपी हुई है जिनपर जबसे सृष्टि बनी तबसे लेकर आजतक जानने के लिये शोध हो रहा है, इन्हे अनुभव में लाने का प्रयास होता आ रहा है।
- आत्म तत्व....... ठीक उसी प्रकार से छटा तत्व है Atom Tattav आत्म तत्व और Supreme Tattav परम तत्व। Hinduism में भी अध्यात्त्म में भगवान जो एक Automatic, Systematic, Divine Supreme Power's creation है को जानने के लिये, इसे अनुभव लाने के लिये प्रयास होता आ रहा है और कभी न कभी प्रभू कृपा होने पर साक्षात्कार हो भी हो जाएगा और हो चुका है। ध्यान रहे एक बहुमूल्य हीरा कोयले की खान से निकलता है। ठीक इसी प्रकार प्रभू कृपा पाकर एक तात्विक पुरुष, अवतारी पुरुष भी आप लोगों के आशिर्वाद से ही आप सब के बीच मे अपने सूक्षम शरीर से प्रकट हो सकता है। यह धन दौलत यह माया ऐशो आराम यह प्रोपरटी, यह ऊंचे ऊंचे महल , सोना चांदी यह सम्पत्ती तो थोडे समय के लिये साथ देने वाली हो सकती हैं । जो एक अल्पकालीन शु:ख है। असली धन तो अनन्य भग्ति करते हुए, परम सत्य की खोज, आदि परा शक्ति का अनुभव, परम पिता परमात्मा की कृपा है, जो आपके साथ आजीवन आदि अंत और मध्य तीनो अवस्थाओं में साथ देने वाली है। सच्चा सुख तो भगवान की शरण में है। भगवान को समर्पित होना होना चाहिये। इस लिये हमें अपने प्रभू से नाता जोडना चाहिये प्रभू की अनन्य भग्ति कर मालिक से योग करना चाहिये, जहां से परम आनन्द की प्राप्ती होती है।
जिन खोजा तिन पाया, गहरे पानी पैठ,
मै बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।
" Yet It's the matter of self realization "
जो भगवान के सच्चे भग्त हैं, मन-मना-भव, जिन्होंने भगवान को अनुभव में लाने का मन बना लिया है, जो सच्चे प्रेमी हैं, लग्नेषू है, जिज्ञाषू है, Those who surrendered to God Himself , अनन्य भग्ति करते हुए एक ना एक दिन ईष्वर की उन पर जरूर, विशेष कृपा हो जाती हैं और उनको अपने मालिक का दीदार, भगवान के दिव्य रूप का साक्षात्कार हो जाता है और परमानन्द की प्राप्ती हो जाती है। जो हर प्राणी का यह अनमोल जीवन पाने का एकमात्र उद्देश्य है।
Effected by the love of Lord Shiva today,
we surrendered to God and refuje in Him
" NARAYANA "
* भगवान और भगत का प्रेम हो तो ऐसा *
यहां हुआ है जैसा
" सत्त्यम शिवं सुन्दरं "
मधुर मिलन हो तेरा राम जी, मधुर मिलन हो तेरा
at 1-30 am on 28-12-22 during meditation
ॐ नम: शिवाय
👏
दास अनुदास रोहतास
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