* प्रभू कृपा *
प्रभू कृपा से अभिप्रय:--
1. Grace of God :-
आज हमारे देश में दीपाली का त्योहार है जो त्रेता युग से बडे धूमधाम से मनाते आ रहे है। घरो को साफ सुन्दर और दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है और श्री सीता सहित श्री राजा राम के अयोध्या लौटने पर आपसी प्रेम में घर- घर जाकर मिठाइयां बांटी जा रही हैं हमारा देश प्रिय: भारत देश एक दिव्य देश है, यह ऋषी मुनियो और अवतारों की पवित्र धरा है। यहां जब से सृष्टि बनी भगवान अवतार लेते आए है। अध्यात्मिक दिव्य, ब्रह्म ज्ञान से अपनी छटां बिखरते आए है जिससे विश्व में शान्ति बनी रहे। दवापर युग में परम अवतार श्री कृष्णा, प्रभू श्री नारायण के अवतार थे। उन्हें दिव्य नारायणी देह प्राप्त थीं, ने अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते है कि, हे अर्जुन मनमना-भव और ध्याने से सुन, यह ब्रह्म-ज्ञान जो आज मैं आप को कहने जा रहा हूं सृष्टि के आरम्भ मे सबसे पहले मैने सूर्य को दिया, सूर्य ने मनू को दिया, मनू ने इस्वाकू को दिया, इस्वाकू ने राजा रघू को दिया, और रघू ने त्रेता में राजा राम को दिया और फिर राजा सत्यवर्त ब्रह्म-ज्ञानी हुए , राजा हरीश्चन्द्र धर्मावतार हुए, राजा रिषिभ तात्विक पुरुष हुए, देव आदि-देव इन्द्र देवता भी, दिव्य शक्तियों का बहुत अनुभव रखते थे। दवापर में सभी गौप, गोपनियां तथा राजा वीर विक्रमादित्य ब्रह्म ज्ञानी हुए, पृथ्वि पुत्री श्री सीता जी, अग्नि पुत्री दुर्गा स्वरूप श्री द्रोप्ती जी, श्री गंगा माता जी, यह सब पर काया प्रवेश शक्ति से विभूषित थीं, इतना ही नहीं सत्युग में एक आगासुर और बागासुर नाम के देवता हुए जो पृथ्वी में से मिट्टी मे से प्रकट हुए। भग्ति करनी है तो ऐसी अनन्य भग्ती करो जैसी सत्युग में आगासुर और बागासुर ने की। ध्रुव भग्त ने की, भग्ति कर अपना दाग जिगर का धो लिया, प्रल्हाद भग्त नें की लोहे के गर्म खम्बे पर चीटिंयां चलती नजर आई अत: हर युग में भग्ति success हुई है। रघूनन्दन से लेकर आज तक यह रघू कुल रीत सदा चली आई, चली आ रही है। हम आज भी यह दीपावली का पर्व, श्री राजा रामचन्द्र जी की याद में बडी धूमधाम से मनाते आ रहे हैं यह सब भगवान की विशेष कृपा ही तो है ।
2. Grace of God:-
ध्यान रहे; God तो अपनी कृपा का अहसास The grace of God अपने true devotee of God यानी, अपने परम भग्त को करा सकते है क्योकि वह तो सृष्टि के मालीक हैं, अन्तर्यामी हैं। because it is the matter of self realization, इस लिये कोई भी कितना ही बडा गहरा परम भग्त हो, ज्ञानी-ध्यानी हो, योगी पुरुष हो, दिव्य पुरुष हो, वह भगवान की कृपा का अनुभव, किसी दूसरे जीव या प्राणी को नहीं करा सकता, भगवान अपने परम भग्त पर किस क्षण कृपा करें यह किसी को कुछ नही पता, वह तो खुद ही अनुभव करना पडेगा। जब भगवान की कृपा होती है भग्त के रोंगटे automatically खडे हो जाते है, अस्रू धारा बहने लगती है, आंखों के कौपले सूज जाती है, न खाने पीने की शुद्ध रहती है न नहाने- धोने की शोच समझ, न हंसने का पता न रोने की होश, भग्त का हृदय तो बस भग्वान के चिन्तन और मनन मे ही पिघला रहता है और प्रभू कृपा को ह्दय से चिपकाये रखता है भगवन भूखे भाव के, और भग्त तो " श्रद्धा भग्ति भाव प्रेम रस में डूबा रहता है " वह तो अनन्य भग्ति में मनमुग्द्ध रहता है। विलक्षण, अद्धभुत गहरी अनन्य भग्ति द्वारा अजीबो बरीब परमानन्द की प्राप्ती होती है लेकिन कोई भी ऐसी भग्ति का व्याखान नहीं कर सकते। ऐसी कृपा को समझना बहुत ही कठिन है। गोपनियों ने दवापर में ठीक ही कहा था कि ऐ *ऊधो* प्रभू के प्रति जो हमारा प्रेम है उसे समझना बहुत मुय्किल है आप नहीं समझ सकते। परम भग्त भग्ति करता हुआ, नि:श्काम कर्म करता हुआ, जीवन में अग्रसर होता है! हां स्वयं के आत्मतत्व का बोध होने पर, आप दूसरे को भग्तिमय मार्ग दर्शाने का सुझाव तो दे सकते है, कृपा को दर्शा नही सकते। प्रभू बडे दयालू हैं, दयानिदान है, करूणा के सागर हैं, दया के सागर हैं, बडे कृपालू हैं, हो सकता है मालिक आप पर अपनी अनुकंपा कर दें और आपको उनका दिव्य रूप का साक्षात्कार हो जाय। जैसा कि हमने आपको बताया है यह self realization का विषय है। बहुत कठिन है डगर पनगट की।
यह तो प्रेम की बात है ऊधो, बन्दगी तेरे बस की नहीं है
यहां सर देकर होते हैं सौदे, आशकी इतनी सस्ती नही है
यह भी गहरे लम्बे ध्यानयोग में जाने पर जब हमारा अंत; कर्ण शुद्ध हो जाता है उसके पश्चात Atom-Tattav के पवित्र होने पर, व्यक्तिगत्त आत्म तत्व का बोध होने पर, तत्त्व, जो परम आनन्द मयी प्रकाश की शान्तिमय किरणे हैं waves of Peace जो स्वयं के तत्व का अनुभव होने पर अर्थात, प्रभू कृपा होने पर, स्वयं का आत्म बोध द्वारा ही अनुभव में आती है और जब प्रभू कृपा हो जाएगी तो सभी दिव्य शक्तियो के प्रकट होने पर जैसे कि Divine Vivek Power, Divine Ora, Divine third eye, Sudershna Chakra, Divine Turiya-kripa, Divine Light, दिव्य पून्य आत्मन दर्शन, आदि सभी दिव्य शक्तियो का भी बोध स्वयंमेव हो जाएगा, बस प्रभू भग्ति करते हुए स्वयं को समर्पित करना है अर्थात * कुल सार-सत्त यह है कि ईश्वर को भली भांती खोज करने पर हमें, we should surrendered to God him-self being introvert and to seek nicely of Him- "NARAYANA *" जो भगवान की अनन्य भग्ति करते हैं उन पर विशेष कृपा अवश्य होती है, लेकिन दिखाई नहीं देती, प्रभू कृपा उनके जीवन में अवश्य आती है। प्रभू प्रेमी महशूस कर लेते हैं कि प्रभू कृपा उन पर भरष रही है। और जो अपने स्वयं के आत्म तत्व को ही अपने अनुभव में नहीं ला पाते वह परम-तत्त्व को कैसे अनुभव में ला सकते हैं जो स्वयं के आत्म तत्व को अनुभव में ला सकते, वही प्रभू कृपा का बोध कर सकते हैं
जा पर कृपा राम की होईं, तापे पे कृपा करहीं सब कोई
जिनके कपट दम्भ नहीं माया, ताकी हृदय बसहीं रघुराया
इस समस्त भ्रमांड में, इस दिव्य अद्धभुत सुन्दर सृष्टि की सृष्टियों की सृष्टियों मे, तीनो लोकों में, हम अपनी भौतिक नेत्रों से जो अवलोकन कर रहे हैं और हम अपने दिव्य नेत्रों से अन्तर्मुखी होकर गहरे ध्यान योग अवस्था में जाकर जो दिव्य अनुभव कर सकते हैं, हमारे मन की आंखों की सूझ व सोच रखने की क्षमता जहां तक है, यह सब प्रभू कृपा ही तो है। जो हम अपनी आंखों से इस पवित्र धरा पर अनुभव कर सकते हैं, देख सकते हैं, देख रहे हैं, प्रकृति का सोन्द्रिय, प्रकृति की रसना, व समस्त सामग्री, प्राकृति के समस्त तत्व के गुणों से प्रभावित सूख-दु:ख, सुगन्ध, रस, तप, मिठास, आत्म तत्व के समस्त दिव्य प्रभावित सात्विक गुण जो हम बाह्य व आन्त्रिक दिव्य सृष्टि में अनुभव कर सकते है यह सब कुछ प्रभू कृपा ही तो है। all Is Grace of God. अगर इन समस्त कृपा को अनुभव में लाना है तो हमें स्वयं के आत्म तत्व का बोध करना होगा।
3. For Example:--
जिस प्रकार विद्धुत की तार में power दिखाई नहीं देती लेकिन touch करने पर पता लगता है कि कितनी शक्तिमय power है, चुम्बकीय शक्ति दिखाई नही देती लेकिन लोहे के टुकडो को अपनी ओर खींचने की क्षमता रखता है, अब Gravity power को ही लें, समस्त ब्रह्मांड के planets, galaxies, Sun, Moon, Stars, ब्रह्मांड की समस्त समाग्री gravity power पर ही तो depend करती है इतना ही नहीं Scientifically तौर से Atom activation and Cosmic waves realization भी प्रभू कृपा होने पर एक true devotee of God के जीवन में, in I D U में, अनुभव हो सकती है, लेकिन प्रभू- कृपा दिखाई नही देती, यह सब प्रभू क्रिपा होने पर ही तो अनुभव में आ सकती है, जैसे दूध मे मक्खन दिखाई नही देता पर दही जमाने के बाद उसे रिडकने पर मंथन होने पर मक्खन प्रकट होता है , जैसे लकडी की तिल्ली में ज्वलन शक्ति है पर रगड खाने पर प्रकट होती है, जैसे बादल में बादल टकराने पर भयंकर आकाशीय बिजली प्रकट होती है पर बादल में power दिखाई नही देती है तो भग्वान की कृपा भी प्रभू भग्तिमय भग्त के हृदय में भी कृपा गुप्त रूप में लुप्त रहती है पर दिखाई नहीं देती जो after long practice of yoga and deep meditation का प्रयास करने से, स्थिरप्रज्ञ होने से और Kundalini Shakti Activate होने पर ही अनुभव हो सकती है, अर्थात अन्तर्मुख होने के बाद और विकार-मुक्त व गुणातीत होने के बाद और सभी भग्ति मय प्रयास करने पर ही Holy soul होने पर, स्वयं के आत्म तत्व के बोध द्वारा Grace of God होने पर ही internal divine universe में 'सुक्ष्म बिन्द, और प्रकाशमय किर्णों के रूप मे Atom Tattav के चारों ओर as a Cyclone waves के रूप में जो प्रकाश रूपी प्रभू कृपा है अनुभव हो सकती हैं। ( जब पृथ्वि के अन्दर दो Plates की पर्ते नीचे आपस मे टकराती हैं, रगड खाती हैं power of cyclone प्रकट होती है, तो पता है क्या होता है, भूकंप का कारण बनता है पूरा Earth हिल जाता है इतनी शक्ति इसमें छीपी है जो दिखाई नहीं देती या Valcano के विष्फोट होने पर ऊपर आने पर महशूस होती है, जो प्रभू कृपा के कारण लुप्त रहती है समय आने पर ही प्रकट होती है, यह लुप्त ही रहे तो ठीक otherwise आपको पता है गडबड हो जाएगी ) happened As a cyclone, स्थिरप्रज्ञ होने पर जिसके center में Atom-Tattav जो अणु के रूप में स्थित है को, प्रभू कृपा होने पर
ही अनुभव कीया जा सकता है, यही Grace of God है।
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* In Fact *
" Every thing you have, is nothing yours "
* मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरो *
इस अद्धभुत सुन्दर भौतिक संसार में अनमोल जीवन मिलने से लेकर आज तक जो भी भौतिक दृष्टि से सुख, दुख ऐश्वर्य, धन, दौलत, प्रोपर्टी में हम जो भी अपनापन महसूश कर रहे हैं, यह सब प्रभू कृपा ही तो है, प्रभू की देन है, हमारा इसमें कुछ भी नही है। एक दिन यह सब यहीं रह जाएगा। केवल अनन्य भग्ति करने पर divine inner world, में परम तत्व का, स्वयं के तत्व से मेल होने पर जो दिव्य कृपा हुई हैं, दिव्य अनुभूतियां हुई है, परम सत्य से योग हुआ है, बस यही प्रभू कृपा है जो हमारे जीवन में शुभ अनुभूती है जो जिवन्त साथ रहने वाली है। भगवान की कृपा के बिना तो इस सुन्दर सृष्टि में, और सभी जिवन मय सृष्टियाओं में जो सृष्टियां हैं उनमें और चारों ओर, अंथकार ही अंधकार है। भगवान ही तो अपनी कृपा से इस सुन्दर सृष्टि को रोशन-मय enlighten कर रहे हैं यह दिव्य प्रकाश ही प्रभू कृपा है। हमें भगवान ने यह अनमोल जीवन वरदान के रूप में शुभ कार्य करने के लिये प्रदान किया है, हमें इसे व्यर्थ नहीं ग्वाना चाहिये। इसे प्रभू भग्ति मे लगाते हुए सद्उपयोग करते हुए, सनातनी, धार्मिक व सात्त्विक कर्म करते हुए, जो हमारा जीवन जीने का एकमात्र उद्धेश्य है, निश्काम कर्म करते हुए, निश्काम भग्ति करते हुए गहरे ध्यान योग द्वारा प्रयास करते हुए, प्रभू जो हमें नित्य प्राप्त है, स्वयं के आत्म बोध द्वारा अनुभव करते हुए परम तत्व से योग कर, प्रभू प्रेम में समर्पित होते हुए, अपने जीवन को सफल बनाना चाहिये।
God is a divine power, which is a matter of personal experience, whom you can not show to others.
* Grace of God *
Om Tat Sat
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दास अनुदास रोहतास
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