Sunday, December 4, 2022

अवतार को समझने का प्रयास करते हैं

अवतार को समझने का प्रयास करते हैं

अवतारी पुरुष



                              * अवतार को समझना है *

               सबसे पहले तो हमें यह जान लेना चाहिये और मान लेना चाहिये कि आत्म तत्व तो हर जीव प्राणी को जव से सृष्टि बनी तभी से लेकर आज तक सभी प्रकार की सृष्टियो को नित्य प्राप्त है । .....अब यह सृष्टि क्या है ?  ...इसे समझना है.........


          *अध्यात्मिक दृष्टि से सृष्टि, मेन दो तत्वों का योग है*

 प्रकृति + पुरुष = पुरुष शब्द से अभिप्राय:--------

 आत्म तत्व Atom + चेत्तन्न तत्त्व क्योंकि इनका आपस में   घनिष्ट सम्बन्ध है।

                            * प्रकृति + आत्म तत्व *

  Video No-1



 1  आत्म तत्व:--परम आत्म तत्व व समस्त सूक्ष्म आत्म तत्व 

 2  प्रकृति के पांच तत्व :-------

               1 आकाश 2 वायु 3 अग्नि 4 जल 5 पृथ्वि।
इस प्रकार हमारी यह सुन्दर सृष्टि इन छ: सुन्दर तत्वों के योग से बनी है।

          अब सबसे पहले भगवान क्या है इस विषय को लेना है यह भ्रम बना हुआ है। वैसे सनातन की और से कोई भ्रम नहीं है। कुछ धर्म है जो राजसी एवं तामसी वृती के हैं जिन्होने ने भ्रम फैलाने में पूरा प्रयास किया हुआ है। लेकिन हमें भर्मित नहीं होना है। हम आपको पूरा विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आत्म तत्व तो आपको नित्य प्राप्त है उसमे जो  दिव्य गुण * दिव्यत्ता * है वही भगवान है, पर उसे अनुभव में लाना है। अब परम स्नेही भग्त जनों यह तो आपको ही अनुभव में लाना होगा तभी बात बनेगी क्योंकि, because, it is the matter of self realization. यह व्यक्तिगत अनुभव का विषय है। इसमें केवल भगवान ही कृपा कर सकते हैं यह उनका अपना, उनकी कृपा का विषय है वो चाहे जिस जीव प्राणी पर कृपा करें। भगवान की कृपा के बिना तो यहां पत्ता भी नहीं हिल सकता। यहां इस सुन्दर संसार में सब को कहते सुना है, हमने तो भगवान को कभी देखा ही नहीं। यह भी ठीक है नहीं देखा, पर भगवान, जो परम तत्त्व हैं के सिवा इस भौतिक संसार में जो अन्य प्रकृति के अनेको तत्व पद्धार्थ हैं क्या आपने उन सब को कभी देखा है ?.... नहीं देखा, अपने आपको भी नहीं देखा फिर आप .....भगवान को कैसे देख सकते हैं......



                           " सकल पद्धार्थ हैं जग माही
                              करमहीन नर  पावत ना ही "
                                           ...…  गोस्वामी तुलसी दास

               आज के युग में Science ने देखा जाए बहुत तरक्की की है, हमारे scientists हर क्षेत्र में दिन दौगिनी रात चोगिनी आगे बडते जा रहे हैं इन्हों कलयुग को साबित कर दिया कि वाकयी यह कल-यानी मशीन का युग है। आज हम सब mobile के माध्यम से computer के माध्यम से जहां चाहे आमने सामने बैठकर Words up पर सब कुछ देख सकते है। बात कर सकते है। लेकिन इनमे से निकलने चलने वाली जो Range हैं, Waves हैं, आपमें से कभी किसी नें देखा है.............. * नहीं *  फिर आप भगवान को कैसे देख सकते हो ! जब आप अपने बनाये हुए मशीन की किरने waves नही देख सकते और भगवान जो एक, God is an Automatic Systemayic Divine Natural  Appearience in this beautiful Shristi है उसे कैसे देख सकते हैं एवं जो एक दिव्य अनुभव का विषय है

              फिर भी भगवान बडे दयालू हैं कृपालू हैं दया के सागर हैं दयानिदान हैं अगर वो चाहें ,अपनी कृपा कर, अपने लग्नेषू, ,जिज्ञाषू, परम भग्त को अनन्य भग्ति द्वारा अपने सुन्दर दर्शन दे आनन्दविभोर कर सकते है, किया है और अब भी साक्षात्कार हो चुका है। God appeared in this world on this holly earth. He is Ocean of Bliss Knowledge, Peace, Love, Joy, Purity & Power. He is free from the cycle of birth and death.

हम यहां अवतरित आत्म तत्त्व के बारे में ही समझने का प्रयास कर रहें हैं
 अब प्रकृति के पांच तत्व.... देखिये:---
  1. वायु ------ वायु तत्व को ही लें क्या आपने प्रकृति के इस सनमोल वायु तत्व को देखा है ? सूक्ष्म रूप में वायु के अन्दर समस्त  हमारे इस अद्धभुत् universe में जितनी भी  प्राकृतिक सामग्री elements, Gases powers है उनके miner - atom's अणु विद्धमान हैं क्या किसी ने भौतिक आँखों से इन्हें देखा है ? वो अलग बात है microscope आदि उपकर्णों की सहायता से देख लेते हैं लेकिन कभी इस वायु में छिपी इसकी असली power को जाना है। No-- आप बावरोला भभूला जिसे कहते हैं जो एक विराट शक्ति, विनास कारी * भवंडर * का रूप धारण कर लेता है पहले कोई सोच भी नही सकता। जब आता है तभी अनुभव कर सकते हैं । जो एक भयंकर विनासकारी आपदा का कारण भी बन सकता है। लेकिन इसे अनुभव नहीं कर सकते और भगवान को अनुभव करने की सब बात करते है ? ........ ऐसी बात नही भगवान बडे दयानिदान हैं और सरल अनन्य भग्ति द्वारा ही अपने परम भग्त पर कृपा कर सु-दर्शन दे दिया करते हैं।
  1. जल.--------  जल में जो प्राकृतिक अद्धभुत् दिव्य शक्ति छुपी हुई है किसी ने देखी है क्या ? नहीं देखी अनुभब तो हो जाता है लरकिन activation होने के बाद ही आपके अनुभव में आता है जैसे कि आसमान में पानी से बने बादल बनते हैं फिर वह एक दूसरे सर टकराते हैं उनके टकराने से आकाशीय बिजली बन कर बरसात के साथ नी चे गिरती है की बार जंगलो में आग लग जाती है प्राणी मर जाते है विनास हो जाता है समूद्र का लज स्तर बढजाता है सोनामी का कारण बन जाता बहुत विनासकारी तूफान आ जाता है बडी आपदा का कारण बन जाता है               
  2.  पृथ्वी:-------- हमारा प्रिय: भारत  देश एक दिव्य देश है देव प्रिय: पवित्र धरा है  ऋषि, मुनि संत पीर पैगाम्भर अवतार महात्मन देवी देवता इस पवित्र धरा पर जन्म पाने के लिये तरस्ते हैं ‌हम सबकी धरती मां हैं इस धरती मां के सीने में क्या कुछ छिपा है पूरी तरह से आजतक कोई नहीं जान पाया है फिर भी अद्भुतग दिव्य शक्तियो का राज इस पवित्र धरा में गुप्त रूप मे लुप्त है एक से एक अनमोल धन,  सम्पधा, रतन, अमूल्य मेटल, gravity power चुम्बकिय शक्ति इसमें अदृष्य है। आप जिसे देख नहीं पाय अनुभव जरूर किया होगा । ज्वाला मुखी, भूकम्प जैसी महाशक्ति, गैस , खनिज, तेल आदि सब शक्तियां इसमें हैं लेकिन दिखाई नहीं देती बस भगवान को देखना चाहते । वह तो परम पिता परमात्मा की माया जो उसी की कृपा से ही अनुभव हो सकती है बाकी भगवान तत्व रूप में सबको नित्य प्राप्त तो है फिर भी उन्हें अनुभव में लाने का प्रयास तो हम सबको करना पडेगा, क्योकि It is the mater of self realization.                 
  3. अग्नि:..........अग्नि, हमारे सूर्य देवता अग्नि का प्रतिक है हिन्दूइजम के अनुसार सूर्य भगवान हमारे जीवन का इस समस्त प्रकृति का इस समस्त सृष्टि का आधार हैं समस्त संसार के थलचर, नभचर, जलचर जीव प्राणी इस अग्नि तत्व जो हम सबके हृदया में तेज के रूप में धधक रहा सभी की इसी अनुभव है सूर्य से पृथ्वी पर पडने वाली किरणे महसूस की जा सकती पर दिखाई नही देती । जब से यह सुन्दर सृष्टि बनी इस समस्त सृष्टि चक्र का आधार ही इसी दिव्य सूर्य शक्ति पर निर्भर करता है ।जब तक सूर्य चादं रहेगा मानव तेरा धाम रहेगा , हम और आप सब तभी तक सलामत है अग्नि तत्व की यह किरणे दिखाई नही देती । माचिस की तिली में अग्नि है पर दिखाई नहीं देती रगडनें पर ही अग्नि प्रकट होती है ठीक इसी प्रकार भगवान तो है पर अनन्य भग्ति करने पर और भगवान की कृपा होने पर ही भगवान उनके  परम भग्त के अनुभव में आसकते हैं.

5  आकास:........* जेडा ब्रह्मांडे सो ही पिंडे * जो भी हम अन्तर्मुखी होकर ध्यान योग द्वारा सपने अंत:कर्ण मे झांक कर प्रभू कृपा होने पर जीतनी गहराई मे जाकर जो अनुभव कर सकते हैं और जो भी हम अपनी भौतिक सृष्टि मैं अपनी भौतिक दृष्टि से इस अद्धभुत संसार में जहां तक microscope या अन्य यंत्रों द्वारा अवलोकन कर सकते है अर्थात स्थूल सृष्टि व सूक्ष्म सृष्टियो में अनुभव कर सकते हैं जो इस सुन्दर सृष्टि के ग्रभ ग्रह में हम खोज सकते हैं। जितनी भी global सामग्री थलचर, नभचर, जलचर जो हमारे knowledge में हो सकती है जो इनमें अनेक अमूल्य दिव्य शक्तियां गुप्त रूप में विद्धमान हैं पर दिखाई नहीं देती उन्हें अनुभव किया जा सकता है । इसी प्रकार भगवान तो नित्य प्राप्त हैं सबके ह्रदय में विराजमान हैं दिव्य नेत्रों से प्रभू कृपा होने पर अनुभव भी कर सकते हैं पर साक्षातकार नहीं हो सकता। यह तो ईश्वर जिस प्राणी पर या अपने परम भग्त पर जिसने अनन्य भग्ति कर भगवान को पूर्ण समर्पित हो गये हैं, भगवान का साक्षात्कार कर सकते हैं, उनका दीदार कर सकते हैं और परमानन्द को प्रापत कर सकते हैं।                                                  Video No-2      
                                                                                                                                                                                                                                               दास अनुदास रोहतास

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