Saturday, November 19, 2016

सादर प्रणाम

                                        सादर प्रणाम
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                              लिखवाने वाले भगवान हैं,
                                    लिखवा   रहे   दिन   रैन।
                              लोग  भ्रम   हम  पर  करें,  
                                    ताको       नीचे        नैन।
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                  * INCARNATED SUPREM SOUL *
                               SHREE ROHTAS JI
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                              आदर्णिय परम स्नेही भग्त जन व मेरे प्रिय: दोस्तो, बचपन से लेकर आजतक, अपने समस्त जीवन में जो दिव्य अनुभव हमें प्रभू की विशेष कृपा होने पर मिला, उसे Blogger पर 8-7-1951 से लेकर 21-11-2016 तक जो Internal Divine universe में विशेष भग्ति दू्ारा दिव्य अनुभव तथा इस भोतिक संसार मे जो भोतिक अनुभव हुआ ग्रह उप- ग्रह Galaxy आदि का और भग्वत कृपा दू्ारा सुन्दर दिव्य दर्शन पाने का और भगवान के सभी दिव्य निराकार और साकार रूपों का जो हमें साक्शात अनुभव हुआ और ध्यान अवस्था में भगवान की कृपा से जो दिव्य लीला का आनन्दमयी रसपान करने का जो इस जन्म में हमें शुभ अवसर प्राप्त हुआ, सभी अनुभव लिख कर व चित्रित कर, आप सब तक अपने लेखों दू्ारा पहुंचाने का प्रयास किया है, ताकि आने वाले समय में भी परम भग्त अध्यात्मिक जगत में हमारे इन लेखों को वव्यक्तिगत अनुभव दू्ारा अपने जीवन की गहराई में उतार कर और सभी भगवान के परम भग्त इस अद्धभुत दिव्य ज्ञानमयी अनुभवों का रसपान कर, अध्यात्मिक जगत में उन्नति प्राप्त कर, अपने जीवन को आनन्दित कर, परम शान्ती को प्राप्त कर सकें। यह अनमोल अद्धभुत दिव्य ज्ञान एक धर्मनिर्पेक्ष ज्ञान है जो आज से अध्यात्मिक जगत के  समस्त प्राणियों व समस्त  मानव जाति को अपने दिव्य अनुभवी लेखों दू्ारा समर्पित कर रहा हूं इनमें लिखने में अगर कोई त्रुटि रह गई हो के लिये माफी चाहूंगा।
                             परम स्नेही भग्त जन आप को विश्वास दिलाना चाहूंगा कि भगवान ने हम पर विशेष कृपा कर अपनी समस्त दिव्य लीला, दिव्य अनुभूतियां, तीनों लोकों का दिव्य अनुभव अवलोकन हमारे शरीर के एक अति सूक्षम स्थान, मात्र एक रोम में ( We realized Shristi and all divine activities only in the root of a hair, a miner place as dot in the Bhirkuty, divinaly, during meditation in Internal Divine Universe.) भृकुटि के मध्य में अनुभव करवाने का और बहुत सुन्दर रूप से अमृत रसपान करवाने का इस जीवन में शुभ अवसर प्रदान करवा, हमें कृतार्थ किया है, हम भगवान के हर जन्म में बहुत आभारी हैं, और रहेंगे।
                              यह सभी दिव्य लेख जो हमने दिये हैं यह तो सब हमने आप सबके सामने बहुत संक्षिप्त में वर्णन किया है केवल एक इशारा मात्र है और जो हमारे पूर्वजों दू्ारा दिये गये अच्छे संसकारो की देन है।जिनका आशिर्वाद होने पर, भग्वत् कृपा होने पर ये दिव्य अनुभव होने का शुभ अवसर इस जन्म में हमें मिल सका। हमारे Grand-Father का नाम श्री हरिश्चन्द्र जी था भगवान के परम भग्त थे। हमारे परिवार के एक बुजर्ग ने हमें बतलाया कि बेटा एक बात मैं आप को बताना चाहता हूं " कि आपके बाबा जी ने मुझे बतलाया कि रोहतास जो श्री मनोहर लाल जी का लडका, हैं वह एक अवतारी पुरुष हैं, उन्होने कहा आजतक इसके बारे में मेरे शिवा किसी को नहीं पता, बोला, हमने आज आपको ही बतलाया है।" हमने बोला ठीक है साहिब जी। हमारे पास और भी बहुत अनुभवि दिव्य महापुरुष, योगी पुरुष, सन्त, महात्मन्, इधर उधर से आए हैं और इस विषय के बारे हमें अवगत कराया जो अनुभव करने पर तकरिबन हमने सही पाया। अब यह सब दिव्य अनुभव हमने अाप सबके  समक्ष रख दिये हैं। वर्णित  दिव्य अनुभव हमने अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर लिखे हैं जिनमें एक-एक शब्द बहुत सोच समझ कर लिखा गया है अब आप सभी विष्व के परम स्नेही भग्त जन, इन दिव्य लेखों को अपने जीवन में जैसा मर्जी चाहे लेना।
                   
विशेष:-----
                          * सूक्ष्म दू्ारा सूक्ष्म का अनुभव "
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                           " भगवान ने हमें भृकुटी के मध्य में मात्र एक Dot सूक्ष्म-बिन्द, अति सूक्षम, अदि-स्थान, में सम्पूर्ण दिव्य सृष्टि धारण करने की परमकृपा प्रदान की हुई है। जिसमें हमे दिव्य लीला अनुभव करने का और भगवान के दिव्य रूपों को अवलोकन करने का और Internal Divine Universe में दिव्य ग्रह उप-ग्रह Hole, Star, Galaxy, और होने वाली हलचल भी, हम अपने दिव्य नेत्रों दू्ारा ध्यान अवस्था में जो अपने बचपन से देखते आ रहे हैं समस्त सृष्टि की दिव्य गति विदियां, सुन्दर से सुन्दर मनोहारी दिव्य दृष्यों को अवलोकान कर परम आनन्द की प्राप्त करने का शुभ अवसर प्रदान किया हुआ है। जो परम शान्ती का प्रतीक है।
                            हम भगवान से प्रार्थना करते हैं यह दिव्य कृपा विष्व के सभी परम स्नेही भग्त जनों पर भी हो, ताकि सब को आपकी दिव्य लीला अवलोकन करने का शुभ अवसर प्राप्त हो सके और आपको भलीभांति खोजकर, परमानन्द की प्राप्ती कर, आपको समर्पित होते हुए, आपकी शरण प्राप्त कर, आप जी के शुभ चर्णों का रसपान करते हुए,  परम आनन्दित होते हुए, परम शान्ती को प्राप्त कर सकें, जो मानव जीवन का एक मुख्य उद्धेश्य है।
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 Important:-----
                          Self realization is very compulsorry in realizing in internal divine Universe for Divinity & Spirituality. It is very difficult " TO SHOW OTHERS " divine Realization. There is Value of SELF-REALIZATION in Divinity and Spirituality.

   "  Spiritual Truth  "
   
                                Jai Hindh -  Jai Bharat
                               
                                                 Das Anudas Rohtas

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