Monday, December 30, 2019

Effectation of Natural Virtues on Shristies "Creaters" created By The Almighty God

Ask Questions *** Get Answers *** Doubt *** Solutions ***
Face Book***30-12-2019

Question by: --- Mahi Singh

Greetings to all the scholars
Everyone has a question
Everybody knows that God is one and God resides in different names in all.
Knowing all this, why do all people argue among themselves, why do they quarrel, why are they vying to see each other down, all are humans, they are believers of God, so why are all sitting enemies of each other, why not God in everyone Seeing him behaving well with him, why why ??


Answer by Shree Rohtas Ji:-----


                       " Om Tat Sat "

Namaste Ji,

                       After getting inspiration according to the grace of the owner, we try to write the answer in brief. According to the big law - the law and the destiny of God, in this beautiful creation, all the body-like creation has been made with the combination of male and natural elements. Spiritually, the soul is addressed here with the word Purush and our divine capable body made of the bondage of natural qualities has been known as nature here. Please pay attention here.

                        Changing is the law of nature, due to the change in the properties of nature, the attitudes, Nature, Rajoguna, Sarogun and Tamoguns are influenced by the qualities of every universe here, and by the qualities of the five elements and knowledge of nature. Those who have a close relationship with our mind, the nature of the mind is very fickle, due to which all these able beings (living beings) etc. can be seen in the experience of different nature. Under the ultimate soul is Immortal is the same in all the Holy Soul's holy, which are Vikar mukt " Gunateet " (The Holy Soul which is very holy is Immortal, which, while being devoid of (multiplication), always remains the same, stable, holy in the last and middle all three stages, so all the beings are different from nature even though they are Bhagavan Prima i.e. God is the form.

       Spiritual intelligence

                                  Das Anudas Rohtas

Sunday, December 29, 2019

अध्यात्मिक दृष्टि से सृष्टि में पुरुष व प्रकृति का गहरा सम्बन्ध है

Face - Book
प्रश्न पूछें *** उत्तर पाएं *** शंका *** समाधान ***
Question by :--- Mahi Singh 

सभी विद्वानों को प्रणाम्
सभी से एक प्रश्न है
सभी जानते है कि भगवान एक ही है और नाम अलग अलग ओर सभी मे भगवान वास करते है
ये सब जानते हुए भी सब लोग आपस मे बहस क्यों करते है क्यों झगड़ते है क्यों एक दूसरे को नीचा देखाने की होड़ लगी है सभी इंसान हैं भगवान को मानने वाले है तो सभी क्यों एक दूसरे के दुश्मन बने बैठे हैं क्यों नही हर किसी मे भगवान को देख कर उसके साथ अच्छा वयवहार करते ,क्यों क्यों ??

Answer by Rohtas:----
                        " Om Tat Sat "


 नमस्ते जी,
               मालिक की कृपा अनुसार प्रेरणा पाकर संक्षिप्त में  उत्तर लिखने का प्रयास करते हैं। भगवान ने बडे विधी - विधान व नियति अनुसार इस सुन्दर सृष्टि में शरीर रूपी सभी सृष्टियों की रचना पुरुष एवं प्रकृति के मेल से की है अध्यात्मिक दृष्टि से आत्मा को यहां पुरुष शब्द से सम्भोदित किया है और हमारे दिव्य सूक्ष्म शरीर जो प्राकृतिक गुणों के बन्धन से बना है को यहां प्रकृति के नाम से जाना गया है कृपया यहां ध्यान देने की आवश्यकता है Changing is the law of Nature जिसकी वजह से प्रकृतिओं के गुणों मे बदलाव होने से यहां हर सृष्टियों की मनोवृतियां, स्वभाव, nature, सत्वगुण, रजोगुण, व तमो गुणों के प्रभाव की वजह से और प्रकृति के पांचों तत्वों व ज्ञानिन्द्रियों के गुणों से प्रभावित होती है। जिनका हमारे मन से घनिष्ट सम्बन्ध होता है। मन का स्वभाव बडा चंचल है जिनकी वजह से ये सब सूक्ष्म सृष्टियां (प्राणी, जीव) आदि भिन्न भिन्न स्वभाव वाली अनुभव में नजर आती है लेकिन परम आत्मतत्व सब मे एक समान है जो Holy Soul अति पवित्र है, Immortal है, जो विकारमुक्त (गुणातीत) होने पर आदि अंत और मध्य तीनों अवस्थाओं मे सदा समान, स्थिर, पवित्र बनी रहती है। अत: सभी सुक्ष्म सृष्टियां स्वभाव से भिन्न होने पर भी भग्वत् प्रायण हैं, भगवान स्वरूप हैं ।
           अध्यात्मिक गुह्य ज्ञान
                                 दास अनुदास रोहतास

Monday, September 2, 2019

Sun may be Effected


         
          Latest divine Realization during meditation in I. D. U. at 9-00am on
 03-9-2019.

                 Sun may be Effected
   

There is Blue flame around the Sun
   1. It may be Mercuri of Sun
           2. It may be Nibiru-x planet.         3. Sun yaan sending by      
 any country.
There seems 4. and 5. some new planets


Sun Activation in Space
 2. It may be Fresh & new Sun
1. It seems it may be as you look in the First, an old Sun. There are some planet and some stars are brightening and old sun start threwing bright white Electronic waves, which are showing in the image, given below .


Realization during meditation of Sun


Divine realization during meditation



                      Das Anudas Rohtas



Wednesday, July 24, 2019

SRIISHTI CHAKRA ACCORDING TO BLACK HOLE

   Shristi Chakra through Viveka Power


                     Srishti Chakra
                          -------------
                       Black Hole 
            Live alive in all three stages Originator (Creator), Operater & Distroyer in every Era.
                Circulation of the Shristi's Solar System depends upon the Black Hole. It's circulate is like a Galaxy.  Black Hole is The Cause of Creation.

1.    First of all there become the pressure of Gravity powers & then there is a great blast in Black Hole, in universe & appeared a brilliant Supreme Divine Tatav which established on the upper place in Universe and become the beginning of the flow of creation of this wonderful beautiful Shristi.

2.     Circulating the whole Solar Systems and operated the whole Shristies in Shristi

3.     At last, Coach all our the Cyclone


Shristi Chakra realization during meditation at 02 to o3 am on 4-12-19


Mahakaal Perbhu Realised
During Meditation
30-8-2019


                          Das Anudas Rohtas







Tuesday, June 4, 2019

Virat Roop's Divine Activation

        Virat Roop's Divine Activation


                 Realization during meditation at 11-40 pm on 3-3-2019 in I D U. that all great soul in their Suksham Sariras coming towards our internal divine universe seems as a great Flow on Highway at midnight, of  Suksham Shristies, in Shristi Like Dawaper Era, Showing Virat Roop By Lord Shree Krishna to Arjuna on road Highway, in our Bhirkuti and after these there we realized a great over- Flow Flood in a great wide river with great trees very clear.

       Om Shanti



Que:--क्या कोई तरीका है आत्मा को देखा जा      
सके ? 


Ans by Rohtas:--

               एक आत्मा ही तो है जो हमारे पास सबसे समीप है जो हमारे हृदय में वास करती है हमें इसे ही नहीं देख पा रहे तो हम और क्या देख सकते हैं एक आत्मा ही है जो हमें बार बार इस सुन्दर सृष्टि में अपने कर्मफल अनुसार यहां जन्म पाने के लिये बाद्ध करती है।और अन्य कीसी चीज को चाहे वह कितनी ही अनमोल क्यों न हो देखने का क्या फायदा वो आज हैं कल नहीं लेकिन आत्मा अमर है अजर है।

               Now we should know that It is the matter of Self realization & we can realized our Soul in internal divine universe being Introverted only by doing continuous practice of deep meditation, without any attachment to natural virtues, being consciousness and stable mind.

Special:-*Pectice makes A Man Perfect* 

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  In News



                              Das Anudas Rohtas

Saturday, May 25, 2019

Asteroid during meditation

       Astroids Realization durning                                     Meditation


                  पूजा के समय साफ ध्यान at 7-40 am on 21-5-19 का अनुभव, I.D.U में कोई कोई star भी अनुभव में आ रहा है। No:- 1.  Brown रंग का एक पींड asteroid दिव्य ब्रह्मांड में अनुभव हो रहा है जिसके चारों ओर लाल रंग (तेज, प्रकाश) का ORA नजर आ रहा है। 2.  एक White सफेद रंग का चमकीला पिंड asteroid नजर आ रहा है ऐसा लगता है मानो यह दोनों टकराने वाले हैं 3.  अब दोनों पिंडों के बाहर कि ओर लाल रंग का ora नजर आ रहा है। 4. अब white asteroid कुछ पीछे की ओर चला गया और एकाएक एक Black काले रंग का गोल पिंड asteroid सामने नजर आने लगा । 5 अब Brown रंग का पिंड ही नजर आ रहा है जिसके चारों ओर बहुत जबरदस्त लाल रंग का इसका अपना ORA नजर आ रहा है।
                    Dangerous Astroid



                          Om Tat Sat

 Realized Only for 5 seconds


It may be Solar Eclipse


Dinosaur looking just 
like a Tortoise
*****"
          Dinosaur looking Just Like a Tortoise In I. D. U. This Dinosaur is scaring us by showing his two big teethby tearing his mouth during meditation.  " Is there any hint of 
any Untoward- Incident in 
Future ?"


                      Das Anudas Rohtas

Tuesday, May 7, 2019

*भारत में भगवान का अवतार* सृष्टि में भगवान का नारायणी देह से प्रकट होना


                     * भगवान का अवतार *


जय श्री कृष्णा

                       दिव्य आन्तरिक space में कृष्ण जी का " कृ्ष्ण अर्जुन स्वांद " वाला दिव्य रथ, व अन्य देव रथ जो दवापर में दिव्य space में उडते देखे गये थे , तथाकथित ध्यान अवस्था में अब वर्तमान में भी हलका सा अनुभव में आया है प्रिय: परम स्नेही भग्तजनों जब भी ईश्वर अपनी सुन्दर, दिव्य नारायणी देह से क्षणभर के लिये  इस सुन्दर सृष्टि मे प्रकट होते है, तब सभी महान  दिव्य देव अनुभूतियां उनके दर्शन पाने के लिये एकायक उमड पडती हैं, हो सकता है यह वैसा ही कुछ अनुभव हो जो निम्न रूप से दर्शाया गया है। at 1-30am, on 5-5-2019।
        Universal Truth

Appearience of God


                                      दास अनुदास रोहतास

Appearience of God

                                GOD



                       The  Adhi  God




    Appearience of "Lord God" in India             

                       

 ॐ नमों भगवत्ते श्री वासुदेवाय:

प्रिय: परम स्नेहि भग्तजनों सादर प्रणाम!
 
                  भगवान तो कभी के अपने बहुत सुन्दर, मोहिनी, अति प्रिय:, दिव्य, साकार रूप, "मानूषं-रूपं" form में साक्षात् इस पवित्र, अद्धभुत धरा पर, हम सबके बीच में अपनी दिव्य नारायणी देह से इस सुन्दर सृष्टि में प्रकट हो चुके हैं। अब कौन विश्वास करे, because, It is the Matter of Self Realization only, यह तो व्यक्तिगत अनुभव का विषय है।

   " जिन खोजा तिन पाया गहरे पानी पैठ।"

आओ हम सब उस परमपद्ध नारायण, परमपिता प्रमात्मा की अनन्य भग्ति कर, उसको समर्पित होते हुए, उसकी भलीभांती खोज कर उसकी शरण में जाएं, जहां से इस विश्व का आदि अंत और मध्य और इस सृष्टि की रचना का आदि, अद्धभूत, Divine Flow प्रवाह हो रहा है और उस परमपिता प्रमात्मा के दिव्य आनन्दमयि व शान्तिमय परम धाम को प्राप्त हो उसकी दिव्य शरण में जाएं, जहां पर पहुंच कर योग होने पर, फिर कोई भी * पुरुष * (आत्म तत्व) इस मृत्युलोक में दुबारा वापिस नहीं आता।

जय श्री कृष्णा   जय श्री राम

                                    दास अनुदास रोहतास

Monday, April 22, 2019

A struggle between astroid and Black Hole

                Black Hole & Astroid
                      *************
We realized during medtation A dangerable struggle between Astroid and a Black-Hole in internal divine universe as we try to show in this image below in No:-5. First of all, black hole remove 2,3,4, point from the surface then it collided with an astroid  at 8-00 am,
on 21-4-2019.


Realization during meditation it may be cyclones or divine power's ring circulating in I.D.U. IN INNER space very clearly at 10-00 pm on 28-4-19



                               Das Anudas Rohtas


Thursday, April 18, 2019

Om Namo Narayana

Om Namo Narayana

         Jai Shri Krishna  Jai Shri Ram Ji

                * Prakriti & Purush *
                         ***********

                 In the Spiritual World, Divine Self-Elements SOUL has been known by the name of PURUSH (Man) and the marits of the properties of other Natural Elements are known by the name of the PRAKRITI "Nature" ( Subtle-Body ). It is important to have Nature and Man in this beautiful divine creation, which is depicted as Low.


Respected True Devotees of God,

                when the ego and sin rise on this holy Earth and there is a loss of religions, Spirituality' and the sadhu saint Society and society are exploited, in such a time, the wicked, the sinner and the yogi are destined, then to destroy the corrupt souls, and to restore the religion again, only God, With His Yoga Maya (Nature and Supreme Soul) By doing so, by completely subdividing, on this holy religion in the gospel, embracing all of us in the form of embodiment, forming our divine realization and manifesting before our ultimate liberation, as the supreme incarnation of Shri Krishna himself given In His Divine Sweet Song, chapter 4 of Shrimadbhagwadgita is described in Shloka 7- 8, or God is incarnated in every age according to any specific requirement in His divine realization form. God became incarnate and appeared In the form of Dharmwatra Raja Harish Chandra in Satyagay, in Treta Yuge, Shri Dasaratha son Shri Ram Chandra ji and in the medicinal age (Dawapar Yuge) have been depicted in the form of Lord Shri Krishna, and in every age, he created a new history, did not repeat any old leela and still God In the beautiful creation, in his divine form & quot; " Manusham Roopam " & quot; in Mohini Form is very beautiful, have appeared in His Divine form. But not necessarily as before, keep on scaring someone here or performing a war like the Mahabharata etc. In spite of that, he did not need any kind of performance before, but due to the lack of time, war would have to be done. But the incarnations of God are able to be full, they are the tangible and interwoven of Divinity, they are known to know that all their work is transformed, that is, they themselves become self-employed even before the thoughts arise in their mind. This time perhaps God will want to create a new history but still he will not want to perform any performance, all can happen at the same time itself. In the same way, there is an experience of seeing something that is already mentioned in the history. As described in the medicines, according to the description of Shri Ved Vyas ji, the Sun God has been seen to be transformed, by changing the form from one to three and three in one number. Which has still come to experience in the present time, which we have also tried to demonstrate by an image, inside the Surface of the Sun, a new planet called X-10 Nibiru has been created, and in the planets of the solar system Currents are happening, and in the present era of Kaliyuga, God has manifested in his very beautiful, divine reality, in his Divine Narayani Body etc.

                  All these divine personal experiences and experiences show that even in this age some natural phenomena can happen in the future. Keeping in mind the universal uprisings and natural calamities of all scientists and spiritual great divine Souls, and Gentlemen in the world, for the welfare of the humanity and the beautiful creations, created by the Almighty God in this wonderful world on Earth and in this beautiful Shristi. You should remain alert about this beautiful and sacred trust and goodness and security of humanity. All religious, spiritual and other living beings should be absorbed in personal, communal and religious minds, keeping their sense of goodwill, brotherly affection and love, according to their own cultural and religious customs, the Lord should remain absorbed in peace so that peace will prevail in the world and in the living beings Unity and goodwill and the welfare of the world!

Special: -----

                   If there is a divine power in the world or a divine re-enormous soul which is holding nature, which has attained the ultimate method, which is adopting its supreme divine creation, and in all the worlds Even though being partially occupied, all the creatures have been adopted in only one cell (room) of their body, even though owning all the creatures, is silent meaningless, unconditional, and fulfilled So, they are free. And who in this glorious world, none of us, all of the creatures are unable to know. O master, we are as you are, your are, your parts are only, we all are ignorant and unaware of your divine elusive Leela. You are the ocean of mercy, grace is Indhu, you are Kripanidan. We all pray together with you, heartily pray that, O Lord, please come forward among us all and resolve the doubts of the creatures of all the world and your ultimate Bhagats, who are your true devotee, are your ultimate Please bless the enchanting divine leela, you are the ocean of joy, are completely capable, and you are the master of all of us.

  Hearty pernaam's Ji
   
                 Om Namo Narayana
                       Om Shanti Om
                           Om Tat Sat


   
                                Das Anudas Rohtas

Sunday, April 14, 2019

ॐ नमो नारायण

ॐ नमों नारायण,

               जय श्री कृष्णा   जय श्री राम जी

                    *  पुरुष और प्रकृति *
                             *******

                  अध्यातमिक जगत में दिव्य आत्म तत्व "आत्मा" को पुरुष के नाम से जाना गया है और अन्य प्रकृतिक तत्वों के  गुणों के मेल ( सूक्ष्म शरीर ) को प्रकृति के नाम से जाना गया है । इस सुन्दर सृष्टि (स्थूल शरीर) में प्रकृति व पुरुष का संयोग होना विशेष महत्वशील है जो निम्न रूप से दर्शाया गया है।


प्रिय: राम स्नेही भग्तजनों,

                  जब जब इस पवित्र धरा पर अहंभाव व पाप बढता है, धर्म की हानी होती है और साधू संत समाज व अध्यात्मिक समाज का शोषण होता है, ठीक ऐसे समय में दुष्ट, पापी व योगी भ्रष्ट जिवात्माओं का नाश करने हेतू, और धर्म को पुन: अच्छी तरह स्थापित करने के लिये ही भगवान, अपनी ( प्रकृति व पुरुष ) माया को अपनी योग शक्ति द्वारा, पूर्णत: अपने वश में कर, सुसृस्टि में इस पवित्र धरा पर हम सब के बीच में अवतार धारण कर, अपने दिव्य साकार रूप को रचते हैं और अपने परम भग्तों के समक्ष प्रकट होते हैं, जैसा कि परम अवतार श्री कृष्णा ने अपने दिव्य मधुर divine Song, श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय ४, श्लोका ७ -८ मे वर्णित किया हुआ है, या फिर भगवान किसी विशेष आवश्यक्ता अनुसार ही हर युग में अवतरित हो अपने दिव्य साकार रूप में साक्षात् प्रकट होते है। सत्तयुग में धर्मावतार राजा श्री हरिश्चन्द्र के रूप में , त्रेता में श्री दशरथ पुत्र श्री राम चन्द्र जी और दवापर युग में लोर्ड श्री कृष्णा जी के रूप में अवतरित हुए हैं और हरयुग में उन्होंने नया एतिहास रचा, कोई पुरानी लीला नहीं दोहराई और अब भी भगवान इस सुन्दर सृष्टि में अपने दिव्य साकार रूप " मानूषं रूपं " मोहिनी, अति सुन्दर, प्रिय:, दिव्य साकार रूप में साक्षात प्रकट हो चुके हैं। लेकिन जरूरी नहीं पहले की तरह यहां किसी से पंगा लेने या महाभारत की तरह फिर से युद्ध करने आदि का प्रदर्शन करते रहेंगे। वैसे तो पहले भी उन्हें किसी प्रकार के प्रदर्शन की जरूरत नहीं थी, लेकिन वक्त की नजाकत को देखते हुए युद्ध आदि करने पडे होंगे। लेकिन भगवान के अवतार पूर्ण समर्थ होते हैं, वह दिव्यता की मूर्त व अंतर्यामी होते हैं, वह तो जानी जान होते हैं उनके  सब कार्य तो भावान्तरित होते हैं, यानि उनके मन में भाव आने से पहले ही automatically स्वेंय ही कार्याविन्त हो जाया करते हैं । इस बार शायद भगवान एक नया एतिहास रचना चाहेंगे, लेकिन फिर भी वो कोई प्रदर्शन नहीं करना चाहेंगे, सब स्वयं ही at the time घटित हो सकता है। वैसे तो पहले से ही जो सास्त्रों मे उल्लेख है, वैसा वर्तमान में भी कुछ न कुछ देखने को अनुभव में आ रहा है। जैसा कि दवापर में श्री वेद व्यास जी के वर्णन अनुसार, सूर्य देव को एक से तीन और तीन से एक संख्या में रूप बदल कर, परीवर्तित होते देखा गया है। जो अब भी वर्तमान समय में अनुभव में आ चुका है, जिसे हमने एक image द्वारा दर्शाने का प्रयास भी किया हुआ है, सूर्य के Surface के अन्दर एक x-10 Nibiru नामक, नये ग्रह का सृजन् हो चुका है, और सौरमंडल के ग्रहों मे हलचल आदि हो रही है, और वर्तमान युग कलयुग में भगवान अपने बहुत सुन्दर, दिव्य साकार रूप में, अपनी दिव्य नारायणी देह में शाक्षात् प्रकट हो चुके हैं आदि।

                   यह सब दिव्य व्यक्तिगत अनुभव व अनुभूतियां यह दर्शाती हैं कि इस युग में भी इस अद्धभुत संसार में भविष्य में कोई न कोई प्राकृतिक घटना घट सकती है। विश्व के समस्त वैज्ञानिकों को और दिव्य अध्यात्मिक प्राणियों व बुद्धजिवियों को  universal हलचल व प्राकृतिक आपदाओं को ध्यान में रखते हुए for the welfare of  the Humanity & this beautiful creations, created by the almighty God in this wonderful world on Earth and in this beautiful Shristi. अपनी इस सुन्दर व पवित्र धरा पर व मानवता की भलाई व सुरक्षा हेतू अलर्ट रहना चाहिये। सभी धार्मिक, अध्यात्मिक व अन्य प्राणियों को व्यक्तिगत, सम्पर्दायिक व धार्मिक आपसी मन मुटाव मिटाकर आपस में सद्भावना भाईचारा व प्रेम की भावना रखते हुए, अपनी अपनी संस्कृति व धार्मिक मर्यादाओं के अनुसार प्रभू भग्ति में लीन रहना चाहिये जिससे विश्व में शान्ति बनी रहेगी और प्राणियों में एकता व सद्भावना होगी एवं विश्व का कल्याण होगा !
विशेष:-----
                विश्व में अगर कोई दिव्य शक्ति अवतरित है या कोई दिव्य पुन्य परम आत्मा जो प्रकृति को धारण किये हुए है, जिसे परम पद्ध प्राप्त हो चुका है, जो अपनी परम दिव्य सृष्टि अपनाये हुए हैं, और सब सृष्टियों में आंशिक रूप से व्याप्त होते हुए भी सभी सृष्टियों को अपने शरीर की मात्र एक कोशिका ( रूम ) में अपनाए हुऐ है जो सब सृष्टियों का मालिक होते हुए भी, Silent है अर्थात नि:श्पेक्षित, लगावरहित व पूर्णत: स्वतन्त्र हैं। और जिसे इस भव्य संसार में हम सब प्राणियों में से कोई भी, जान-पाने में असमर्थ हैं। हे मालिक, हम जैसे भी हैं, आपके हैं, आपके अंश मात्र हैं, हम सब आपकी दिव्य मायावी लीला से अन्भिज्ञ व अन्जान हैं। आप दया के सागर हैं, कृपा सिन्धू हैं, कृपानिदान हैं। हम सब आप से दोनों कर जोडि, हार्दिक प्रार्थना करते हैं, कि हे प्रभू, कृपया आप हम सबके बीच में आगे आएं और हम सब विष्व के प्राणियों की शंका का समाधान करें और अपने परम भग्तों को जो आपके ,True Devotee हैं को अपनी परम आनन्दमयी दिव्य लीला का रसपान कराने की कृपा करें , आप आनन्द के सागर हैं, पूर्णत: समर्थ हैं, और आप हम सब के स्वामी हैं।

    " सादर प्रणाम जी "
            ॐ नमों नारायण
                   ॐ  शान्ती  ॐ
                        * ॐ तत्त् सत्त् *
      

                         दास अनुदास रोहतास

Wednesday, April 10, 2019

IS THERE A GOD ? * GOD *

Qes:--           Is there a God ?

                             * GOD *


Ans:--      by Rohtas -----      

             We want to remove this suspens. Now believe or do not believe it is the personal right all of us. We are all free minded. God is God, He is very kindful while being a disciplinarian based on His divine latitude.     

          WE SHOULD TRUST IN GOD
                      ***************

* God is the bitter truth & Matter of Self-Realization *

           God's ultimate authority never holds an incarnation. Lord Divine form is the only embodiment. Creation and appearance of God is completely Divinely, automatically and systematically generated, in the Shristi. Now there is no doubt, How appears or happens ? God creates his own leela in the universe, first of all he composes the composition of his own divine, "format" The Formated God, which is absolutely perfect, his perfect divine quality, which is a perfect divine, is known in Hinduism as the name of God. This is what Adi God has created in the form of his Trigunya Maya Dhari, composition of Lord Brahma, Vishnu, Mahesh etc. and comprehends the creation of his three qualities and the Mahapralaya., These are Gods till God, and whenever they want it, gracefully becomes present before their ultimate Bhagat.
               We have come to God very closely and calmly.  God gave us special grace to show His Divine Reality in the form of beautiful Lord Narayana, in the form of God, which we have seen in our material worldly sight and after some time God has become infinite. This happens only after the Era-Yugantar when God appears on this sacred trust to encourage any of his ultimate characters in the form of Sarasvati in the form of a joy, and to encourage them.

" Now we will only say that Lord is God. We have firmly believe, you will meet, God."


          On the other side, God is also a divine power, formless form of Divine form, whose philosophy is very rare. After doing this very unique exudence, by observing the personal divine eyes through the divine eyes, only by personal experience can it be observed only by the Yogies, And the bridegroom and the curious who are the ultimate bhaktas of God, they can observe and always earn and do the same. God's special mercy remains upon them.

Types of God:--
  1. God
  2. Formated God
  3. Adhi God
  4. Three Murti God
  5. Lord God
  6. Mumukshu God
  7. Avatar of God
Please be satishfied Now: -

            It is the matter of confidence and self realization. So there is value of self divine realization in meditation, spiritualy and divinely and no one can show to others.

   Spiritual Truth  

                             Das Anudas Rohtas

Monday, April 8, 2019

* भगवान की माया *

                     * भगवान की माया *



            परम स्नेही भग्त जनों अब भगवान और उसकी माया क्या है, जो आज तक एक बहुत गहरा secrets बना हुआ है। मालिक की कृपा से इस विषय पर भी संक्षिप्त में प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं।

            भगवान क्या हैं, कैसे हैं, और इसकी माया अर्थात परम और परम की शक्ति क्या है, इसके बारे में जो पीछे पेज लिखे हैं उन्मे काफी जगह उल्लेखित किया गया है। मालिक की कृपा से यहां कुछ स्पस्ट शब्दों में लिखकर देखते हैं। ईश्वर परम तत्व, परम आत्मा, Supreme Soul, Supreme Tatav जो एक Atom अणु के समान है, जो इस सुन्दर सृस्टि में.  ब्रह्माण्ड के समस्त तत्वों का center point of the Power's as a Dot, " Bindh " *Atom* अणु के समान है, जो परम तत्व है, यही ईश्वर है, जो बाह्य चक्रित रिंग के समान है उसमें जो दिव्यत्ता है यह उसकी परम  शक्ति है यही सत्य है। क्योंकि यह इस परम तत्व की परम शक्ति है, इस लिये यह दोनों शक्तियां एक दूसरे से संठी हुई हैं, इनको अलग नहीं किया जा सकता। वास्तव में भगवान जब सृष्टि रचते हैं तो जैसा क हमने पहले भी declare किया हुआ है वो एक सर्वगुण सम्पन्न ईश्वर Formated God की रचना स्वयं करते हैं सभी दिव्य स्वात्मिव भी इन्हें सोंपते हैं इस प्रकार यह निम्नचित्रित भगवान की ही माया है। २-५-१९ के ध्यानमय अनुभव अनुसार यह दोनों शक्तियां ही दिव्य हैं मायावि है और कृष्णा ही राधा और राधा ही कृष्ण हैं वह अपनी योग माया से राधा, और राधा से कृष्णा के रूप में परिवर्तित होने की दिव्य शक्तिमय अनुभव रखते हैं जो ईश्वर की कृपा होने पर ध्यान अवस्था में हमारे अनुभव में आया है यह जो सूक्षम बिन्द है यह ईश्वर है और  रिंग यह आदि भगवान का सूक्षम शरीर है गुणमय दिव्य शक्ति है माया है, इसी मे परिवर्तनशील क्षमता है जिन्हेः नीचे चित्र द्वारा दर्शाया गया है बस यह परिवर्तनशीलता ही भगवान की माया है इस प्रकार वह अपनी माया से कुछ भी अद्धभुत अजीबोगरीब मनमोहक लीला दर्शाने की योग्यता रखते है ।
                 "माया महा ठगनी हम जानी "

             अत: एक सच्चे परम भग्त को भगवान की माया के चक्कर में न पडकर मालिक की सरल सीधी अनन्य भग्ति करनी चाहिये। और मालिक को समर्पित होते हुए उसकी भली भांती खोजकर उसकी शरम में जा सच्चिदानन्द को प्राप्त कर परम धामको प्राप्त होना चाहिये जो हमारा मानव धर्म है और जीवन का परम लक्ष है।
                             

             यह दोनो दिव्य शक्तियां जो शुक्षं-बिन्द+रिंग  के समान हैं, सृस्टि में एक साथ प्रकट होती हैं, और जब परम तत्व प्रकट होता हैं यह दिव्य परम शक्ति भी automatically प्रकट हो जाती हैं। और जैसे सूर्य के अद्रिष होने पर सूर्य का प्रकाश गायब हो जाता है ठीक परम तत्व  के लुप्त होने पर इसकी यह परम शक्ति भी जो रिंग के समान है जिनके मध्य परम चेतन तत्व विध्यमान है automatically लुप्त हो जाती है। इनका यानी परम तत्व और परम शक्ति का घनिष्ठ सम्बन्ध है। दीखने में दो दिखाई देते हैं पर यह दो होकर भी एक हैं। वास्तव में यह भगवान का सूक्षम शरीर भी हो सकता है Hinduism के अनुसार हमारे ऋषियों मुनियों नें इन दोनों दिव्य परम शक्तियों को योगमाया के नाम से जाना है, क्योंकि इनका एक दूसरे से गहरा योग है। Secrecy बनाये रखने के लिये हमारे ऋषियों मुनियों के अनुसार इन्ही दोनों शक्तियों को अध्यात्मिक दृष्टि से श्री राधा-कृष्ण के नाम से जाना जाता है।


              महापुरुष, दिव्य पुरष, योगीजन, परमस्नेही लग्नेषू, जिज्ञाषू, जो भगवान के परम भग्त होते हैं, प्रभू जी की कृपा अनुसार गहरे ध्यानयोग द्वारा अन्तर्मुखी होते हुए, अपने अंत:कर्ण में, internal divine universe में दोनों दिव्य शक्तियों को, परम तत्व को और परम शक्ति रिंग को, चक्रित होते हुए भलि भान्ति अवलोकन करते हुए परम आनन्द का रसपान करते रहते हैं।


विशेष:--
              १. सूर्य दिखता है, किरणे दिखती हैं पर इनके बीच जो प्रकाश है दिखाई नहीं देता। २ चुम्बक में  लोहा दिखता है पर चुम्बकिय शक्ति दिखाई नहीं पडती। ३ ठीक इसी प्रकार हमने तत्व और रिंग दर्शाये जो दिखाई देते हैं, पर इन दोनों के बीच में जो खाली surface है, उस में परम चेतन तत्व जो Immortal है, अति पवित्र है, अमर है, अजर है, इन दोनों शक्तियों के अन्दर बाहर बीच में विद्धमान है, जो हर जगह मौजूद है, जो कण कण में मोजूद है बस यही Supremo है, Param Tatav है, यह Divinity ही * सत्य है  * ईश्वर है, जिसका  हमने उपरोक्त जिकर किया है, जो आदि, अंत और मध्य, तीनों अवस्थाओं में live forever ,विद्धमान रहता है, जो क्षण भंगूर है। It is the Divinity of Supreme Tatav, which is Immortal. While All beginningless and Endless flow of the beautiful creations, Nature and all elements in this wonderful Divine Shristi are live unstable and mortal till mahaparlaya.
 
कृपया ध्यान दे:--

                उपरोक्त एक एक शब्द सोच समझकर और व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर और पूरे विश्व की मानवता की भलाई के लिये लिखा गया है

" It is a Secret, Secular and Spiritual Divine Knowledge. "

                       दास अनुदास रोहतास

Friday, March 29, 2019

भगवान की माया क्या है ?


प्रशन्न :-- भगवान की माया क्या है ?



Ans:- --By Das Rohtas

   आदर्णिय मित्रवर नमस्ते,

                       श्रीमान जी आप का प्रशन्न है माया क्या है ? देखिये आप का प्रशन्न देखने और पढने में बहुत आशान है और सच्चाई यह है कि हमें आपका प्रशन्न बहुत सुन्दर लगा तभी हमने इस पर ध्यान केन्द्रित किया। Sir first of all I want tell to all True devotee of God that " It is matter of Self Realization only. क्योकि जो भगवान के प्रिय: कृपा पात्र योगीजन दिव्यपुरुष लग्नेषू परम भग्त एवं दिव्य पुरुष हैं जो अन्तर्मुखी हैं जिनकी आत्माए विकारमुक्त हो पवित्र हो चुकी हैं उन्हीं को भगवान की माया का आभास हो सकता है रही भगवान की माया क्या है यह भगवान की कृपामात्र है यह कुछ समय तक अनुभव में आ सकती है इसका कोई स्थिर अस्तित्व नहीं है जब तक कृपा है दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं ध्यान टूटने पर कृपा मायामयी अनुभव भी नहीं रहता। माया यानी भगवान की कृपा एक दिव्य आभास होता है , Divine Virtue, " Divinity " * दिव्यता * जिस दिव्य शक्ति से भगवान ने समस्त सृस्टियों और इस सुन्दर प्रकृति को वस में किया हुआ है वह दिव्य शक्तिि, दिव्य गुण ही भगवान की माया है कह सकते हैं जो internal divine universe में दिव्य अनुभव का विषय है। " Changing is the Law of Nature so कृपा, माया, दिव्यता, यहां यह दिव्य   प्रकृतिक गुणमय माया, ब्रह्मंड में अपनी योग शक्ति से दिव्य रूप बदल बदल कर अपने परम भग्त परम योगी को दिव्य अंत:करण में  आनन्दविभोर करने हेतू दिव्य प्रदर्शन, दिव्य लीला के अनुभव का रसपान कराती है कभी God कभी Goddess's आदि के सुन्दर सुन्दर सुक्षं रूप में परिवर्तित होकर अपने परम भग्तो को अन्त:करण में रिझाती है & then it disappeared. यह दिव्य अनुभव स्थाई नहीं है सो इस दिव्यता को भगवान की माया के नाम से जाना जाता है there is no existence of this divine realization it is temporary. On the other hand God is Immortal and Stable. भगवान अपने दिव्य अक्षांश पर स्थिर हैं जबकि माया का अनुभव अस्थिर है।

              " A Spiritual Divine Realization at 9-00am on 28-3-2019 by "   

                                                Das Anudas Rohtas  

Monday, March 25, 2019

IN SEARCH OF TRUTH


          Search Of Truth by Das Rohtas
             
               A Divine realization during meditation
Is that first of all we observe during meditation Atom activation as show given below in image and then there was only " SUPREME-ATOM "  (ANU ) Like a brilliant white Diamond at 1-30am on 25-3-2019.




                              Das Anudas Rohtas

Saturday, March 23, 2019

V. Beautiful Divine Solar-System Leela Darshan


Divine Solar-System Leela Darshan

On the other hand it may be
 Divine Tatav's Leela


Attention please here is something New to obsreve deeply & specially :-
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                 All Divine powers look together at once here in Internal Divine Universe as Sun, some stars, & Supreme Tatve + Ring.

1.  Fist of all Sun appeared with light
         2.  Sun is  moving towards down side and then to go up for similer place .
3.  Some stars also appeared there.   
      4.  Divine Supreme Tatav with Divine           supreme power Ring also appeared.
    
                   When Sun rises stars disappeared but here all these are brilliant & lightening very gracefully & peacefully in inner divine universe.

                                    Das Anudas Rohtas