🌹अध्यात्मिक जगत में चोदह लोक 🌹
जय श्री कृष्णा
सत्य सनातन अथ्यात्मिक धर्म के अनुसार
* प्राकृतिक व अध्यात्मिक जगत के चोदह लोक *
Hinduism के अनुसार भारतीय पौराणिक कथाओं, सास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार चोदह लोक मान्य हैं सात ऊपर के और सात नीचे के जो आदिकाल से मान्य हैं जहां सभी प्रकार के प्राणी, जीव, मानव, ऋषि, मुनी, देव, दानव, पशु, पक्षी, थलचर, जलचर, नभचर, और प्राकृतिक सम्पद्धा पाई जाती है जिनमें मनुष्य सबसे प्रमुख व सक्ष्म प्राणी है सृष्टी में निम्नलिखित मेन चोदह लोको का ही वर्णन आया है हम भी ईन चोदह लोकों के बारे में अपना अध्यात्मिक दिव्य यात्रा का व्यक्तिगत अनुभवी प्रयास जो प्रभू कृपा होने पर हमें हुआ है आप सभी महानुभवों के साथ साझां करना चाहेंगे जो निम्न है
💐 सृष्टि की रचना के आधार पर लोक 💐
सृष्टि
प्रकृति + पुरष
Natural + Spiritual
भौतिकी लोक + अध्यात्मिक लोक
अध्यात्मिक्ता से सात लोक ऊपर के:-----------
0. भूलोक यहां common है
1. यम लोक " धर्म राज पुरी "
2. नर्क लोक " योग माया "
3. स्वर्ग लोक " ईन्द्र लोक "
4. बैकुण्ट धाम " विष्णु लोक
5. रुहानी धाम " lord Shiva "
6. सत्त् लोक देव लोक "lord ब्रह्मा "
7. नारायण धाम "लक्ष्मी नारायण धाम "
भौतिकी से सात लोक नीचे केः--------------
0. भूलोक यहां common है, सभी प्राणी जीव
1. थललोक, शक्ति लोक(कच्छ divine eyes)
2. जीव लोक रतन लोक (सभी अमूल्य रत्तन)
3. नाग लोक मणि लोक (दिव्य मणी लोक)
4. वरुण लोक ( White Fish )
5. रस लोक (blood circulate)
6. रसातल लोक (बडीआंत छोटीआंत मांस)
7. पाताल लोक (kota-Stone) creck
इन चोदह लोको से अलग और भी अन्य लोक हो सकते हैं जैसा कि देव लोक में, " ब्रह्म लोक, विष्णु लोक, शिव लोक, पारब्रह्म लोक और लक्ष्मी नारायण धाम और दैत्य लोक आदि " ः सबका अपना अपना व्यक्तिगत दिव्य अनुभव होता है जो मानवता की भलाई के लिये, व परमानन्द की प्राप्ति हेतू, सभी बुद्ध जिवी, दिव्य पुरुष, योगी पुरुष, अवतारी पुरुष, ज्ञानीजन व महापुरुष विष्व शान्ति व सद्धभावना बनी रहने के लिए व मानवता की भलाई हेतू पीछे अपना अपना अनुभव संसार में छोड जाते हैं
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When Atom Tatav becomes Free, can realized Divinity
जब आत्म तत्व अनन्य भग्ति करता हुआ अपने स्वयं के तत्व का बोध कर लेता है और एक्टिवेट होने पर स्वतन्त्र हो जाता है तो जैसा कि पीछे हमने अध्यात्मिक्ता और भौतिकी के आधार पर चौदह लोको के ऊपर डीसकशन किया, अब प्रशन्न उठता है हम कौन साधन अपनाय कि हमें भी अपने जीवन मे व्यक्तिगत दिव्य अनुभव हो पाय,...........
इस संदर्भ में ऊत्तर है ..........
दिव्यत्ता दिखाई नहीं देती यह तो अनुभव का विषय हो सकता है, दिव्यत्ता ईश्वरीय दिव्य गुण है जो बहूत कम अनुभव में आता है जैसे भगवान ने एक जीव है..... जुगनु..... कृपया ध्यान से इसे समझें, यह किस की देन है और किसने बनाया किसके लिये बनाया Focus on it........और मृग मै कशतूरी की खुशभू......ठीक इसी प्रकार समझें कि भगवान अपने परम भग्त पर भी स्पेसली अपनी कृपा इसी प्रकार करते हैं
. जब जीव, प्राणी अनन्य भग्ति करता हुआ, परम तत्व से योग कर लेता है परम के सभी दिव्य गुण वतरित हो जाते हैं, तो फिर देखो घूम कर वहीं आ गये ना, After being Grace of God, प्रभू कृपा का होना तो बहुत जरुरी है, परम रूपी समूद्र मेँ डुबकी लगाने से परम तत्व के सभी दिव्य गुण अवतरित हो गये और दिव्यता प्राप्त हो गई, जिससे हमारे स्थुल, सुक्ष्म, कारण व चेतन्य आदि सभी दिव्य शरीर Active हो जाते हैं, कारण शरीर क्षण भंगूर है जहाँ चाहें प्रकट होने की क्षमता रखते हैं
अब इन दिव्य शरीरो के सहयोग से ही किसी प्राणी का आत्म तत्व गुणातीत होने पर, पवित्र होने पर ही तत्व " जो कारण शरीर के रूप में होता है किसी अन्य लोक या धाम में जाकर प्रभू कृपा के रहते, अपने स्थुल शरीर के, सूक्ष्म शरीर से, मन के दिव्य नेत्रों दू्आरा, कारण शरीर से अनुभव कर लेता है yet its the metter of self Realization and no one can show to any other कोई प्राणीः कैसे झांक सकता है हां अपने internal divine universe में जाकर holy soul गुणातीत होने पर अन्तर्मुखी होते हुए you can realized the activity of that place.any other Lokas in this beautiful Shristi. अपने स्वयं के दिव्य ब्रह्माण्ड में अन्तर्मुखी होते हुए जब प्राणी अपनी स्वयं की सृष्टि की की गहराई में जाकर अपने अन्दर के सभी दिव्य लोक- परलोकों का अनुभव कर सकते है ंका बोध कर सकते हैं ध्यान रहे Grace of God is very Compulsory.
इसी के साथ भगवान से प्रार्थना करते है ं विष्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्धभावना हो, सभी प्राणियों का शुभ व मंगलमय हो
जय हिन्द जय भारत
दास अनुदास रोहतास



