Maya
Shree Radhe Radhe Ji
Shree Radha RanI Ji
हमारे ऋषियों, मुनियों, महात्मनों ने जब से यह सुन्दर सृष्टि बनी, इन दिव्य शक्तिओं को गुप्त रखने के लिये, दिव्य पात्रों को दिव्य माला में पिरोने के लिये अपने श्रद्धासुमन रूपी शब्दों को पवित्र आंशुओं से सींच सींच कर अपने भग्ति रूपी श्रद्धा भावों से सुन्दर ग्रंथों की रचना की है। हम भी मालिक कृपा होने से अपनी श्री राधा रानी जी के शुभचर्ण कमलों में शब्द रूपी श्रद्धा सुमन प्रवाह करने का प्रयास करते हैं :-
1 . राधा परम आत्मा है, परम के हृदय में वास है
2 . राधा आत्म तत्व है जिसका सबके हृदय मे वास है
3 . यह तो रसियों का रस है
4 . राधा तो दिव्य शक्ति है जो अदृष्य है, प्रभ ज्योत है
5 . राथा तो मंथन के बाद प्राप्त होने वाला वह अमृत है जो नसीबों वाले चखा करते हैं
6 . राधा तो घृत, मक्खन के समान है जो दूध में व्याप्त है
7 . राधा सभी प्रकृतिक तत्वों का दिव्य गुप्त रूप में चेतन्य पद् है "Gravity Power" तत्व है जो दिखाई नहीं देता।
8 . राधा सृष्टि में वह प्रकाश हैं जो तीनों लोकों को प्रकाशन्वित्त करता है।
9 . राधा प्रकृति के हर तत्व में दिव्य रूप से चेतन तत्व के रूप में विद्धमान वह दिव्य शक्ति है जो दिखाई नहीं देती पर सब में है जैसा कि बादल, बादल में पानी पानी में बिजली बिजली में शक्ति power ,
10 . राधा रानी परम श्रधा है जो सबके मनों मे वास करती है पावन पद भाव है
11 . श्री राधा श्रद्धा है, भक्ति है, भग्वत्ता है ,भग्तों के हृद्यों का मूल तत्व है
12 . राधा परम आनन्द है, प्रेम है , मधुरता है, मधुर हैं
13 . राधा सोन्दर्य है, माधुरिय है, मथुरता है, मधुरमय है
14 . राधा शीलता है, सरलता है, प्रकृति की खुशभू है, करूणा है, प्रेम रस है रसना है, प्राणियों का अस्तित्त्व है, यथार्थता है, ऐश्वर्य है, लज्जावान है, राग हैं अनुराग है, विभूतियां है, गन्दर्वों में प्रकाश है, विराटता, विशालता, महानता है, परा अपरा हैं, विद्धा है, मंगला है, कमला है, कल्याणी है, पतित पावन है, तारणी है, भग्वत्ता है। इस सुनदर पवित्र सृष्टि के प्राण हैं, क्या नही है राधा ?
15 . राधा तो भगवान श्री नारायण का परम अश्तित्तव है। श्री राधे तो अन्तर्त्तामा हैं, भगवान कहते मेरे पास तो राधा के बिना कुछ भी नहीं। मै तो क्या इस सृष्टि में भी राधे के बिना कुछ नजर नहीं आता। राधा तो * लक्ष्मी * है, राधा तो सम्पूर्ण सृष्टि की मालिकन हैं । दोनों सूर्य के समान हैं भगवान सूर्य हैं + राधे तेज के समान हैं अगर सूर्य में तेज न हो तो, हमें ऐसा नहीं सोचना है हमें तो बस जय श्री राधे राधे जी ही बोलना है जय श्री राधे राधे जी।
16 . राधा तो सृष्टि है
17 . राधा सृष्टि का मूल अधार है
18 . श्री राधे भक्ति स्वरूप हैं, श्री भग्वति हैं, शक्ति हैं, दुर्गा हैं
19 . राधा प्राणों में प्राण है है
20 . राधा परिषदों उपरिषदों में है
21 . ग्रंथों में है लेकिन राधा का नाम श्रीमद्धभागवत् में नहीं आता ?
विशेष:---
श्री नारायण भगवान अधिपति हैं श्री राधे रानी, "नारायणी" लक्ष्मी जी हैं, इस पवित्र सृष्टि का आधार है परम दिव्य आदि शक्ति का दूसरा नाम ही राधा है। जो राधा नाम से जानी जाती है। " तत्व में दिव्यता " जो अदृष्य दिव्य रूपी शक्ति गुण है यही राधे है।
*श्री राधा रानी जी अदृष्य दिव्य शक्ति चेतन तत्व स्वरूप है।
*श्री कृष्णा जी अस्तित्त्वमय दिव्य परम आत्म तत्व स्वरूप हैं।
जय श्री राधे राधे जी
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Jai Shree Krishna
* Secular Spiritual Secrecy *
GOD
Supreme Atom+Divinity
Supreme Divine Atom +
Supreme Divine Power
Krishna + Radha
जिस प्रकार सूर्य में तेज है, प्रकाश है जिससे यह समस्त सृष्टि व इसमें समस्त सृष्टियां रोशान्वित हो रही हैं तो सूर्य देवता हैं, सूर्य भगवान हैं अन्यथा प्रकाश के बिना भी आपने देखा है, सूर्य एक black hole सा लगता है, ठीक इसी तरह भगवान Supreme Atom, "ATOM" तत्व में जो दिव्यता है जो दिव्य गुण है विशेष तेज Gravity Power है जिससे यह हीरे के समान चमकता है Brilliant, Divinity, Stability, Immortality and ephemerality क्षणभंगुरत्ता है और सभी ग्रह उप ग्रहों को आकृषित करने की, प्रभावित करने की क्षमत्ता है, यही शक्ति जो हैं सब राधा नाम से जानी जाती है, के रहते ही तो श्री कृष्णा परमात्मा है Supreme-Atom , Supreme Soul, Supreme Tatav हैं अन्यथा अन्य ब्रह्मांड में जो अन्य ग्रह हैं उनके समान हैं। इसी प्रकार दिव्यता Divinity के बिना Supreme Atom भी सृष्टि चक्र को Systemeticully चलाने में असमर्थ हैं ठीक उसी प्रकार श्री राधा रानी रूपी आत्म तत्व, शक्ति के बिना, परम आत्मा श्री कृष्णा व सृष्टि में अन्य सृष्टियां, हम सब जीव का कोई अस्तित्त्व ही नही, असहाय हैं प्राणियों का रहना भी अधूरा है, असम्भव सा हैं।
* राधा के बिना श्याम आधा *
इसी लिये तो यह कथन कवियों ने गाया है।
हमारे ऋषियों मुनियों महापुर्षों की यह महानता है जो तत्व के इस गूढ रहस्य को आज तक गुप्त रखे हुए हैं और रहना भी चाहिये। गुप्त रहने से ही तो भग्वान की इस दिव्यता, रसना और प्रेम का आनन्द प्राप्त किया
जा सकता है।
पुरुष + प्रकृति
वास्तव में देखा जाय यह दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, यह सृष्टि अधूरी है, सभी सृष्टियां अधूरी हैं सब किछ अधूरा है क्योंकि प्रकृति और पुरुष (आत्म तत्व) दोनों ही पूरक हैं मूल आधार हैं।
जय श्री राधे कृष्णा जी
Hinduism's Secret Spiritual Knowledge
Das Anudas Rohtas
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"मजाक और पैसा शोच समझ कर उडाना चाहिये"
हजारों, लाखों, सालों से हम सब सृष्टि के साकारात्तमक रूप का आनन्द लेते आ रहे हैं कभी निराकारात्तमक रूप के आनन्द के बारे में किसी ने सोचा है। उसके लिये हमें अतीत में जाना पडेगा। यह जीवन यह सृष्टि यह संसार बहुत अनमोल है इसको अपने हाथों से न जाने दो, इसे बचाओ ,इसकी कदर करना सीखो। हम सबको चाहिये परमपिता प्रमात्मा सच्चिद्धानन्द भगवान श्री हरी जी की अनन्य भग्ति कर, पूर्ण समर्पित हो उनकी शरण में जाना चाहिये जहां हमें परम शान्ति, परमानन्द की प्राप्ती होगी। यही हमारे जीवन का एकमात्र परम उद्धेष्य है।
*विश्व को परम शान्ति की आवश्यकता है*
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🌷 ॐ शान्ति शान्ति ॐ 🌷
अद्धभुत सुन्दर सृष्टि भगवान द्वारा Automatically, Systematically & Divinely Created सुन्दर दिव्य रचना है, को मजाक समझना अच्छा नहीं होता। इसमें रहते, रचित प्रकृतिक उत्त्पतित् जन साधनों का, हम सब विश्व प्राणियों को सद्धुपयोग कर, मान, सम्मान व कदर करना चाहिये।
दास अनुदास रोहतास
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