Tuesday, October 9, 2018

* GOD *

                             THE GOD
                                ----------
                        Search of Truth

              

                  
Que:-  क्या भगवान हैं ?
           हैं तो भगवान कैसा है ?

Answer By Rohtas:----

            अजीब बात है जीव के इस अद्धभुत सुन्दर सृष्टि में again & again हजारों बार जन्म लेने और  हजारों, लाखों, करोडों साल इस सुन्दर सृष्टि मे जीवन पाने और परमानन्दित होने के बाद आज भी ( जीव ) प्राणी  Face-book पर यही प्रशन्न डाल रहा है कि ईश्वर कैसा है। उसका आकार क्या है आदि !

श्रीमान जी नमस्कार,

               विषय बहुत सुन्दर आपके द्वारा डाले गये प्रशन्न भी बहुत सुन्दर हैं और इन सबसे अच्छी बात तो यह है कि करोडों साल गुजर जाने के बाद और युग-युगान्तर के बीत जाने के बाद भी इस सुन्दर अध्यात्मिक जगत में सभी सनातनी जीवों व प्राणियों में अनन्य भग्ति कर, ईश्वर को पाने की, उसे जानने की, उस परमपिता प्रमात्मा, ईश्वर को जो नित्य-प्रापत हैं, जो समस्त सृष्टि के मालिक हैं, को अनुभव में लाने की, उनके सुदर्शन पाने की, जीवों में आज भी पूर्ण आस्था है, पूर्ण श्रधा है, पूर्ण विश्वास है,  पूर्ण जिज्ञाषा है और पूर्ण लग्न हैं।

    * ईश्वर तो अन्तर्यामी हैं ही, पर जीव भी महान है *

               सबसे पहले हम सबके पास व्यक्तिगत अनुभव होना चाहिये। अगर आपके पास व्यक्तिगत अनुभव है तो आपको दिव्य अनुभव के बारे में किसी भी किसम का कोई भी प्रशन्न किसी से जानने की आवश्यकता नहीं रह जाती। जैसा कि हम फेस बुक पर देखते आ रहे हैं एक से बढ कर एक अनचाहे प्रशन्न पूछे जाते हैं जिनका पूछने का कोई तात्प्रय: ही नहीं होता। और अगर कोई ऊत्तर दे भी दे, तो useless क्योंकि इस विषय पर व्यक्तिगत अनुभव न होने से कोई भी प्राणी विश्वास नहीं कर सकता।

* Because it's Matter of Self-Realization *

ईश्वर क्या है ?
भगवान क्या है, कैसा होता है, कैसा रंग है ?
भगवान कहां रहता है ?
भगवान मिलेगा तो कैसे मिलेगा ?
भगवान कितने प्रकार के होते हैं ?
भगवान ने इस सुसृष्टि की रचना क्यों की, किस के लिये की, अपने लिये की या हमारे लिये की और फिर रचना बनाने में भी भेद भाव कहीं लिंग-पुलिंग का अंतर और फिर अनेक प्रकार की योनियां जीवों पर थोप दी गई। भगवान ने हमारे लिये ये दुख- सुख क्यों बनाये, ये जीवन ये मृत्यू क्यों बनाये, यह अमीरी गरीबी क्यों बनाई, किसके लिये बनाये। अगर ये बनाने ही थे और हर प्राणी की मृत्यु निश्चित है तो हमें उह जीवनदान देने का क्या फायदा। भगवान सूक्षम है या बहुत बडा आकार में हैं और कहां रहते हैं श्री राम भगवान हैं या श्री कृ्ष्ण भगवान हैं! ईशा-मशीह जी भगवान हैं या श्री वाहेगुरु जी या फिर श्री मोहम्मद् जी भगवान है । ये अवतार हैं या ये भगवान हैं

  * भगवान तो नित्य प्राप्त हैं बस अनुभव करना है *

             क्या भगवान प्रकट हो चुके है या अभी प्रकट होना बाकी है। हुए हैं तो कहां पर हुए । श्री कलकी भगवान प्रकट हो चुके या होना बाकी है। सृष्टि कैसे बनी इसका अंत कब और कैसे होगा ? सत्य क्या है असत्य क्या है अर्थात इस प्रकार के दिव्य व अध्यात्मिक जगत के प्रशन्नों का उत्तर हुबहु आपको  आपके अनन्य भग्ति करने पर, अन्तर्मुखी होते हुए, being scilent, स्थिरप्रज्ञ होने पर, By Deep meditaion in internal divine universe मे जाकर, उस ईश्वर की भली भांती खोज कर उसमें पूर्ण समर्पित होने पर और ईश्वर की विशेष कृपा होने पर, आपको उस मालिक का अनुभव होने पर, आपको आपके सभी प्रशन्नों का उत्तर स्वं ही मिल जाएगा। ऐसी बात नहीं जब से सृष्टि बनी इस पवित्र, अद्धभुत धरा पर ज्ञानी,  ध्यानी, ऋषि, मुनी, संत, योगी, दिव्य पुरुष, महापुरुष, अवतार तभी से होते आय हैं जो इस सुन्दर सृष्टि में हमारे मध्य आज भी हैं और जो पूर्ण सक्षम हैं, सर्व गुण सम्पन्न हैं और भविष्य में भी होते रहेंगे और अपने दिव्य अनुभवों के अनुसार अध्यात्मिक ज्ञान की छंटा Fragrance इस सुन्दर अध्यात्मिक संसार में छोडते रहते हैं जिससे यह समस्त विश्व आज भी उनके दिखाय हुए रास्ते पर चल कर ब्रह्मज्ञान और दिव्य अनुभवों से लाभान्वित हो रहा है और होता रहेगा ।

सारांश:---- 
             " ईश्वर कृपा, अनन्य भग्ति और व्यक्तिगत अनुभव का होना अति आवश्यक है "
                         
     " मिटा दे अपनी हस्ती को   अगर कुछ मर्तबा चाहे,
       कि दाना खाक में मिल कर गुलो गुलजार होता है "


    **************

                                           दास अनुदास रोहतास

                 


  

No comments:

Post a Comment