Sunday, October 29, 2017

PARAMHANS ROHTAS

                       * परम हंस रोहतास *
  

    
                    जब आत्म तत्व "आत्मा" पवित्र हो जाती है तो मालिक यानी परम पिता, प्रमात्मा, परम आत्मा अपने सभी दिव्य गुण सभी दिव्य शक्तियां आंशिक रूप से क्षणिक समय के लिये अपने अनन्य परम भग्त को अपनी दिव्य लीला अनुभव कराने हेतू यह कृपा करते हैं और जैसा कि परम हंस शब्दो से ही अभिप्राय है," परम का हंस " अत: आत्मा परम के हंस के रूप में तीव्र गति से उडती है और विष्व आत्माएं एक * Just like a Flame of the Ges-Blower * आत्मिक प्रवाह का रूप धारण कर लेती हैं जो एक तुरिया क्रिया का प्रारूप ही दिखाई पडती है इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है, मानों पारब्रह्मं प्रमेश्वर अर्थात परम आत्मा में से सृष्टि की सभी आत्माओं के प्रवाह के आवागमन की क्रिया प्रतिक्रिया का इतनी तिव्र गति में अनुभव हो रहा हो। बहुत ही परम आनन्द की प्राप्ती होती है और ध्यान अवस्था स्थिर व गहरी होती जाती है। यह परब्रह्मं परम पिता प्रमात्मा की अपने परम भग्त पर विशेष कृपा होती है परम स्नेही भग्तजन की ऐसी अवस्था को अध्यात्म में परम हंस के नाम से सम्बोधित किया गया है।
      अध्यात्मिक सच्चाई
                                               दास अनुदास रोहतास

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