Tuesday, December 31, 2024

प्रकाश रूप भगवान का साक्षात्कार

 दिव्य आदि शक्ति ईश्वर के परम प्रकाश रूप भगवान की

                🌼 प्रभ ज्योत का साक्षात्कार 🌼

           Holy Vision of Supreme God's

                         Prakash-Roop

        Due to grace of God, the incarnate man Rohtas had the vision of Supreme God, even in the form of "Divya-Holy-White-Prakash-Roop" through Bhirkuti on 30-12-24 afternoon at 2-30 pm on Wall


                          Das Anudas Rohtas

Monday, December 30, 2024

Wnderful Divine realization

.                  * Strange Divine Realization *

                                  Jai Shree Ram

                                           Ram


           The meditation of Amritvela is very beautiful in internal divine Universe in " Bhircuti " on 30-12-24. We  are realizing divine activation of all the great divine characters of the entire Ram Darbar of Treta Yuga. Bhavaya Ram Darbar Darshana is completely Divine.

                       Das Anudas Rohtas


       

Sunday, December 1, 2024

सादर प्रणाम् जी

.                   👏 * सादर प्रणाम् जी *


Das Anudas Rohtas


Monday, September 30, 2024

* Origin of Shristi to Qayamat *

Jai Shree Krishna  Jai Shree Ram   

* Is it Qayamat ? *

" From the origin of the Shristi
 to Doomsday "

😭


   ॐ तत्त् सत्त्

 

जय श्री कृष्ण 


 It may be Black Hole
!


Das Anudas Rohtas 




राजा परिक्षित - महाकाल प्रभू शनिदेव, कलयुग में

 .                      👏 ॐ तत्त् सत् 🇮🇳



राजा परिक्षित् - महाकाल प्रभू शनिदेव in कलयुगे:

       यदा  यदा  हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।

      अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

      परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दष्कृताम् ।

      धर्मसंस्थापनार्थाय   सम्भवामि  युगे  युगे ।।


आदरणीय परम स्नेही भग्त जनों, 

 👏 सादर प्रणाम् 

                    सभि महानुभाव, महापुरुष, दिव्यपुरुष, बुद्धजिवी, महात्मन और योगी पुरुष, आप सब, आध्यात्मिकता अनुसार भली भान्ती अच्छे से परिचित हैं कि 5000 साल पहले महाभारत काल के समय से भी पहले, देवी सत्यवति और ऋषि पाराशर के प्रेम अनुराग से पुत्र ऋषिवर वेद ब्यास जी उत्तपन्न हुए थे, जिनकी कृपा दृष्टि से देवी अम्बे अम्बिके से *राजा धृतराष्ट्र* पाडंव और विधुर के वंशज हुए। आगे चल कर पांडव के पांच पुत्र हुए जिनमें तीसरे नं का कुंती पुत्र धनुर्धारी अर्जुन पैदा हुए। और आगे चल कर अर्जुन का बहादुर पुत्र वीर अभिमन्यु हुए जो महाभारत के समय वीरगति को प्राप्त हुए। और फिर समय रहते ही अभिमन्यु के पुत्र परिक्षित हुए जो एक तेजस्वी राजा हुए जो राजा परिक्षित के नाम से सर्वश्रेष्ठ धर्माचार्य राजा के नाम से विख्यात हुए। बाद में सुना है कलयुग का प्रभाव छाने लगा। महाकाल के रूप में शनिदेव प्रकट हुए और यह राज सिंहासन शनिदेव ने सम्भाल लीया और उस वक्त से कल युग का पहर आरम्भ हो गया। राजा परिक्षित का पुत्र हुआ "जन्मेज्या" और फिर तब से लेकर आज तक यह जन्म मरण का चक्र यूं ही चला आ रहा है।

     * यहां रुहानी discussion हो रहा है अनुभव की       पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं वह पुस्तकों और   विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। *

                In the divine memories of true devotes of God now we want to repeate some divine Experiences अब हम यहां अपने कुछ अध्यात्मिक दिव्य अनुभव आप सबके बीच में आध्यात्मिकता से जो दिव्य पात्र हैं का, हमें जो दिव्य अनुभव ध्यान अवस्था के दोरान अनुभव हुए, सांझा करना चाहते हैं। जो बिल्कुल स्पस्ट है जो हमें एक बार सतसंग के बीच मे ध्यान में बैठे clearly अनुभव हुए थे। जो शुद्ध सोने से निर्मित दिव्य ताज - पोस महाभारत के बाद राजा परिक्षित ने शनि देव की महादशा आने पर, प्रभू महाकाल शनिदेव को शोंप दिये थे और स्वयं गहन तपस्या करने हेतू भग्ति करने हेतू पवित्र तीर्थ शुक्रताल को प्रस्थान कर गये थे। अब वह सभी, काले घोडे की कटी हुई गर्दन, जो स्वर्ण ताज पोषी से विभुषित थी, और अन्य स्वर्ण आभूषण, स्वर्ण मुकुट आदि हमारे को ध्यान के समय देने लगे, तो हमने कहा, इनको छोडो अब इनकी आवश्यकता नहीं। यह सब प्रभू कृपा के होते, एक दिव्य लीला के वशीभूत हो रहा है। It happened divinely. It's divine realization during meditation. Yet it is the matter of self realization and no one can not show to others. Its all depends on the automaticaly systematiculy & diviniely rules of lord god on Holy Earth in this beautiful Shristi. लगता है भगवान ईष्वर अब जहां से दवापर युग में दिव्य लीला छोडी थी तदनुसार वहीं से ही शुरु करना चाहते हैं। लगता है इस अद्धभुत् दिव्य अनुभवी संसार में, दिव्यता यहीं-कहीं पर हम सबमें में से किसी न किसी के पास हो सकती है। और 1990 से दिव्य समय चल रहा है। भगवान ने अवतार धारण किया हुआ है जो विष्व की इस 7-8 अरब आबादी में से कोई भी सुलझा हुआ दिव्य व्यक्तित्व, महान, भद्रपुरुष, हो सकता हैं। युग परवर्तन का समय है हम सबको परम - ईष्वर की भग्ति अवश्य करनी चाहिये। जो एक मानव का परम धर्म है और मानव होने के नाते हमारा परम उद्देश्य भी है।

   Secular Spiritual Divine Knowledge

               रचा है सृष्टि को जिस प्रभू ने वही.......

                             दास अनुदास रोहतास

Tuesday, September 24, 2024

Latest Divine Realization during meditation

             Latest divine Realization

                  Moving east to west

.  

             Latest Divine Realization 


Das Anudas Rohtas


Saturday, August 31, 2024

🙏 In Search of Truth 🙏

   


                     In Search of Truth


No doubt there has been going to efforted on both side factors spiritually and physicaly in search of Truth in this besutiful Shristi.