Que:----क्या भगवान हैं ?------
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आप सब को हमारा हार्दिक नमस्कार !
जय श्री कृष्णा जी,
प्रिय आत्मजन्, हमारे से भी यह बात पूछी गई कि
क्या भगवान हैं ?
Answer:-------by Rohtas-----
देखिये हम यह संका दूर करना चाहते हैं अब मानना और न मानना यह हम सबका व्यक्तिगत अधिकार है हम सब स्वतन्त्र है।
भगवान तो भगवान हैं वह तो अपने दिव्य अक्षांश पर निराकारा रूप में स्थितप्रज्ञ होते हुए विद्धमान हैं।
श्री भगवान का दिव्य निराकार रूप
* भगवान हैं यह कटु सत्य है।*
भगवान की परम सत्ता कभी अवतार धारण नहीं करती भगवान का दिव्य प्रारूप ही अवतार धारण करते हैं।
Creation and appearance of God is completely Divinely, automatically and Systematically generated, in the Shristi.
अब फिर प्रशन्न है, तो प्रकट कौन हुआ या होता है ?
भगवान सृस्टि में अपनी लीला खुद रचते हैं जिसमें सबसे पहले वो अपने एक दिव्य ," प्रारूप " The Formated God की रचना रचते हैं जो बिल्कुल अपने अनुरूप, पूर्ण दिव्य गुण सम्पन्न, जो पूर्ण दिव्य होता है यह हिन्दूइजम में आदि ईष्वर के नाम से जाना गया है यही आदि भगवान अपनी त्रीगुणी माया धारी, रचना द्वारा ब्रह्मं, विष्णु, महेष आदि भगवान की रचना रचते हैं और अपने तीनों गुणो से सृष्टि का पालना करते हैं और महाप्रलया तक यहि आदि भगवान होते हैं और जब भी यह चाहें कृपा कर अपने परम भगत के समक्ष प्रकट हो अन्तर्ध्यान हो जाते हैं।
हमनें भगवान को बहुत नजदीक व तसल्ली से निहारा है।
भगवान ने हम पर विशेष कृपा कर अपना दिव्य साकार मोहनी अति सुन्दरत्तम Lord Narayana रूप में साक्षात प्रकट हो दर्शन दे कृतार्थ किया, जिन्हें हमने अपनी भौतिक सांसारिक दृष्टि से साक्षात अवलोकन किया और फिर कुछ समय पश्चात भगवान अन्तर्ध्यान हो गये। ऐसा केवल युग-युगान्तर के बाद ही होता है जब भगवान अपने किसी परम पात्र को साक्षात रूप में दर्शन दे आनन्द विभोर कर प्रोत्साहित करने हेतू इस पवित्र धरा पर प्रकट होते हैं।
अब हम तो यही कहेंगे श्री भगवान हैं। हम आपको पूरण विष्वाश दिलाते हैं," भगवान हैंं।
* श्री भगवान का साकार रूप *
दूसरे भगवान एक दिव्य शक्ति है निराकार दिवय रूप भी है जिनके दर्शन बहुत दुर्लभ हैं यह बहुत गहरी अनन्य भग्ति करने के बाद दिव्य नेत्रों द्वारा व्यक्तिगत दिव्य ब्रह्मांड में अन्तर्मुखी होने पर ही, व्यक्तिगत अनुभव द्वारा अवलोकन कर सकते हैं यह केवल योगी पुरुष दिव्य पुरुष, व लग्नेषू एवं जिज्ञाषू जो भगवान के परम भग्त हैं वो ही अवलोकन कर सकते हैं और हमेशा करते आय हैं और करते रहेंगे। भगवान की इन पर विशेष कृपा बनी रहती है ।
Please be Satishfied Now :--
It is the matter of confidence and self realization. So there is value of self realization in meditation, Spirituality and Divinity and No one can show to others.
Latest Self Divine Realization during meditation and Original Divine Form of The Almighty God at 9-15 am on 14-9-17.
* Triloki Ke Nath In Three Lokas *
Das Anudas Rohtas
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आप सब को हमारा हार्दिक नमस्कार !
जय श्री कृष्णा जी,
प्रिय आत्मजन्, हमारे से भी यह बात पूछी गई कि
क्या भगवान हैं ?
Answer:-------by Rohtas-----
देखिये हम यह संका दूर करना चाहते हैं अब मानना और न मानना यह हम सबका व्यक्तिगत अधिकार है हम सब स्वतन्त्र है।
भगवान तो भगवान हैं वह तो अपने दिव्य अक्षांश पर निराकारा रूप में स्थितप्रज्ञ होते हुए विद्धमान हैं।
श्री भगवान का दिव्य निराकार रूप
* भगवान हैं यह कटु सत्य है।*
भगवान की परम सत्ता कभी अवतार धारण नहीं करती भगवान का दिव्य प्रारूप ही अवतार धारण करते हैं।
Creation and appearance of God is completely Divinely, automatically and Systematically generated, in the Shristi.
अब फिर प्रशन्न है, तो प्रकट कौन हुआ या होता है ?
भगवान सृस्टि में अपनी लीला खुद रचते हैं जिसमें सबसे पहले वो अपने एक दिव्य ," प्रारूप " The Formated God की रचना रचते हैं जो बिल्कुल अपने अनुरूप, पूर्ण दिव्य गुण सम्पन्न, जो पूर्ण दिव्य होता है यह हिन्दूइजम में आदि ईष्वर के नाम से जाना गया है यही आदि भगवान अपनी त्रीगुणी माया धारी, रचना द्वारा ब्रह्मं, विष्णु, महेष आदि भगवान की रचना रचते हैं और अपने तीनों गुणो से सृष्टि का पालना करते हैं और महाप्रलया तक यहि आदि भगवान होते हैं और जब भी यह चाहें कृपा कर अपने परम भगत के समक्ष प्रकट हो अन्तर्ध्यान हो जाते हैं।
हमनें भगवान को बहुत नजदीक व तसल्ली से निहारा है।
भगवान ने हम पर विशेष कृपा कर अपना दिव्य साकार मोहनी अति सुन्दरत्तम Lord Narayana रूप में साक्षात प्रकट हो दर्शन दे कृतार्थ किया, जिन्हें हमने अपनी भौतिक सांसारिक दृष्टि से साक्षात अवलोकन किया और फिर कुछ समय पश्चात भगवान अन्तर्ध्यान हो गये। ऐसा केवल युग-युगान्तर के बाद ही होता है जब भगवान अपने किसी परम पात्र को साक्षात रूप में दर्शन दे आनन्द विभोर कर प्रोत्साहित करने हेतू इस पवित्र धरा पर प्रकट होते हैं।
अब हम तो यही कहेंगे श्री भगवान हैं। हम आपको पूरण विष्वाश दिलाते हैं," भगवान हैंं।
* श्री भगवान का साकार रूप *
दूसरे भगवान एक दिव्य शक्ति है निराकार दिवय रूप भी है जिनके दर्शन बहुत दुर्लभ हैं यह बहुत गहरी अनन्य भग्ति करने के बाद दिव्य नेत्रों द्वारा व्यक्तिगत दिव्य ब्रह्मांड में अन्तर्मुखी होने पर ही, व्यक्तिगत अनुभव द्वारा अवलोकन कर सकते हैं यह केवल योगी पुरुष दिव्य पुरुष, व लग्नेषू एवं जिज्ञाषू जो भगवान के परम भग्त हैं वो ही अवलोकन कर सकते हैं और हमेशा करते आय हैं और करते रहेंगे। भगवान की इन पर विशेष कृपा बनी रहती है ।
Please be Satishfied Now :--
It is the matter of confidence and self realization. So there is value of self realization in meditation, Spirituality and Divinity and No one can show to others.
Latest Self Divine Realization during meditation and Original Divine Form of The Almighty God at 9-15 am on 14-9-17.
* Triloki Ke Nath In Three Lokas *
Das Anudas Rohtas
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