Friday, March 29, 2019

भगवान की माया क्या है ?


प्रशन्न :-- भगवान की माया क्या है ?



Ans:- --By Das Rohtas

   आदर्णिय मित्रवर नमस्ते,

                       श्रीमान जी आप का प्रशन्न है माया क्या है ? देखिये आप का प्रशन्न देखने और पढने में बहुत आशान है और सच्चाई यह है कि हमें आपका प्रशन्न बहुत सुन्दर लगा तभी हमने इस पर ध्यान केन्द्रित किया। Sir first of all I want tell to all True devotee of God that " It is matter of Self Realization only. क्योकि जो भगवान के प्रिय: कृपा पात्र योगीजन दिव्यपुरुष लग्नेषू परम भग्त एवं दिव्य पुरुष हैं जो अन्तर्मुखी हैं जिनकी आत्माए विकारमुक्त हो पवित्र हो चुकी हैं उन्हीं को भगवान की माया का आभास हो सकता है रही भगवान की माया क्या है यह भगवान की कृपामात्र है यह कुछ समय तक अनुभव में आ सकती है इसका कोई स्थिर अस्तित्व नहीं है जब तक कृपा है दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं ध्यान टूटने पर कृपा मायामयी अनुभव भी नहीं रहता। माया यानी भगवान की कृपा एक दिव्य आभास होता है , Divine Virtue, " Divinity " * दिव्यता * जिस दिव्य शक्ति से भगवान ने समस्त सृस्टियों और इस सुन्दर प्रकृति को वस में किया हुआ है वह दिव्य शक्तिि, दिव्य गुण ही भगवान की माया है कह सकते हैं जो internal divine universe में दिव्य अनुभव का विषय है। " Changing is the Law of Nature so कृपा, माया, दिव्यता, यहां यह दिव्य   प्रकृतिक गुणमय माया, ब्रह्मंड में अपनी योग शक्ति से दिव्य रूप बदल बदल कर अपने परम भग्त परम योगी को दिव्य अंत:करण में  आनन्दविभोर करने हेतू दिव्य प्रदर्शन, दिव्य लीला के अनुभव का रसपान कराती है कभी God कभी Goddess's आदि के सुन्दर सुन्दर सुक्षं रूप में परिवर्तित होकर अपने परम भग्तो को अन्त:करण में रिझाती है & then it disappeared. यह दिव्य अनुभव स्थाई नहीं है सो इस दिव्यता को भगवान की माया के नाम से जाना जाता है there is no existence of this divine realization it is temporary. On the other hand God is Immortal and Stable. भगवान अपने दिव्य अक्षांश पर स्थिर हैं जबकि माया का अनुभव अस्थिर है।

              " A Spiritual Divine Realization at 9-00am on 28-3-2019 by "   

                                                Das Anudas Rohtas  

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