Sunday, December 25, 2022

Every Thing You Have Yet Nothing Is Your's

    *Every Thing you have yet nothing is hour's*

              It is believed that everything is here in this beautiful world but at one time nothing is visible here, Because, changing is the Law of Nature. We should set our mind in the search of Truth. True happiness and joy is found in the Refuge of God, while worldly happiness is short lived.

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                         * Is there a God *

             आदर्णीय परम स्नेही भग्त जनो सादर प्रणाम,

                         सकल पद्धार्थ हैं जग माही
                         कर्महीन  नर  पावत  नाहीं।

            भगवान ने इस सुन्दर सृष्टि की रचना बडे अद्धभुत सुन्दर और और समस्त प्राणियों को मध्य नजर रख कर सब जीव ,प्राणी, व हर मानव के अनुकुल की है। हम जो चाहें जैसा चाहें सब कुछ हमें यहां मिल जाता है फिर भी हम भगवान पर विश्वास करने में संकोच करते हैं। एक से एक शिक्षित, बुद्धजिवी और धार्मिक व्यकति भी एक समय यह कहने पर मजबूर हो जाता है कि कहां है भगवान ? हमने तो आज तक देखा नहीं, हां सुनते जरूर आ रहे हैं, ना ही कभी उनका अनुभव हुआ है।

               देखिये, आप भी अपनी जगह सच्चे हैं, पर सृष्टि की यह अद्धभुत सुन्दर रचना किसी न किसी दिव्य शक्ति ने  तो की होगी या फिर  its an automatic systemic and divine creation of the God है। अच्छा तो आप वैसे एक बात बताओ, आपको जो मालिक ने आपके लिये और हमारे लिये इस सृष्टि में यह अनमोल प्राकृतिक सामग्री as a God gift प्रयुक्त किया हुआ है, क्या यह सब आपको अनुभव हो गया है ? जैसा कि ब्रह्मांड में यह ग्रह, उपग्रह, गैसज, चांद, तारे, सूर्य, galaxies इनसे उत्पन्न होने वाली अनेक किसम की powers, energy, gravity power, waves आदि शक्तियाँ सब आपको अनुभव हो गयी हैं ? हमने पीछे भी explain किया है कि भगवान तो एक दिव्य सत्ता है। उनको अनुभव में लेना बहुत मुस्किल है। हां अगर मालिक अपनी कृपा हम पर करे तो वो अनुभव में आ सकते हैं और उनका साक्षात्कर हुआ भी हो सकता है। For a true devotee of God, grace of god is very compulsory.

                बुद्धजिवी, हमारे बुजुर्ग, महापुरुष कहते आय है कि दूध, पूत और पृथ्वी इनका कोई मोल नहीं होता। देखा जाए तो इनमें दिव्य रूप से एक से एक शक्तियां और दिव्य गुण छिपे हुए हैं जो दिखाई नहीं देते, और समय अनुसार ही अनुभव में आते हैं। ठिक भगवान भी समय अनुसार वक्त आने पर प्रकट हो जाया करते हैं और हर युग में प्रकट होते आये हैं, और अब भी इस सुन्दर सृष्टि में इस सुन्दर संसार में हम सबके बीच, प्रकट हो चुके हैं। लेकिन साक्षात्कार तो केवल उसके परम भग्त, अनन्य भग्त, लग्नेषू, जिज्ञाषू, दिव्य महापुरुष, महात्त्मन को ही हुए होंगे जो भग्तिमय प्रयास करते आ रहे हैं।

                जैसा कि दूध को ही लें....... यह कितना पवित्र पद्धार्थ है जो वन्य प्राणीयों के शारीरिक मन्थन से जो कुदर्त के नियम अनुसार और ठीक इसी प्रकार मां का दूध भी, यह सब तो सृष्टि की ही अनमोल दिव्य रचना है, और फिर इस दूध से भिन्न भिन्न तरीकों से कितने प्रकार के वयञंन बनाये जाते हैं, जैसा कि मक्खन, घी, मलाई, रबडी, दही, लस्सी पेडे, लड्डू, बर्फी , आईसक्रीम यह सब दूध के ही गुण है। लेकिन यह मेहनत करने से ही तो अनुभव में आता है। ठीक इसी प्रकार भगवान तो हमारे हृदय में विराजमान हैं जो हम सब को नित्य प्राप्त हैं, बस प्रभू में आत्मविश्वास, दृडनिश्चय, और अनन्य भग्ति मय प्रयास करने पर और जैसा कि हमने पीछे जीकर किया * Dew to Grace of God, after being intoverted, with consciousness and Stable mind * हम अपने आत्म तत्व को अनुभव में लाने का प्रयास कर सकते हैं, और कभी न कभी साक्षात्कार भी हो जाया करता है।
  
         " हिन्दूईजम में अध्यात्त्म के अनुसार सृष्टि की रचना "
                                   पुरुष + प्रकृति
            आत्म तत्व + भूमी + गगन + वायु + अग्नि + नीर


  1. हवा को ले......बावरोला, से बवन्डर... किसी को नही पता हवा में कौन कौन शक्तियाँ छीपी पडी है यह तो जब अक्षमात् से प्रकट होती हैं अनुभव होता है तभी पता लगता है। सृष्टि में अनेक प्रकार के elements हैं लेकिन हमारी भौतिक आंखों से दिखाई नहीं देते। लेकिन प्रभू कृपा होने पर, या  दिव्य नेत्रो से कभी कभार दर्शन हो भी जाते हैं।
  2. पृथ्वी को ले....एक से बडकर एक अनेक प्रकार के अनमोल द्रव्य- पद्धार्थ सोना, चांदी, सटील, खनिज तेल गैसज.,cyclone, ज्वालामुखी फटना पृथ्वी तक फट जाती हैं सब शक्तियां इस पवित्र धरा की ही तो देन ह  ,
  3. तेज अग्नि...... एक से एक गैसज hydrogen oxigen nitrogen, camical elements यह सब जब अपनी power दिखाने पर आएं तो इस ब्रह्माण्ड में बहुत कुछ घटित हो जाता है
  4. पानी....आप देखिये एक समय मौसम बिल्कुल साफ होता है और अचानक हम देखते है गहरी काली घटाएं आसमान में छा जाती है जो लगातार मुसलाधार बारिष होने पर चारों ओर पानी ही पानी हो जाता है तुफान से समस्त वन सम्पदा हिल जसती है इतना ही नही. बादल का फटना, जलजला, सोनामी आदि
  5. आकास......Globing warming जो घटनाएं अब सुनने में आ रही हैं हमारे scientists जिन घटनाओं का जीकर करते आ रहे हैं Divine-O-zone, Planets Sun moon stars Aakas-gangaye  और इनमे होने वाली घटनायें जो अचानक  घटित होती आ रही है जैसे Nibiru, Asteroid, और सौरमंडल मे हलचल  यह सब शक्तियां लुप्त है।   यहां पर  पांच प्रकृति के main तत्व हैं इन सबमें एक से एक रहस्यमय और शक्तियां छिपी हुई है जिनपर जबसे सृष्टि बनी तबसे लेकर आजतक जानने के लिये शोध हो रहा है,  इन्हे अनुभव में लाने का प्रयास होता आ रहा है।        
  6.  आत्म तत्व....... ठीक उसी प्रकार से छटा तत्व है Atom Tattav आत्म तत्व और Supreme Tattav परम तत्व। Hinduism में भी अध्यात्त्म में भगवान जो एक Automatic, Systematic, Divine Supreme Power's creation है को जानने के लिये, इसे अनुभव लाने के लिये प्रयास होता आ रहा है और कभी न कभी प्रभू कृपा होने पर साक्षात्कार हो भी हो जाएगा और हो चुका है। ध्यान रहे एक बहुमूल्य हीरा कोयले की खान से निकलता है। ठीक इसी प्रकार प्रभू कृपा पाकर एक तात्विक पुरुष, अवतारी पुरुष भी आप लोगों के आशिर्वाद से ही आप सब के बीच मे अपने सूक्षम शरीर से प्रकट हो सकता है। यह धन दौलत यह माया ऐशो आराम यह प्रोपरटी, यह ऊंचे ऊंचे महल , सोना चांदी यह सम्पत्ती तो थोडे समय के लिये साथ देने वाली हो सकती हैं । जो एक अल्पकालीन शु:ख है। असली धन तो अनन्य भग्ति करते हुए, परम सत्य की खोज, आदि परा शक्ति का अनुभव, परम पिता परमात्मा की कृपा है, जो आपके साथ आजीवन आदि अंत और मध्य तीनो अवस्थाओं में साथ देने वाली है। सच्चा सुख तो भगवान की शरण में है। भगवान को समर्पित होना होना चाहिये। इस लिये हमें अपने प्रभू से नाता जोडना चाहिये प्रभू की अनन्य भग्ति कर मालिक से योग करना चाहिये, जहां से परम आनन्द की प्राप्ती होती है।


                    जिन खोजा तिन पाया, गहरे पानी पैठ,
                    मै  बपुरा  बूडन  डरा,  रहा किनारे बैठ।

           " Yet It's the matter of self realization "

                  जो भगवान के सच्चे भग्त हैं, मन-मना-भव, जिन्होंने भगवान को अनुभव में लाने का मन बना लिया है, जो सच्चे प्रेमी हैं, लग्नेषू है, जिज्ञाषू है, Those who surrendered to God Himself , अनन्य भग्ति करते हुए एक ना एक दिन ईष्वर की उन पर जरूर, विशेष कृपा हो जाती हैं और उनको अपने मालिक का दीदार, भगवान के दिव्य रूप का साक्षात्कार हो जाता है और परमानन्द की प्राप्ती हो जाती है। जो हर प्राणी का यह अनमोल जीवन पाने का एकमात्र उद्देश्य है। 

    Effected by the love of Lord Shiva today, 
    we surrendered to God and refuje in Him
    " NARAYANA "

              * भगवान और भगत का प्रेम हो तो ऐसा *
                              यहां हुआ है जैसा

                            " सत्त्यम शिवं सुन्दरं "
            मधुर मिलन हो तेरा राम जी, मधुर मिलन हो तेरा 
     at 1-30 am on 28-12-22 during meditation
                                ॐ नम: शिवाय
                                         👏



                                         दास अनुदास रोहतास

Sunday, December 4, 2022

अवतार को समझने का प्रयास करते हैं

अवतार को समझने का प्रयास करते हैं

अवतारी पुरुष



                              * अवतार को समझना है *

               सबसे पहले तो हमें यह जान लेना चाहिये और मान लेना चाहिये कि आत्म तत्व तो हर जीव प्राणी को जव से सृष्टि बनी तभी से लेकर आज तक सभी प्रकार की सृष्टियो को नित्य प्राप्त है । .....अब यह सृष्टि क्या है ?  ...इसे समझना है.........


          *अध्यात्मिक दृष्टि से सृष्टि, मेन दो तत्वों का योग है*

 प्रकृति + पुरुष = पुरुष शब्द से अभिप्राय:--------

 आत्म तत्व Atom + चेत्तन्न तत्त्व क्योंकि इनका आपस में   घनिष्ट सम्बन्ध है।

                            * प्रकृति + आत्म तत्व *

  Video No-1



 1  आत्म तत्व:--परम आत्म तत्व व समस्त सूक्ष्म आत्म तत्व 

 2  प्रकृति के पांच तत्व :-------

               1 आकाश 2 वायु 3 अग्नि 4 जल 5 पृथ्वि।
इस प्रकार हमारी यह सुन्दर सृष्टि इन छ: सुन्दर तत्वों के योग से बनी है।

          अब सबसे पहले भगवान क्या है इस विषय को लेना है यह भ्रम बना हुआ है। वैसे सनातन की और से कोई भ्रम नहीं है। कुछ धर्म है जो राजसी एवं तामसी वृती के हैं जिन्होने ने भ्रम फैलाने में पूरा प्रयास किया हुआ है। लेकिन हमें भर्मित नहीं होना है। हम आपको पूरा विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आत्म तत्व तो आपको नित्य प्राप्त है उसमे जो  दिव्य गुण * दिव्यत्ता * है वही भगवान है, पर उसे अनुभव में लाना है। अब परम स्नेही भग्त जनों यह तो आपको ही अनुभव में लाना होगा तभी बात बनेगी क्योंकि, because, it is the matter of self realization. यह व्यक्तिगत अनुभव का विषय है। इसमें केवल भगवान ही कृपा कर सकते हैं यह उनका अपना, उनकी कृपा का विषय है वो चाहे जिस जीव प्राणी पर कृपा करें। भगवान की कृपा के बिना तो यहां पत्ता भी नहीं हिल सकता। यहां इस सुन्दर संसार में सब को कहते सुना है, हमने तो भगवान को कभी देखा ही नहीं। यह भी ठीक है नहीं देखा, पर भगवान, जो परम तत्त्व हैं के सिवा इस भौतिक संसार में जो अन्य प्रकृति के अनेको तत्व पद्धार्थ हैं क्या आपने उन सब को कभी देखा है ?.... नहीं देखा, अपने आपको भी नहीं देखा फिर आप .....भगवान को कैसे देख सकते हैं......



                           " सकल पद्धार्थ हैं जग माही
                              करमहीन नर  पावत ना ही "
                                           ...…  गोस्वामी तुलसी दास

               आज के युग में Science ने देखा जाए बहुत तरक्की की है, हमारे scientists हर क्षेत्र में दिन दौगिनी रात चोगिनी आगे बडते जा रहे हैं इन्हों कलयुग को साबित कर दिया कि वाकयी यह कल-यानी मशीन का युग है। आज हम सब mobile के माध्यम से computer के माध्यम से जहां चाहे आमने सामने बैठकर Words up पर सब कुछ देख सकते है। बात कर सकते है। लेकिन इनमे से निकलने चलने वाली जो Range हैं, Waves हैं, आपमें से कभी किसी नें देखा है.............. * नहीं *  फिर आप भगवान को कैसे देख सकते हो ! जब आप अपने बनाये हुए मशीन की किरने waves नही देख सकते और भगवान जो एक, God is an Automatic Systemayic Divine Natural  Appearience in this beautiful Shristi है उसे कैसे देख सकते हैं एवं जो एक दिव्य अनुभव का विषय है

              फिर भी भगवान बडे दयालू हैं कृपालू हैं दया के सागर हैं दयानिदान हैं अगर वो चाहें ,अपनी कृपा कर, अपने लग्नेषू, ,जिज्ञाषू, परम भग्त को अनन्य भग्ति द्वारा अपने सुन्दर दर्शन दे आनन्दविभोर कर सकते है, किया है और अब भी साक्षात्कार हो चुका है। God appeared in this world on this holly earth. He is Ocean of Bliss Knowledge, Peace, Love, Joy, Purity & Power. He is free from the cycle of birth and death.

हम यहां अवतरित आत्म तत्त्व के बारे में ही समझने का प्रयास कर रहें हैं
 अब प्रकृति के पांच तत्व.... देखिये:---
  1. वायु ------ वायु तत्व को ही लें क्या आपने प्रकृति के इस सनमोल वायु तत्व को देखा है ? सूक्ष्म रूप में वायु के अन्दर समस्त  हमारे इस अद्धभुत् universe में जितनी भी  प्राकृतिक सामग्री elements, Gases powers है उनके miner - atom's अणु विद्धमान हैं क्या किसी ने भौतिक आँखों से इन्हें देखा है ? वो अलग बात है microscope आदि उपकर्णों की सहायता से देख लेते हैं लेकिन कभी इस वायु में छिपी इसकी असली power को जाना है। No-- आप बावरोला भभूला जिसे कहते हैं जो एक विराट शक्ति, विनास कारी * भवंडर * का रूप धारण कर लेता है पहले कोई सोच भी नही सकता। जब आता है तभी अनुभव कर सकते हैं । जो एक भयंकर विनासकारी आपदा का कारण भी बन सकता है। लेकिन इसे अनुभव नहीं कर सकते और भगवान को अनुभव करने की सब बात करते है ? ........ ऐसी बात नही भगवान बडे दयानिदान हैं और सरल अनन्य भग्ति द्वारा ही अपने परम भग्त पर कृपा कर सु-दर्शन दे दिया करते हैं।
  1. जल.--------  जल में जो प्राकृतिक अद्धभुत् दिव्य शक्ति छुपी हुई है किसी ने देखी है क्या ? नहीं देखी अनुभब तो हो जाता है लरकिन activation होने के बाद ही आपके अनुभव में आता है जैसे कि आसमान में पानी से बने बादल बनते हैं फिर वह एक दूसरे सर टकराते हैं उनके टकराने से आकाशीय बिजली बन कर बरसात के साथ नी चे गिरती है की बार जंगलो में आग लग जाती है प्राणी मर जाते है विनास हो जाता है समूद्र का लज स्तर बढजाता है सोनामी का कारण बन जाता बहुत विनासकारी तूफान आ जाता है बडी आपदा का कारण बन जाता है               
  2.  पृथ्वी:-------- हमारा प्रिय: भारत  देश एक दिव्य देश है देव प्रिय: पवित्र धरा है  ऋषि, मुनि संत पीर पैगाम्भर अवतार महात्मन देवी देवता इस पवित्र धरा पर जन्म पाने के लिये तरस्ते हैं ‌हम सबकी धरती मां हैं इस धरती मां के सीने में क्या कुछ छिपा है पूरी तरह से आजतक कोई नहीं जान पाया है फिर भी अद्भुतग दिव्य शक्तियो का राज इस पवित्र धरा में गुप्त रूप मे लुप्त है एक से एक अनमोल धन,  सम्पधा, रतन, अमूल्य मेटल, gravity power चुम्बकिय शक्ति इसमें अदृष्य है। आप जिसे देख नहीं पाय अनुभव जरूर किया होगा । ज्वाला मुखी, भूकम्प जैसी महाशक्ति, गैस , खनिज, तेल आदि सब शक्तियां इसमें हैं लेकिन दिखाई नहीं देती बस भगवान को देखना चाहते । वह तो परम पिता परमात्मा की माया जो उसी की कृपा से ही अनुभव हो सकती है बाकी भगवान तत्व रूप में सबको नित्य प्राप्त तो है फिर भी उन्हें अनुभव में लाने का प्रयास तो हम सबको करना पडेगा, क्योकि It is the mater of self realization.                 
  3. अग्नि:..........अग्नि, हमारे सूर्य देवता अग्नि का प्रतिक है हिन्दूइजम के अनुसार सूर्य भगवान हमारे जीवन का इस समस्त प्रकृति का इस समस्त सृष्टि का आधार हैं समस्त संसार के थलचर, नभचर, जलचर जीव प्राणी इस अग्नि तत्व जो हम सबके हृदया में तेज के रूप में धधक रहा सभी की इसी अनुभव है सूर्य से पृथ्वी पर पडने वाली किरणे महसूस की जा सकती पर दिखाई नही देती । जब से यह सुन्दर सृष्टि बनी इस समस्त सृष्टि चक्र का आधार ही इसी दिव्य सूर्य शक्ति पर निर्भर करता है ।जब तक सूर्य चादं रहेगा मानव तेरा धाम रहेगा , हम और आप सब तभी तक सलामत है अग्नि तत्व की यह किरणे दिखाई नही देती । माचिस की तिली में अग्नि है पर दिखाई नहीं देती रगडनें पर ही अग्नि प्रकट होती है ठीक इसी प्रकार भगवान तो है पर अनन्य भग्ति करने पर और भगवान की कृपा होने पर ही भगवान उनके  परम भग्त के अनुभव में आसकते हैं.

5  आकास:........* जेडा ब्रह्मांडे सो ही पिंडे * जो भी हम अन्तर्मुखी होकर ध्यान योग द्वारा सपने अंत:कर्ण मे झांक कर प्रभू कृपा होने पर जीतनी गहराई मे जाकर जो अनुभव कर सकते हैं और जो भी हम अपनी भौतिक सृष्टि मैं अपनी भौतिक दृष्टि से इस अद्धभुत संसार में जहां तक microscope या अन्य यंत्रों द्वारा अवलोकन कर सकते है अर्थात स्थूल सृष्टि व सूक्ष्म सृष्टियो में अनुभव कर सकते हैं जो इस सुन्दर सृष्टि के ग्रभ ग्रह में हम खोज सकते हैं। जितनी भी global सामग्री थलचर, नभचर, जलचर जो हमारे knowledge में हो सकती है जो इनमें अनेक अमूल्य दिव्य शक्तियां गुप्त रूप में विद्धमान हैं पर दिखाई नहीं देती उन्हें अनुभव किया जा सकता है । इसी प्रकार भगवान तो नित्य प्राप्त हैं सबके ह्रदय में विराजमान हैं दिव्य नेत्रों से प्रभू कृपा होने पर अनुभव भी कर सकते हैं पर साक्षातकार नहीं हो सकता। यह तो ईश्वर जिस प्राणी पर या अपने परम भग्त पर जिसने अनन्य भग्ति कर भगवान को पूर्ण समर्पित हो गये हैं, भगवान का साक्षात्कार कर सकते हैं, उनका दीदार कर सकते हैं और परमानन्द को प्रापत कर सकते हैं।                                                  Video No-2      
                                                                                                                                                                                                                                               दास अनुदास रोहतास