Tuesday, October 9, 2018

* ATOM * BACTERIA CELL * GERMS *

 
    * जिवाणु * Bacteria Cells * Atom *
                         ------------------------

   श्रीमान जी नमस्ते,

  No. 1                 ध्यान ४-३० am on 9-10-18 का है बहुत सुन्दर साफ ध्यान में ये जीवाणु हमने आन्तरिक दिव्य ब्रह्मांड में बिल्कुल साफ साफ अवलोकन किये हैं बहुत बारीक ध्यान मन की दिव्य ज्ञानमय आंखों से बारीक गहरा ध्यान जो पांच मिन्ट तक लगा होगा जो हमने दर्शाया इससे भी बारिक और यह सब जीवाणु खिल-बिल, खिल-बिल कर रहे हैं ( बडे आकार में देखा जाए तो श्रावण के महिने में एक जीव जिसे हरियाणवी भाषा में तीज जैसी एक गोल भूंडी कहते हैं वैसा नजर आता है रंग गहरा पीला भूरा ) एक बीज होता है," कांगणी " का उससे भी १००० गुणा बारीक लेकिन बिल्कुल साफ अनुभव है। "* यही भगवान की दिव्य लीलाएं हैं *" वैसे अति सूक्ष्म से भी सूक्षम रूप मे Miner - Atoms भी हो सकते हैं बहुत बारीक हैं और ऊपर नीचे भी हो रहे हैं पर यह देखने में Human Germs ( Bacteria ) जैसे नजर आ रहे हैं और ऐसा भी हो सकता है कि अध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ज्यादा तादाद में Atoms आत्माएं अनुभव हो रही हैं बीच में हीरे की कणी की तरह एक दिव्य परम आत्मा  Supreme Divine Atom चमकता हुआ अनुभव हो रहा है। बिल्कुल साफ दृष्य है। सुना है आकार में Atom हमारे शरीर के एक बाल की नोक वाला सिरा जो होता है उसके 20×20 वां जो भाग होता है उसके समान होता है यह दिव्य अनुभव तो उससे भी कई गुणा बारीक और साफ सुन्दर अनुभव है। आगे प्रभू जी की कृपा है।

                 

  No. 2              *  सत्य की खोज *
                                 ----------

            इतना ही नहीं 10-10-18 को भी 1-15 am पर Only, " Supreme Divine Atom" के बहुत सुन्दर साफ दिव्य दर्शन, In Internal Divine Universe में अवलोकन करने को मिले हैं जो नीचे चित्र में दर्शा दिया गया है। बहुत सुन्दर, साफ, दुर्लभ, अद्धभुत दिव्य परम आत्मा, Supreme Soul, Supreme Atom, * सूक्ष्म * "निराकारा" के दिव्य दर्शन अवलोकन करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है। हम सबको उस परम पिता प्रमात्मा को समर्पित होते हुए, * सत्य * की भली-भांती खोज कर परमानन्द को प्राप्त होना चाहिये जो एक मानव धर्म है और जो हम सब जीवों का और प्राणियों का, इस सुन्दर सृष्टि में यह अनमोल दिव्य, सुन्दर जीवन पाने का एकमात्र उद्धेश्य भी है।

 विशेष:---

            अत: अब बिल्कुल स्पष्ट है कि भगवान एक अणु के समान है जिनका आकार बहुत सूक्षम से भी सूक्षम बिन्द् के समान है जो निराकार हैं जो एक हीरे की बारीक कणी के समान हैं। इसमें से निकलने वाली किर्ण की चमक बहुत जबरदस्त चमकिली तेज होती है जो एक अपार दिव्य शक्ति है, पूर्ण हैं और समय  रहते युग विशेष काल में, किसी भी दिव्य साकार रूप में प्रकट होने की क्षमता रखते हैं और युग-युगान्तर के बाद अपने दिव्य अति प्रिय मोहनी साकार " नारायण " रूप में भी प्रकट हो जाते हैं, जिसे ईश्वर की कृपा होने पर ही अवलोकन किया जा सकता है। और हम प्राणियों में जो आत्म तत्व है वह तो और भी सूक्षम से भी अति सूक्षम होता है केवल मात्र परम के एक अंश के समान है, जो हमारे शरीर के बाल की नोक से भी ४०० वां गुणा बारीक आकार के समान, अति बारीक होता है, जो हवा में भी दिखाई नहीं देता है। यह एक व्यक्तिगत अनुभव का विषय है! जीव के पिछले जन्म के कर्म फल उदय होने पर तथा भगवान की विशेष कृपा होने पर ही किसी विशेष प्राणी, ईश्वर के परम भग्त, लग्नेषू, जिज्ञाषू, योगी पुरुष, दिव्य पुरुष या अवतारी पुरुष को " विशेव ज्ञानमय दिव्य दृष्टि कृपा पात्र " होने पर अन्तर्मुखी होते हुए, दिव्य ब्रह्मांड जो हमारी भृकुटि के मध्य में स्थित है,  प्रभू जी की विशेष कृपा होने पर अनुभव हो सकता है।
                                  * सूक्ष्म *


  दास अनुदास सूक्ष्म अवतार रोहतास
                                      

No comments:

Post a Comment