Monday, April 8, 2019

* भगवान की माया *

                     * भगवान की माया *



            परम स्नेही भग्त जनों अब भगवान और उसकी माया क्या है, जो आज तक एक बहुत गहरा secrets बना हुआ है। मालिक की कृपा से इस विषय पर भी संक्षिप्त में प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं।

            भगवान क्या हैं, कैसे हैं, और इसकी माया अर्थात परम और परम की शक्ति क्या है, इसके बारे में जो पीछे पेज लिखे हैं उन्मे काफी जगह उल्लेखित किया गया है। मालिक की कृपा से यहां कुछ स्पस्ट शब्दों में लिखकर देखते हैं। ईश्वर परम तत्व, परम आत्मा, Supreme Soul, Supreme Tatav जो एक Atom अणु के समान है, जो इस सुन्दर सृस्टि में.  ब्रह्माण्ड के समस्त तत्वों का center point of the Power's as a Dot, " Bindh " *Atom* अणु के समान है, जो परम तत्व है, यही ईश्वर है, जो बाह्य चक्रित रिंग के समान है उसमें जो दिव्यत्ता है यह उसकी परम  शक्ति है यही सत्य है। क्योंकि यह इस परम तत्व की परम शक्ति है, इस लिये यह दोनों शक्तियां एक दूसरे से संठी हुई हैं, इनको अलग नहीं किया जा सकता। वास्तव में भगवान जब सृष्टि रचते हैं तो जैसा क हमने पहले भी declare किया हुआ है वो एक सर्वगुण सम्पन्न ईश्वर Formated God की रचना स्वयं करते हैं सभी दिव्य स्वात्मिव भी इन्हें सोंपते हैं इस प्रकार यह निम्नचित्रित भगवान की ही माया है। २-५-१९ के ध्यानमय अनुभव अनुसार यह दोनों शक्तियां ही दिव्य हैं मायावि है और कृष्णा ही राधा और राधा ही कृष्ण हैं वह अपनी योग माया से राधा, और राधा से कृष्णा के रूप में परिवर्तित होने की दिव्य शक्तिमय अनुभव रखते हैं जो ईश्वर की कृपा होने पर ध्यान अवस्था में हमारे अनुभव में आया है यह जो सूक्षम बिन्द है यह ईश्वर है और  रिंग यह आदि भगवान का सूक्षम शरीर है गुणमय दिव्य शक्ति है माया है, इसी मे परिवर्तनशील क्षमता है जिन्हेः नीचे चित्र द्वारा दर्शाया गया है बस यह परिवर्तनशीलता ही भगवान की माया है इस प्रकार वह अपनी माया से कुछ भी अद्धभुत अजीबोगरीब मनमोहक लीला दर्शाने की योग्यता रखते है ।
                 "माया महा ठगनी हम जानी "

             अत: एक सच्चे परम भग्त को भगवान की माया के चक्कर में न पडकर मालिक की सरल सीधी अनन्य भग्ति करनी चाहिये। और मालिक को समर्पित होते हुए उसकी भली भांती खोजकर उसकी शरम में जा सच्चिदानन्द को प्राप्त कर परम धामको प्राप्त होना चाहिये जो हमारा मानव धर्म है और जीवन का परम लक्ष है।
                             

             यह दोनो दिव्य शक्तियां जो शुक्षं-बिन्द+रिंग  के समान हैं, सृस्टि में एक साथ प्रकट होती हैं, और जब परम तत्व प्रकट होता हैं यह दिव्य परम शक्ति भी automatically प्रकट हो जाती हैं। और जैसे सूर्य के अद्रिष होने पर सूर्य का प्रकाश गायब हो जाता है ठीक परम तत्व  के लुप्त होने पर इसकी यह परम शक्ति भी जो रिंग के समान है जिनके मध्य परम चेतन तत्व विध्यमान है automatically लुप्त हो जाती है। इनका यानी परम तत्व और परम शक्ति का घनिष्ठ सम्बन्ध है। दीखने में दो दिखाई देते हैं पर यह दो होकर भी एक हैं। वास्तव में यह भगवान का सूक्षम शरीर भी हो सकता है Hinduism के अनुसार हमारे ऋषियों मुनियों नें इन दोनों दिव्य परम शक्तियों को योगमाया के नाम से जाना है, क्योंकि इनका एक दूसरे से गहरा योग है। Secrecy बनाये रखने के लिये हमारे ऋषियों मुनियों के अनुसार इन्ही दोनों शक्तियों को अध्यात्मिक दृष्टि से श्री राधा-कृष्ण के नाम से जाना जाता है।


              महापुरुष, दिव्य पुरष, योगीजन, परमस्नेही लग्नेषू, जिज्ञाषू, जो भगवान के परम भग्त होते हैं, प्रभू जी की कृपा अनुसार गहरे ध्यानयोग द्वारा अन्तर्मुखी होते हुए, अपने अंत:कर्ण में, internal divine universe में दोनों दिव्य शक्तियों को, परम तत्व को और परम शक्ति रिंग को, चक्रित होते हुए भलि भान्ति अवलोकन करते हुए परम आनन्द का रसपान करते रहते हैं।


विशेष:--
              १. सूर्य दिखता है, किरणे दिखती हैं पर इनके बीच जो प्रकाश है दिखाई नहीं देता। २ चुम्बक में  लोहा दिखता है पर चुम्बकिय शक्ति दिखाई नहीं पडती। ३ ठीक इसी प्रकार हमने तत्व और रिंग दर्शाये जो दिखाई देते हैं, पर इन दोनों के बीच में जो खाली surface है, उस में परम चेतन तत्व जो Immortal है, अति पवित्र है, अमर है, अजर है, इन दोनों शक्तियों के अन्दर बाहर बीच में विद्धमान है, जो हर जगह मौजूद है, जो कण कण में मोजूद है बस यही Supremo है, Param Tatav है, यह Divinity ही * सत्य है  * ईश्वर है, जिसका  हमने उपरोक्त जिकर किया है, जो आदि, अंत और मध्य, तीनों अवस्थाओं में live forever ,विद्धमान रहता है, जो क्षण भंगूर है। It is the Divinity of Supreme Tatav, which is Immortal. While All beginningless and Endless flow of the beautiful creations, Nature and all elements in this wonderful Divine Shristi are live unstable and mortal till mahaparlaya.
 
कृपया ध्यान दे:--

                उपरोक्त एक एक शब्द सोच समझकर और व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर और पूरे विश्व की मानवता की भलाई के लिये लिखा गया है

" It is a Secret, Secular and Spiritual Divine Knowledge. "

                       दास अनुदास रोहतास

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